संयुक्त राष्ट्र महासभा के यह संबोधन जहां एक तरफ इमरान की बौखलाहट, सतहीपन के चलते तो दूसरी तरफ पीएम मोदी की सकारात्मकता, दूरदर्शिता, प्रगतिशीलता और मुदुभाषिता के चलते बरसों तक याद किए जाते रहेंगे। सही अर्थों में वैश्विक मंच से पीएम मोदी ने विकास और जगकल्याण की भावना से पुष्ट ‘नए भारत’ का संबोधन दिया है, वहीं इमरान के संबोधन ने पाकिस्तान के विकास से परे ध्वंसात्मक चरित्र को ही दुनिया के सामने रखा है।
भारतीय समयानुसार शुक्रवार की शाम को संयुक्त राष्ट्र महासभा का 74 वां सत्र आयोजित किया गया। इस पर देश व दुनिया की निगाहें थीं क्योंकि इसमें भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों के बहुप्रतीक्षित भाषण होने थे। दोनों राष्ट्र प्रमुखों के भाषण शुरू होकर खत्म भी हुए और दोनों ने अपने उद्गार व्यक्त किए। दोनों ने क्या कहा, इस पर तो बहुत बातें हो सकती हैं लेकिन इसके पार्श्व में देखा जाए तो इन भाषणों के पीछे की नीयत, मंशा और तरीका बहुत मायने रखता है।
सत्र में बोलने के लिए 15 मिनट का समय निर्धारित था। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 मिनट में अपनी बात बोलकर बैठ गए लेकिन जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की बारी आई तो उन्होंने हदें तोड़ते हुए, मनमानी करते हुए पूरे 50 मिनट लिए। यहीं से सबको उनके अडि़यल रवैये और कानून तोड़ने की मानसिकता का प्रत्यक्ष उदाहरण मिल गया। भारत की तरफ से यूएन में भारत की प्रथम सचिव विदिशा मैत्रा ने इमरान की बातों का जोरदार जवाब दिया, लेकिन देखा जाए तो इमरान की बातें खुद ही पाकिस्तान की असलीयत बयान कर रही थीं।
संयुक्त राष्ट्र महासभा का मंच एक पुराना, प्रतिष्ठित और गरिमामयी मंच है, यहां बोला गया एक-एक शब्द बहुत अर्थ रखता है। ऐसे में इमरान का धमकी भरे अंदाज में बोलना, सभी को चकित कर गया। इमरान ने अतिश्योक्ति करते हुए लगभग परोक्ष रूप से हमले और युद्ध की धमकी ही दे डाली। इसी से पाकिस्तान के आतंकी चरित्र का पता सभी को चल गया।
मंच पर पहले मोदी का भाषण हुआ, बाद में इमरान ने अपनी अनर्गल बकवास की। इस पूरे लगभग घंटे भर की अवधि पर सभी प्रचार माध्यमों के ज़रिये देश-विदेश की जनता की नजरें गड़ी हुईं थीं। समापन के बाद सभी लोग मोदी और इमरान के भाषणों की तुलना करने लगे, जो कि स्वाभाविक भी है। जहां मोदी का भाषण संतुलित, सधा हुआ, सकारात्मक, सारगर्भित और अर्थपूर्ण था, वहीं इमरान मोदी की तुलना में 3 गुना अधिक समय लेकर भी अर्थपूर्ण बात नहीं बोल पाए और व्यर्थ प्रलाप करते नजर आए।
मोदी ने जहां भारत की संस्कृति का संदर्भ देते हुए अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए स्वयं ही नहीं, वरन विश्व के कल्याण की बात कही, वहीं इमरान ने अत्यंत बेतुके अंदाज में पुलवामा जैसे और हमले होने की खुलेआम धौंस दे डाली। मोदी ने विकास और प्रगति की बातें कहीं तो इमरान कश्मीर के बहाने भारत को कोसने से आगे ही नहीं बढ़ पाए।
यहां यह बात गौर करने योग्य है कि आखिर इमरान को कश्मीर की इतनी चिंता क्यों सता रही है। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से तो कश्मीर के हालात लगातार सुधरे ही हैं। बाजार खुल रहे हैं, स्कूल चल रहे हैं, संचार सेवाएं बहाल हैं और जनजीवन पटरी पर है। यह बात भारत सरकार अनेक बार बोल चुकी है, लेकिन इमरान ने चीख-चीखकर कश्मीर में ‘कर्फ्यू’ का हवाला दिया। उन्होंने यह आरोप लगाया कि कश्मीर में लोगों का दम घुट रहा है।
निश्चित ही अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से ही पाकिस्तान बुरी तरह बौखलाया हुआ है। अगस्त से लेकर अभी तक दर्जनों बार संघर्ष विराम का उल्लंघन हो चुका है, रिहाइशी इलाकों में फायरिंग हो चुकी है। पाकिस्तान अभी तक पिछले दरवाजे से हिंसा कर रहा था लेकिन अब वह इसे जस्टिफाई करना चाहता है इसलिए इमरान ने संयुक्त राष्ट्र के मंच से अपने नापाक इरादे जाहिर किए। उनका कहना था कि कश्मीर में खून-खराबा होगा और दोनों देशों के बीच परमाणु युद्ध होगा।
दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मोदी ने गांधी जी की 150वीं जयंती के संदर्भ से ही अपनी बात का आरंभ किया था। वे शांति के पक्षधर हैं और उन्होंने आज विश्व को जता दिया कि बिना किसी पर आरोप लगाकर भी मु्द्दे की बात प्रभावी ढंग से कही जा सकती है। इमरान खान के बेसिर पैर के भाषण में जो सबसे गौर करने योग्य बात नजर आती है वह है उनका कांग्रेस की भाषा बोलना।
उन्हें सुनकर लग रहा था मानो हम कांग्रेस के किसी नेता या प्रवक्ता को सुन रहे हैं। इमरान ने उन्हीं तथ्यों और भाषा शैली का उपयोग किया जो कांग्रेस करती है। इमरान ने आरएसएस पर निशाना साधा और कांग्रेस सरकार का संदर्भ दिया। उन्होंने कहा कि भारत में कांग्रेस के गृहमंत्री ने कहा था कि आरएसएस कैंपों में आतंकवादी तैयार होते हैं।
असल में, पूर्ववर्ती सरकार में सुशील शिंदे और पी चिदंबरम ने गृहमंत्री रहते हुए भगवा आतंकवाद नाम का शब्द गढ़ा था और कुछ ऐसे ही बयान दिए थे। इमरान ने हालांकि इनका नाम नहीं लिया लेकिन भाषा इनकी ही बोली। यह बहुत आश्चर्य की बात है कि भारत का शत्रु राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को घेरने के लिए अपनी कोई मौलिक बात नहीं बोल पाता है, बल्कि भारत में ही विपक्षियों का हवाला देता है। इस भाषण के पहले भी इमरान ने कश्मीर मसले पर यूएन को भेजे डोजियर में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और उमर अब्दुल्ला के बयानों का हवाला दिया था। यह कांग्रेस के लिए अत्यंत शर्मनाक स्थिति है कि देश के दुश्मन देश पर हमला करने के लिए कांग्रेस का सहारा ले रहे हैं।
बात-बात पर पत्रकार वार्ता बुलाने वाले राहुल गांधी और रणदीप सुरजेवाला के मुंह पर यह करारा तमाचा है। यदि इनमें थोड़ी सी भी शर्म बची हो तो इन्हें इस पर मीडिया के सामने आकर स्थिति स्पष्ट करना चाहिये। कश्मीर पर व्यर्थ प्रलाप करके इमरान ने अपनी असुरक्षा, जल्दबाजी और अधकचरेपन का प्रमाण ही दिया लेकिन पीएम मोदी ने इस अहम मंच पर जरूर अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज कराई।
उन्होंने अपने भाषण के आरंभ में कहा कि इस साल दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का सबसे बड़ा चुनाव हुआ और मेरी सरकार को सबसे बड़ा जनादेश मिला है। उन्होंने व्यापक संदर्भ में यह भी कहा कि हम जो विकास के कार्य करेंगे उससे हम ही नहीं, विश्व भी लाभान्वित हो, ऐसा हमारा प्रयास है।
मोदी ने अपने भाषण में स्वास्थ्य बीमा, स्वच्छता अभियान आदि की सफलताओं का जिक्र किया। उन्होंने वर्ष 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाए जाने के लक्ष्य की जानकारी भी दी। मोदी ने कहा कि हम जनभागीदारी से जनकल्याण करते हैं। जहां इमरान ने संयुक्त राष्ट्र पर ही सवाल उठा दिए, वहीं मोदी ने संयुक्त राष्ट्र की भूमिका के प्रति आस्था ही प्रकट की।
पाकिस्तान और इमरान का नाम लिए बिना, जिक्र किए बिना मोदी ने हिंसा और आतंकवाद पर ऐसा प्रहार किया कि परिणामस्वरूप इमरान तिलमिलाते नजर आए। मोदी के शब्दों ने पूरे अधिवेशन में बैठे लोगों का दिल जीत लिया जब उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में भारत ने सर्वाधिक बलिदान दिया है। हमने विश्व को शांति का संदेश दिया है। आतंक आज विश्व की सबसे बड़ी चुनौती है। आतंक के खिलाफ पूरे विश्व का एकजुट होना बहुत आवश्यक है। भाषण के दौरान मोदी के एक वाक्य पर पूरे सदन ने जोरदार तालियां बजाईं। उन्होंने कहा था कि भारत ने विश्व को युद्ध नहीं, बल्कि बुद्ध दिए हैं। यह सुनते ही तालियों की गड़गड़ाहट से अधिवेशन का सदन गूंज उठा।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के यह संबोधन जहां एक तरफ इमरान की बौखलाहट, सतहीपन के चलते तो दूसरी तरफ पीएम मोदी की सकारात्मकता, दूरदर्शिता, प्रगतिशीलता और मुदुभाषिता के चलते बरसों तक याद किए जाते रहेंगे। सही अर्थों में वैश्विक मंच से पीएम मोदी ने विकास और जगकल्याण की भावना से पुष्ट ‘नए भारत’ का संबोधन दिया है, वहीं इमरान के संबोधन ने पाकिस्तान के ध्वंसात्मक चरित्र को ही दुनिया के सामने रखा है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)