मोदी के वक्तव्य का दो हिस्सों में विश्लेषण किया जा सकता है। एक में उन्होने कांग्रेस के सवालों का जबाब दिया। इसमें उसकी विफलता की कहानी भी थी, जिसमे यह प्रमाणित करने की कोशिश की गई कि कांग्रेस को अनेक मुद्दे जैसे कि प्रजातन्त्र, ईमानदारी, सरकार की कार्यशैली, आमजन के कल्याण आदि को उठाने का नैतिक अधिकार ही नहीं है। भाषण के दूसरे हिस्से में मोदी ने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाई। तथ्यों के द्वारा यह साबित किया कि विकास के मामले में कांग्रेस बहुत पीछे थी। अनेक विषयों पर तो इस सरकार की गति कांग्रेस के मुकाबले दोगुनी रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व्यापक लक्ष्यों को ध्यान में रखकर चलते हैं। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा का जवाब देते समय मोदी का यही अंदाज दिखाई दिया। जवाब तात्कालिक चर्चा के थे, किंतु उनका असर दूर तक जाएगा। कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोलने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। उसे लगा होगा कि इन हमलों के बाद सरकार बैकफुट पर आ जायेगी। लेकिन हुआ इसका उल्टा। कांग्रेस खुद कठघरे में आ गई।
मोदी के भाषण का दो हिस्सों में विश्लेषण किया जा सकता है। एक में उन्होने कांग्रेस के सवालों का जवाब दिया। इसमें उसकी विफलता की कहानी भी थी, जिसके द्वारा यह प्रमाणित करने की कोशिश की गई कि कांग्रेस को अनेक मुद्दे जैसे कि प्रजातन्त्र, ईमानदारी, सरकार की कार्यशैली, आमजन के कल्याण आदि को उठाने का नैतिक अधिकार ही नहीं है। भाषण के दूसरे हिस्से में मोदी ने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाई। यह साबित किया कि विकास के मामले में कांग्रेस बहुत पीछे थी। अनेक विषयों पर तो इस सरकार की गति कांग्रेस के मुकाबले दोगुनी रही है।
वस्तुतः धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को विशेष अवसर प्रदान करती है। दोनों संसद में अपनी बात विस्तार से रखते हैं। राष्ट्रपति का अभिभाषण सरकार के पक्ष को उजागर करता है। सत्ता पक्ष धन्यवाद प्रस्ताव के पक्ष में विचार रखता है। विपक्ष भी इसपर अपनी राय रखता है।
इस बार कांग्रेस ने अपने तरकश के सभी तीर निकाल लिए थे। संसद के भीतर ही नहीं, बाहर तक उनकी बौछार की गई। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इसी समय राफेल विमान समझौते को लेकर सरकार पर आरोप लगाया। संसद के दोनों सदनों में नेता प्रतिपक्ष सरकार पर हमलावर थे। इतना ही नहीं, इस बार शायद कांग्रेस के सामान्य सदस्यों को भी शायद खास निर्देश दिए गए थे। शायद पहली बार किसी प्रधानमंत्री के जवाब देते समय लगातार हंगामा किया गया। मोदी पन्द्रह वर्षो से राजनीतिक हमले झेलने के अभ्यस्त हैं। शायद यही कारण है कि वह विचलित हुए बिना अपनी बात सहजता से कहते गए। हास्य-व्यंग्य के मौके भी उन्होने हाथ से जाने नहीं दिए।
