गुजरात में कांग्रेस के विधायक व उनके समर्थक बिहार व उत्तर प्रदेश के लोगों को वापस जाने को कह रहे थे, अब वही शब्द लखनऊ में कांग्रेस के कार्यकर्त्ताओं ने गुजरात के मुख्यमंत्री के लिए प्रयुक्त किया। मतलब इनकी मानसिकता में कोई फर्क नहीं है। जाहिर है, कांग्रेस की सोच ही विभाजन और अलगाव की है, जबकि भाजपा के दोनों मुख्यमंत्रियों योगी आदित्यनाथ और विजय रुपाणी ने एकता का मार्ग चुना है।
विविधता में एकता भारतीय राष्ट्र की प्रमुख अवधारणा रही है। लेकिन इस भावना के कमजोर पड़ने का भारत को ऐतिहासिक खामियाजा भी भुगतना पड़ा। विदेशी आक्रांताओं ने इसी का फायदा उठाया था। सैकड़ों वर्षों तक देश को दासता का दंश झेलना पड़ा। अंग्रेज भारत से जाते-जाते विभाजन की पटकथा लिख गए थे। लेकिन सरदार पटेल के प्रयासों से देश में एकता स्थापित हुई।
फिर भी कई बार प्रांतीय आधार पर भेदभाव की घटनाएं परेशान करने वाली होती हैं। इस बार गुजरात के कुछ जिलों में उत्तर भारतीयों पर हमले किये गए। यह हमला कुछ लोगों पर ही नहीं, सरदार पटेल के एकतावादी विचारों पर भी था। इस माहौल में गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी की लखनऊ यात्रा का विशेष महत्व रहा।
रूपाणी सरदार पटेल की प्रतिमा ‘स्टेचू ऑफ़ यूनिटी’ के अनावरण का आमंत्रण देने आए थे। लेकिन मुख्य बात यह थी कि वह सरदार पटेल के विचारों के अनुरूप एकता का संवाद भी लाये थे, जिसके संबन्ध में योगी आदित्यनाथ का भी आग्रह था। दोनों मुख्यमंत्रियों ने एकता संवाद के माध्यम से सन्देश दिया कि भेदभाव के राजनीतिक मंसूबो को सफल नहीं होने दिया जाएगा।
रुपाणी ऐसी घटनाओं के आरोपियों को सलाखों के पीछे करने के बाद ही लखनऊ आये थे। इसके पीछे कांग्रेस की सुनियोजित राजनीति के आरोप लग रहे हैं। बहरहाल, रुपाणी ने इस यात्रा के माध्यम से भेदभाव की उन आशंकाओं को समाप्त किया है कप गुजरात में उत्तर भारतीयों पर हमले के बाद सिर उठाने लगी थीं। उनकी सरकार दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई कर रही है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एकता संवाद का स्वागत किया। कुछ समय पहले वह गुजरात की यात्रा पर गए थे। वहां के लोगों ने उनका खूब स्वागत किया था। योगी ने गुजरात के साथ सहयोग बढ़ाने का एक प्रस्ताव भी रखा। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के पास बनने वाले ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत कांप्लेक्स’ में यूपी भवन के लिए जमीन आवंटन का योगी आदित्यनाथ ने प्रस्ताव किया। विजय रूपाणी ने इसे स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कहा, मुझे इस बात की खुशी है कि योगी जी ने यह मांग सबसे पहले की है। हमारी सरकार उत्तर प्रदेश को जमीन मुहैया कराएगी। इस प्रकार गुजरात में उत्तर प्रदेश सरकार को मिलने वाली यह जमीन दोनों प्रदेशों के भावनात्मक रिश्ते मजबूत करेगी।
रूपाणी ने कहा कि गुजरात में बसे गैर-गुजरातियों के मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। गुजरात में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने उत्तर भारतीयों का विरोध किया और राहुल गांधी ट्वीट कर ‘उल्टा चोर कोतवाल को डांटे’ वाली कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं। रुपाणी ने यह भी कहा कि राहुल गांधी को इस मामले में कांग्रेसी विधायक और कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। इस मामले में गुजरात सरकार ने तुरंत कड़े कदम उठाए। त्वरित कार्रवाई करते हुए पुलिस ने सैकड़ों की संख्या में लोगों को तत्काल गिरफ्तार किया। इसमें अनेक लोग कांग्रेस के थे।
निस्संदेह राज्य में रहने वाले सभी गैर गुजराती लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है। सरकार के कदमों की वजह से राज्य में पिछले कई दिनों से शांति है और जनजीवन सामान्य है। रूपाणी ने अल्पेश ठाकोर का बिना नाम लिए हुए कहा, चार राज्यों में होने वाले चुनावों को देखते हुए कांग्रेस के एक विधायक ने सुनियोजित तरिके से यह साजिश की थी। स्टैचू ऑफ यूनिटी के लोकार्पण को देखते हुए एकता को खंडित करने का प्रयास उन्होंने किया, जिसे सरकार ने विफल किया है। अब स्थिति पूरी तरह से काबू में है।
कांग्रेस इस अवसर पर भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आई। लखनऊ में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने काले झंडे और बलून दिखाकर रुपाणी का विरोध किया। विजय रुपाणी वापस जाओ के नारे लगाए। जबकि गुजरात की उस घटना में कांग्रेस विधायक और उसकी जातिवादी सेना का ही नाम आ रहा है। ऐसे में कांग्रेस खामोश रहती तो ठीक था। लेकिन कांग्रेस ने विरोध प्रदर्शन कर अपनी फजीहत का ही इंतजाम किया है।
देखा जाए तो कथित तौर पर गुजरात में कांग्रेस के विधायक व उनके समर्थक बिहार व उत्तर प्रदेश के लोगों को वापस जाने को कह रहे थे, अब वही शब्द लखनऊ में कांग्रेस के कार्यकर्त्ताओं ने गुजरात के मुख्यमंत्री के लिए प्रयुक्त किया। मतलब इनकी मानसिकता में कोई फर्क नहीं है। जाहिर है, कांग्रेस की सोच ही विभाजन और अलगाव की है, जबकि भाजपा के दोनों मुख्यमंत्रियों योगी आदित्यनाथ और विजय रुपाणी ने एकता का मार्ग चुना है।
(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)