एक तरफ तो कांग्रेस अध्यक्ष इसकी निंदा करने का ढोंग करते हैं, तो दूसरी तरफ अपने विधायक के खिलाफ चुप्पी साध लेते हैं। अगर राहुल गांधी वाकई में गुजरात में उत्तर भारतीयों पर हो रही हिंसा के खिलाफ हैं, तो उन्हें तत्काल अपने विधायक अल्पेश ठाकोर पर कार्यवाही करनी चाहिए। लेकिन इसपर वे कुछ करना तो दूर, कहने तक को तैयार नहीं हैं। ऐसे में क्यों न माना जाए कि अल्पेश ठाकोर की शह पर गुजरात में मची इस अराजकता को कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व का भी समर्थन प्राप्त है।
कांग्रेस पार्टी दो दशक से अधिक समय से गुजरात की सत्ता से बाहर है। जाहिर है, वहां की जनता का उसपर से विश्वास उठ चुका है। गुजरातवासियों को वर्तमान में विकास के मुद्दे को लेकर कांग्रेस से रत्ती भर भी उम्मीद नहीं है। अब यही बात कांग्रेस को हजम हो नहीं रही है और सत्ता के प्रति अपनी लालसा के कारण अब कांग्रेस गुजरात जैसे समृद्ध राज्य में अशांति फैलाकर अपनी राजनीति चमकाने पर आमादा है।
चूंकि प्रधानमंत्री मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री भी रहे हैं, इस कारण गुजरात में अराजकता फैलाकर वो मोदी को निशाने पर लेना चाहती है। गौरतलब है कि बीते कुछ दिनों में एक दुष्कर्म के मामले को जरिया बनाते हुए कांग्रेस के विधायक अल्पेश ठाकोर के संगठन ‘ठाकोर सेना’ के कार्यकर्ताओं ने साबरकांठा, मेहसाणा, गांधीनगर, अहमदाबाद सहित कई इलाकों में बसे उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों को चिन्हित कर निशाना बनाया है।
फैक्ट्रियों में काम कर रहे श्रमिकों के साथ भी ठाकोर सेना ने मारपीट की, जिसके बाद से गुजरात के कई शहरों से लोग पलायन कर रहे हैं। इस बाबत राज्य सरकार ने त्वरित कार्यवाही करते हुए 431 लोगों को गिरफ्तार किया है और 56 प्राथमिकियां दर्ज की हैं। सोशल मीडिया पर भी सरकार की पूरी निगरानी है और अफवाह फैलाने वाले 70 लोगों के खिलाफ अबतक मामला दर्ज कर लिया गया है।
राज्य के पुलिस महानिदेशक शिवानंद झा ने कहा कि हिंसक घटनाओं से निपटने के लिए पुलिस ने बाकायदा एक्शन प्लान तैयार किया है और एसआरपी की 17 कंपनियां संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात की गई हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने खुद अश्वासन देते हुए कहा है कि हम हर किसी की सुरक्षा सुनिश्चित करने को प्रतिबद्ध हैं और प्रवासियों को अपना लेना गुजरात की परंपरा रही है। लेकिन कुछ लोग राज्य की शांति-व्यवस्था को खराब करना चाहते हैं।
प्रवासियों के ऊपर हो रहे हमलों को कांग्रेस का समर्थन उसके विधायक अल्पेश ठाकोर के बयानों से ही साबित हो जाता है। करीब एक हफ्ते पहले अल्पेश ने सार्वजनिक रूप से नफरत फैलाने वाला बयान देते हुए कहा था, ‘प्रवासियों के कारण राज्य में अपराध बढ़ गया है और उनके कारण मेरे गुजरातियों को रोजगार नहीं मिल रहा है। क्या गुजरात ऐसे लोगों के लिए है?’ इसके बावजूद विडंबना यह है कि कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष समेत उनके कई नेता इसमें राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष ने इस मामले में ट्वीट करते हुए लिखा कि गरीबी से बड़ी कोई दहशत नहीं है और गुजरात में हो रही घटनाएँ वहां के बंद पड़े कारखाने और बेरोजगारी है। यह दिखाता है कि कांग्रेस पार्टी के लिए ऐसी घटनाएँ सिर्फ एक राजनीतिक मौके के अलावा कुछ नहीं हैं।
एक तरफ तो कांग्रेस अध्यक्ष इसकी निंदा करने का ढोंग करते हैं, तो दूसरी तरफ अपने विधायक के खिलाफ चुप्पी साध लेते हैं। अगर राहुल गांधी वाकई में इस हिंसा का विरोध करना चाहते हैं, तो उन्हें तत्काल अपने विधायक अल्पेश ठाकोर पर कार्यवाही करनी चाहिए। लेकिन इसपर वे कुछ करना तो दूर, कहने तक को तैयार नहीं हैं। ऐसे में क्यों न कहा जाए कि अल्पेश ठाकोर की शह पर गुजरात में मची इस अराजकता को कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व का भी समर्थन प्राप्त है।
ये पहली बार नहीं है जब कांग्रेस देश को तोड़ने की राजनीति कर रही है। उसका इतिहास ऐसे कारनामों से भरा पड़ा है। ज्यादा पीछे न जाते हुए अभी हाल ही में हुए कर्नाटक चुनाव का ही उदाहरण देख सकते हैं, जिसमें कांग्रेस ने राज्य के लिए न केवल अलग झण्डे का मामला उठाया था, बल्कि लिंगायत समुदाय को हिन्दुओं से अलग करने का राग भी छेड़ा था।
अब तीन राज्यों के विधानसभा और फिर अगले साल लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार से विकास के मुद्दे पर जीतने की उम्मीद न देखकर कांग्रेस ये समाजतोड़क राजनीति करने में लगी है। इसका मकसद न केवल सरकार की छवि ख़राब करना बल्कि अपने लिए वोटबैंक खड़ा करना भी है। हालांकि जनता अपना सही-गलत समझती है, वो उसे ही चुनेगी जो उसके लिए सही होगा।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)