यूपी अनुपूरक बजट : एकबार फिर स्पष्ट हुआ योगी सरकार का विकासपरक दृष्टिकोण

इस बार भी उत्तर प्रदेश विधान सभा मे हंगामें के बीच अनुपूरक बजट पेश किया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ठीक कहा कि कुछ लोग विधानसभा को हंगामें से बंधक बनाना चाहते हैं। जबकि हंगामें का कोई आधार नहीं था। इसके अलावा कैग की रिपोर्ट पिछली सरकार पर सवाल उठाने वाली थी। हो सकता है कि इस मुद्दे को टालने के लिए भी हंगामा किया गया।

राजव्यवस्था का संचालन बजट पर निर्भर होता है। विधि निर्माताओं से बजट पर गंभीर विचार विमर्श की अपेक्षा रहती है। इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि पूर्ण बजट हो या अनुपूरक बजट। लेकिन उत्तर प्रदेश विधानसभा में अनुपूरक बजट पेश होने के दौरान विपक्ष की उदासीनता दिखाई दी। फिर भी सरकार अपने मकसद में सफल रही। उसने प्रदेश के विकास को गति देने का इंतजाम किया। जबकि विपक्ष जिम्मेदारी से बचता रहा।

इस बार भी उत्तर प्रदेश विधान सभा मे हंगामें के बीच अनुपूरक बजट पेश किया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ठीक कहा कि कुछ लोग विधानसभा को हंगामें से बंधक बनाना चाहते हैं। जबकि हंगामें का कोई आधार नहीं था। इसके अलावा कैग की रिपोर्ट पिछली सरकार पर सवाल उठाने वाली थी। हो सकता है कि इस मुद्दे को टालने के लिए भी हंगामा किया गया।

साभार : Punjab Kesari

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने विकास का व्यापक रोडमैप पहले ही तैयार कर लिया था। अनेक योजनाओं पर तेजी से अमल भी चल रहा है। निवेश के रिकार्ड  प्रस्तावों का शिलान्यास हो चुका है, अगले चरण की तैयारी है। इसी प्रकार प्रयाग कुंभ, किसानों को राहत, अटल जी पर योजनाओं, सड़क, डिफेंस कॉरिडोर, आयुष्मान योजना आदि सरकार की प्राथमिकताओं में शुमार हैं।

वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल ने 34 हजार 8 सौ 33 करोड़ 24 लाख 40 हजार रुपये का अनुपूरक बजट पेश किया। योगी सरकार का कर्जमाफी से शुरू किसानों पर फोकस बना हुआ है। कुल बजट का एक चौथाई हिस्सा किसानों के लिए आवंटित किया गया है। इसमें गन्ना किसानों से लेकर कर्जमाफी से छूटे किसानों और बाढ़ प्रभावित लोगों को राहत प्रदान करने का प्रस्ताव है।

सात हजार करोड़ से ज्यादा रुपये किसानों के लिए आवंटित किए हैं। गन्ना किसानों के बकाया भुगतान के शामिल हैं। गन्ना भुगतान में पांच सौ करोड़ रुपये सहकारी, निगम और निजी क्षेत्र पर बकाये के भुगतान के लिए हैं। यह रकम सरकार सीधे किसानों के खातों में डीबीटी के जरिए भेजेगी। सरकार किसानों के बकाए के भुगतान के लिए चार हजार  करोड़ रुपये का सॉफ्ट लोन भी देगी।  सहकारी चीनी मिल संघ के  बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान किया जाएगा।  कर्जमाफी योजना से छूटे किसानों की कर्जमाफी की जाएगी। अटल जी के नाम पर कई योजनाएं शुरू करने की भी बात है।

बलरामपुर में केजीएमयू लखनऊ के सेटेलाइट सेंटर, बटेश्वर, आगरा व अन्य स्थलों का विकास, अटल स्मृति सांस्कृतिक समारोह आयोजन, अटल स्मृति संकुल निर्माण सहित डीएवी कॉलेज कानपुर में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की जाएगी। जनवरी में प्रयाग कुंभ का गरिमा पूर्ण आयोजन योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकताओं में है।  काशी के प्रवासी भारतीय सम्मेलन को भी अहमियत दी गई है।

कुंभ के लिए  आठ सौ करोड़ और  वाराणसी में होने वाले प्रवासी भारतीय दिवस समारोह के लिए भी सौ करोड़ रुपये का इंतजाम किया गया है।  आयुष्मान भारत  क्रांतिकारी योजना है। सरकार ने इसके सफल संचालन की व्यवस्था की है। सरकार ने प्रस्तावित बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे के साथ-साथ कॉरिडोर के विकास के लिए पांच सौ करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।

कॉरिडोर के लिए तीन हजार हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण की कार्यवाही शुरू की है। यह कॉरिडोर अलीगढ़, आगरा, कानपुर, लखनऊ और चित्रकूट बुंदेलखंड को जोड़ेगा।  उच्च शिक्षा के लिए करीब नौ सौ निन्यानबे करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। शिक्षकों को सातवां वेतनमान दिया जाएगा। 

अनुपूरक बजट पेश होने के दौरान विपक्ष के हंगामे को उचित नहीं कहा जा सकता। शुरुआत में ही नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने देवरिया के मामले पर नियम तीन सौ ग्यारह के तहत चर्चा कराने की मांग की।  विधानसभा अध्यक्ष ने सदस्यों से शांत हो जाने की अपील करते हुए कहा कि पहले प्रश्नकाल हो जाने दें, इसके बाद नियम-56 पर इस मुद्दे पर अपनी बात कही जा सकती है। लेकिन सपा सदस्य वेल में आकर नारेबाजी करते रहे। जबकि देवरिया कांड के दोषी गिरफ्तार हो चुके हैं और मामले को सीबीआई जांच चल रही है। ऐसे में हंगामे का कोई औचित्य नहीं था।

दरअसल पिछले दिनों आई कैग रिपोर्ट से भी सपा को परेशानी थी। सपा सरकार ने बड़े राजकोषीय घाटे व ऋण बोझ से दबा खजाना छोड़ा था। विधानसभा में पेश नियंत्रक महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ। सपा सरकार के दौरान राजस्व व्यय के समस्त पूंजीगत व्यय का इक्कीस प्रतिशत से ज्यादा केवल मार्च महीने में खर्च हुआ जब चुनाव का दौर था।

अनेक विभागों ने कुल बजट का चालीस प्रतिशत तक केवल मार्च में खर्च किया। हजारों करोड़ खर्च के बाद विभाग उसका उपभोग प्रमाणपत्र नहीं दे रहे हैं। यह बातें तत्कालीन सपा सरकार पर सवाल खड़े करने वाली हैं। बहरहाल, अनुपूरक बजट पर विपक्ष का हंगामा बेमतलब था। जबकि योगी सरकार प्रदेश के विकास की योजनाओं को समय से पूरा करने का प्रयास कर रही है। अनुपूरक बजट में उसका यही मंसूबा दिखाई दिया।

(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)