इमरान खान ने 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से राजधानी दिल्ली में मुलाकात भी की थी। तब लग रहा था कि वे भारत-पाकिस्तान संबंधों को किसी मुकाम तक ले जाने की कोशिश करेंगे। तब उन्होंने मोदी को महान नेता भी कहा था। पर, आगे चलकर इमऱान खान निकम्मे ही साबित हुए। वे ना अपने देश को एक बेहतर और आधुनिक देश बना सके और न ही भारत-पाकिस्तान संबंधों को सामान्य बनाने में ही सफल रहे।
पाकिस्तान की सियासत में इमरान खान की एंट्री से एक उम्मीद बंधी थी कि पड़ोसी मुल्क को अंतत: एक समझदार नेता मिल गया है। वो पाकिस्तान को आगे चलकर एक सशक्त नेतृत्व दे सकेंगे। वे भारत से संबंध सुधारने की दिशा में भी अहम कदम उठाएंगे। ये उम्मीद इसलिए बंधी थी, क्योंकि उन्होंने अपने क्रिकेट करियर के दौरान एक साफ-सुथरी पारी खेली थी। पर, इमऱान खान ने क्रिकेटर के रूप में जो सम्मान अर्जित किया था, उसे वे खो रहे है राजनेता के रूप में।
हालात ये हैं कि पाकिस्तान नेशनल असेंबली (संसद) की लॉबी में विगत दिनों सत्तासीन पाकिस्तान मुस्लिम लीग-एन के एक सांसद ने कार्यवाही के दौरान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रमुख इमरान खान को ‘गद्दार’ कहा। पीएमएल-एन के सदस्य मियां जावेद लतीफ ने इमरान को घरेलू टी-20 लीग (पाकिस्तान सुपर लीग) में विदेशी खिलाड़ियों के खिलाफ दिए बयान के लिए ‘गद्दार’ बताया था। इमरान ने इन खिलाड़ियों के लिए ‘फटीचर’ शब्द का इस्तेमाल किया था। ये तो एक बात हुई।
यदा-कदा के नेता
इमरान खान को पाकिस्तान में यदा-कदा का नेता कहा जाने लगा है। वे बीच-बीच में करप्शन के खिलाफ लड़ने लगते हैं। फिर कई हफ्तों के लिए गायब हो जाते हैं। अभी उन्होंने तीसरी शादी की। इससे भी उनकी खराब होती छवि और प्रभावित हुई। कहने वाले कह रहे हैं कि उन्हें एक नानी-दादी बन गई औरत से शादी करने की क्या जरूरत थी। पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के अध्यक्ष जब तीसरी बार दूल्हा बने, तो उनकी दूसरी पत्नी रेहम खान ने उन पर धोखा देने का आरोप लगाया। इमरान खान की तीसरी पत्नी बुशरा मेनका पाकिस्तान की आध्यात्मिक गुरु और पांच बच्चों की मां हैं। इमरान कई सालों से बुशरा के साथ डेट कर रहे थे और अब उससे शादी कर ली है। कायदे से उन्हें अब देश हित में वक्त देना चाहिए था।
पाक के केजरीवाल
इमरान खान की छवि अरविंद केजरीवाल वाली बन गई है। वे दावे-वादे बहुत करते हैं, फिर मुकर जाते हैं। उन्हें अपने दावों को अमलीजामा भी पहनाना होगा। बेशक, इमरान खान ने अपने देश को वैकल्पिक राजनीति के संबंध में सोचने के लिए मजबूर किया था। वहां वैकल्पिक राजनीति पर लंबे समय से बात हो रही थी, लेकिन कोई ठोस पहल सामने नहीं आ रही थी।
उनकी तहरीके इंसाफ पार्टी को पिछले संसद चुनाव में जिस तरह से जनता ने हाथों-हाथ लिया, उससे लगा था कि जनता उनसे बहुत उम्मीदें लगाकर बैठी है। उस चुनाव के बाद उनकी तहरीक ए इंसाफ पार्टी ने खैबर पख्तुनख्वा (केपी) प्रान्त में सरकार बनाई। इसे सूबा-ए-सरहद के नाम से भी जाना जाता है जो अफगानिस्तान की सीमा पर स्थित है। यहां से सरहदी गांधी का संबंध था। पर निकला कुछ नहीं। इमऱान खान हर मोर्चे पर नाकाम ही रहे।
घूस के खिलाफ लड़ाई
जिस देश में घूसखोरी और भ्रष्टाचार को स्वीकार कर लिया गया हो, वहां पर इमरान खान ने देश को स्वच्छ सरकार देना का वादा किया था। लग रहा था कि इमरान खान ने पाकिस्तान में वैकल्पिक राजनीति की जो ठोस नींव रखी है, वह आगे चलकर बड़ा पेड़ बन कर पारंपरिक राजनीतिक दलों के लिए चुनौती बन जाएगी। माना जा रहा था कि इमरान खान आम इंसान के हक में ही काम करेंगे। पर बात नहीं बनी।
अब पूर्व क्रिकेटर इमरान खान नकारात्मक कारणों से सुर्खियों में रहने लगे हैं। कुछ समय पहले उन पर सरकारी हेलीकॉप्टरों का दुरुपयोग करने का आरोप लगा, जिसको लेकर पाकिस्तान के राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो ने उनपर कार्रवाई की है। निजी यात्राओं के लिए सरकारी हेलीकॉप्टरों का दुरुपयोग करने के लिए राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) ने इमरान खान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए। एनएबी अध्यक्ष जावेद इकवाल ने खैबर पख्तुनख्वा (केपी) के डायरेक्टर जनरल (डीजी) को पीटीआई प्रमुख इमरान खान के खिलाफ जांच कराने का निर्देश दिया है। पाकिस्तान के तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष इमरान खान ने केपी के मुख्यमंत्री के आधिकारिक हेलीकाप्टरों का इस्तेमाल किया।
इमरान खान के भारत में भी चाहने वाले हैं। वे उन्हें उनके क्रिकेटर के दिनों से फोलो कर रहे हैं। उनकी ख्वाहिश थी कि इमरान खान अपने पद का इस्तेमाल करते हुए पाकिस्तानी हुक्मरानों पर दबाव बनाएँगे कि वे कश्मीर में भारत विरोधी ताकतों को मदद देना बंद करें। इमरान खान ने 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से राजधानी दिल्ली में मुलाकात भी की थी। तब लग रहा था कि वे भारत-पाकिस्तान संबंधों को किसी मुकाम तक ले जाने की कोशिश करेंगे। तब उन्होंने मोदी को महान नेता भी कहा था। पर, आगे चलकर इमऱान खान निकम्मे ही साबित हुए। वे ना अपने देश को एक बेहतर और आधुनिक देश बना सके और न ही भारत-पाकिस्तान संबंधों को सामान्य बनाने में ही सफल रहे।
(लेखक यूएई दूतावास में सूचनाधिकारी रहे हैं। वरिष्ठ स्तंभकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)