मोदी जब बोले तो कांग्रेस के तीर एक-एक कर विफल होते गए। यह सही है कि मोदी ने राफेल पर राहुल गांधी के कथित आरोपों का जवाब नहीं दिया। शायद उनका सोचना था कि राहुल के आरोपों के जवाब देने को रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ही बहुत है। मोदी का सोचना सही था। सेना की तरफ से बताया गया कि राफेल समझौते में कुछ भी गलत नहीं हुआ। जहाँ तक समझौते की डिटेल देने का मामला है तो इसमें संप्रग की व्यवस्था ही लागू है। राहुल को पता होना चाहिए कि उनकी सरकार के रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने इसी आधार पर रक्षा सौदे की जानकारी देने से इनकार कर दिया था। ऐसे में बेहतर यही होता कि राहुल गांधी इस विषय पर सवाल न उठाते। कांग्रेस को ऐसे सवाल कोई लाभ नहीं दे सकते।
यह सोचना गलत है कि मोदी पर फिजूल के आरोप लगाने से कांग्रेस को कोई लाभ होगा। मोदी तो विदेश यात्रा में भारत के खजाने से कम धन खर्च हो इसके लिए होटलों की जगह विमान में ही विश्राम को वरीयता देते हैं। मोदी की विश्वसनीयता ऐसे आरोपों से धूमिल नहीं हो सकती। रही राफेल डील की बात तो इसका समझौता तो यूपीए के समय होना चाहिए था, लेकिन वह विफल रही। कई वर्षों के विलंब से मूल्य बढ़े। इसके अलावा उसमें रख-रखाव, सुधार, भारतीय जलवायु के अनुकूल बनाने के उपाय, कलपुर्जे के दाम भी शामिल हुए। इसी दौरान फ्रांस ने कुछ अन्य देशों को यह विमान बेचे। इनके दाम भारत को बेचे गए विमानों से अधिक थे। अतः राफेल पर कांग्रेस का रुख बेमतलब ही है।
मोदी ने अपनी सरकार की उपलब्धियां बताने के लिए इस अवसर का बेहतर उपयोग किया। उन्होने सिलसिलेवार अपनी बात रखी। बीदर रेल लाइन को वाजपेयी सरकार ने मंजूरी दी थी। लेकिन, इसपर कांग्रेस ने कोई काम नहीं किया। बीदर रेल लाइन और बाड़मेर रिफाइनरी को इस सरकार ने पूरा किया। एक सौ चार सेटेलाइट छोड़ने, देश की सबसे लम्बी सुरंग बनाने, सबसे लम्बी गैस पाइप लाइन बनाने, देश में दोगुनी रफ्तार से सड़क बनाने जैसे काम मोदी ने गिनवाए।
इसके अलावा देश में करोड़ों शौचालयों के निर्माण, ईपीएफ में सत्तर लाख नए नाम दर्ज करने, बिचौलियों पर लगाम लगाने, आधार के द्वारा भ्रष्टों पर लगाम लगाने, नीम कोटेड यूरिया से खाद की चोरबाजारी रोकने जैसे क़दमों का भी उन्होंने उल्लेख किया। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि गरीबों को स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ देने का क्रांतिकारी कदम इस सरकार ने उठाया है।
कतर और आस्ट्रेलिया से भी गैस खरीदने में धांधली की गई थी। कांग्रेस ने लूट की खुली छूट दे रखी थी। वर्तमान सरकार ने इस समझौते से धांधली को दूर किया। इससे बारह हजार करोड़ रुपये की बचत हुई। डोकलाम विवाद के वक्त चीनियों से राहुल का बात करना गलत था। इससे विदेशों में गलत संदेश गया। लोगों ने सोचा होगा कि भारत मे राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में भी मतभेद है। राहुल ने विदेशों में देश को बदनाम किया। मोदी ने इन बातों को भी रेखांकित किया।
जाहिर है कि नरेंद्र मोदी ने अपने वक्तव्य में कांग्रेस की दुखती रगों पर हाथ रखने का काम किया है। उनके भाषण में आत्मविश्वास था। इसके बल पर उन्होंने बता दिया कि भविष्य में वह विपक्ष के सभी हमलों का मुकाबला करने को तैयार हैं। उनकी सरकार को शर्मिंदा नहीं होना पड़ेगा। हाँ, अगर कांग्रेस ऐसे ही फिजूल आरोप लगाती रही तो उसे ही कठघरे में रहना होगा।
(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)