जहां तक कार्टोसैट-3 की बात है यह एक हाई रिजोल्यूशन वाला सैटेलाइट है। इसकी सबसे अहम खासियत यह है कि यह देश की सीमाओं की मॉनीटरिंग करेगा। यानी अब भारत की सीमाएं अंतरिक्ष से भी निगरानी में रहेंगी। इस सैटेलाइट की नजर भारत के पड़ोसी देशों पर रहने से अब खुफिया तंत्र को पुख्ता सूचनाएं मिल सकेंगी।
27 नवंबर, बुधवार का दिन देश के लिए यादगार और गर्व से भरा साबित हुआ। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए नई मिसाल गढ़ी है। इसरो ने श्रीहरिकोटा स्थित स्पेस सेंटर से कार्टोसैट-3 नाम का सैटेलाइट सुबह 9 बजकर 28 मिनट पर लॉन्च किया। साथ ही 13 अमेरिकी नैनो उपग्रह भी प्रक्षेपित किए गए हैं। इस तरह बुधवार को इसरो ने एक ही दिन में 14 सैटेलाइट सफलतापूर्वक लॉन्च किए।
इस प्रक्षेपण की सफलता का इसलिए बेहद महत्व है क्योंकि यह सीधे तौर पर देश की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ा है। इसरो पूरे उत्साह से फिर एक बड़ी सफलता लेकर सामने आया है तो पीएम मोदी ने प्रसन्नता भी जाहिर की और इसकी बधाई भी दी। उन्होंने कहा कि इसरो ने भारत को एक बार फिर गौरवान्वित किया है।
उन्होंने कहा कि मैं इसरो की पूरी टीम को बधाई प्रेषित करता हूं। पिछले दिनों एक प्रेस वार्ता में के सिवन ने कहा भी था कि चंद्रयान-2 के बाद अभी इसरो के पास और कई बड़े अभियान हैं। चंद्रयान-3 की तैयारियों और गगनयान मिशन की कवायद के बीच काटोसैट-3 के रूप में इसरो ने बड़ी सफलता पाई है। अभी इसरो के पास मार्च 2020 तक ऐसे 13 स्पेस मिशन और हैं। इनमें 6 अभियान ऐसे हैं जो बड़े हैं और 7 अभियान सैटलाइट लॉन्चिंग से जुड़े हैं।
जहां तक कार्टोसैट-3 की बात है यह एक हाई रिजोल्यूशन वाला सैटेलाइट है। इसकी सबसे अहम खासियत यह है कि यह देश की सीमाओं की मॉनीटरिंग करेगा। यानी अब भारत की सीमाएं अंतरिक्ष से भी निगरानी में रहेंगी।
इस सैटेलाइट की नजर भारत के पड़ोसी देशों पर रहने से अब खुफिया तंत्र को पुख्ता सूचनाएं मिल सकेंगी। भविष्य में यदि भारत किसी दुश्मन देश पर सर्जिकल स्ट्राइक या एयर स्ट्राइक करता है तो इसमें आसानी होगी। इसमें लगे कैमरे अत्याधुनिक तकनीक से बने सशक्त और ताकतवर हैं। अगर कार्टोसैट-3 को अंतरिक्ष में भारत की तीसरी आंख कहा जा रहा है तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं। यह पृथ्वी की सतह से 509 किलोमीटर की ऊंचाई पर परिक्रमा करेगा और इतनी ऊंचाई से धरती की साफ तस्वीरें ले सकता है।
संभवत: इस प्रकार का यह पहला ही अवसर है जब इतना मजबूत कैमरे वाला सैटेलाइट किसी देश ने लॉन्च किया हो। इसरो ने इसके बारे में जानकारी देते हुए यह भी बताया कि इसकी समय सीमा पांच साल की है। इन पांच वर्षों में यह अंतरिक्ष से ही देश के अधोसरंचनात्मक विकास में अपना योगदान देगा। इसके साथ जो अन्य 13 छोटे सैटेलाइट भेजे गए हैं वे व्यवसायिक उपयोग के लिए हैं।
निश्चित ही इसरो की यह सफलता वैज्ञानिकों में तो उत्साह का संचार करेगी ही, देश की सुरक्षा प्रणाली को भी मजबूती देगी। कार्टोसैट-3 की सफल लॉन्चिंग के बाद भारत अब दुनिया के उन उन्नत राष्ट्रों के क्लब में शामिल हो गया है जो थल, जल और वायु के बाद अब अंतरिक्ष से भी सुरक्षित हैं।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)