मोदी सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए अलग से 11 लाख करोड़ का भी प्रावधान किया है, यह भी स्वागतयोग्य कदम है। वर्ष 2022 तक वह किसानों की आमदनी दुगुनी करने का मोदी सरकार का लक्ष्य है, इसके लिए काफी कुछ किया जा रहा है, इस घोषणा के बाद इस लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में सरकार तेजी से आगे बढ़ सकेगी। कृषि क्षेत्र से ही जुड़े फ़ूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के लिए अरुण जेटली ने 1400 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है, इससे कहीं न कहीं किसानों की आय ज़रूर बढ़ेगी।
यह मीडिया भी गज़ब की है! जो पिछले कुछ सालों से नरेन्द्र मोदी सरकार को प्रो-कॉर्पोरेट कहते नहीं थकती थी, वही आज कह रही है कि मोदी सरकार तो प्रो-फार्मर हो गई है। खैर, देश की बहुसंख्यक आबादी खेती और उससे सम्बंधित व्यवसायों से जुड़ी है, ऐसे में इस क्षेत्र पर विशेष ध्यान देना बहुत अच्छा कदम है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जो बजट आज संसद में पेश किया, उसका फोकस ग्रामीण भारत पर ज्यादा केन्द्रित दिख रहा है। अभी तक जितनी भी पूर्ववर्ती सरकारें रहीं, उन्होंने कृषि के क्षेत्र में अपना ज़्यादा जोर साल-दर-साल कर्जमाफी की तरफ लगाया। लेकिन इस सरकार ने लागत से डेढ़ गुणा ज्यादा एमएसपी देने का ऐलान कर कृषि क्षेत्र को मजबूती देने का प्रयास किया है।
सभी जानते हैं कि खेती करना लम्बे समय से काफी हद तक घाटे का सौदा हो चला है, खेती का इनपुट कॉस्ट काफी है, लेकिन उस हिसाब से किसानों को अपने फसल का मूल्य नहीं मिल पाता, लेकिन इस बजटीय एलान के बाद अब किसानों को यह आस रहेगी कि जितना लगा रहे हैं, उससे डेढ़ गुना तो उन्हें मिल ही जाएगा। किसानों की आय बढ़ाने तथा कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहन देने की दिशा में यह एक ठोस कदम है।
मोदी सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए अलग से 11 लाख करोड़ का भी प्रावधान किया है, यह भी स्वागतयोग्य कदम है। वर्ष 2022 तक वह किसानों की आमदनी दुगुनी करने का मोदी सरकार का लक्ष्य है, इसके लिए काफी कुछ किया जा रहा है, इस घोषणा के बाद इस लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में सरकार तेजी से आगे बढ़ सकेगी। कृषि क्षेत्र से ही जुड़े फ़ूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के लिए अरुण जेटली ने 1400 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है, इससे कहीं न कहीं किसानों की आय ज़रूर बढ़ेगी।
हालांकि, कृषि प्रधान सूबे पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने कहा कि उन्हें इस बजट से निराशा हुई है। मनप्रीत ने कहा कि किसानों को बहुत ज्यादा फायदा नहीं हुआ है। अगर पेट्रोल को भी जीएसटी अन्दर लाया जाता तो उससे फायदा मिलता। खासकर जीस्ती के अन्दर जो राज्यों को मिल रहा था, उसको एक तरह से फिर से वापिस खींच लिया है। इस बजट से पंजाब को कम से कम 10,000 करोड़ का नुकसान हुआ है। मगर समझा जा सकता है कि यह विरोध राजनीतिक अधिक है।
नोटबंदी के बाद नए दौर में 12.6 फीसद डायरेक्ट टैक्स का कलेक्शन बढ़ा है; 90,000 करोड़ ज्यादा टैक्स का कलेक्शन हुआ है, इसका उपयोग देश की अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए ही किया जाएगा। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने शायद बजट ठीक से देखा नहीं, इसलिए बजट पर उन्होंने अभी खामोशी ही रखी है। यह मोदी सरकार का जीएसटी लागू होने के बाद का बजट है, इसलिए उद्योग जगत में बजट को लेकर सकारात्मकता है।
वित्त मंत्री ने सदन में बताया कि जीएसटी लागू होने के बाद भारत में बिज़नस करना आसान हो गया है, एक दिन में ही अब कंपनी का रजिस्ट्रेशन संभव है, लाल फीताशाही ख़त्म हो गई है। सरकारी और प्राइवेट सेक्टर में सरकार लाखों नौकरियों का सृजन कर रही है, साथ ही देश में इस तरह का भी माहौल बन रहा है कि लोग सस्ते दर पर लोन लेकर अपना कारोबार स्थापित कर सकें।
देश भर में 10 करोड़ परिवारों को स्वास्थ्य बीमा दिए जाने का एलान भी इस बजट की उल्लेखनीय बात है। देश की 40 फीसद आबादी को बीमा के अन्दर लाने का प्रयास स्वागत योग्य है। राजकोषीय घाटा, जो इस सरकार में लगातार कम हुआ है, को 3.5 से 3.2 फीसद पर लाने का आगामी लक्ष्य यह स्पष्ट करता है कि देश की अर्थव्यवस्था मजबूत और सही हाथों में है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)