योगी आदित्यनाथ ने केंद्र सरकार की प्रेरणा से विकास के अनेक कीर्तिमान स्थापित किये हैं। स्वच्छता, शौचालय निर्माण, प्रधानमंत्री निर्धन आवास निर्माण आदि के मामले में उत्तर प्रदेश नम्बर वन पर पहुंच गया है। यह उपलब्धि केवल दो वर्षों में ही हासिल हुई है। अब अगले चरण में योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। योगी ने कहा भी है कि देश का प्रत्येक पांचवा व्यक्ति उत्तर प्रदेश का है। ऐसे में उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था तक ले जाना हमारा कर्तव्य है।
उत्तर प्रदेश में इन्वेस्टर्स समिट पिछली सरकारों के समय भी बहुत जोर शोर से होती रही है और उनमें देश के शीर्ष उद्योगपति शामिल होते रहे हैं। इसके माध्यम से प्रदेश के औद्योगिक विकास का सपना भी दिखाया जाता रहा है, लेकिन इस समिट से जमीनी स्तर पर कोई विशेष उपलब्धि हासिल नहीं हुई। बाद में पता चला कि प्रदेश में निवेश के अनुकूल माहौल ही नहीं था, इसलिए उद्योगपति समिट में तो शामिल हुए, लेकिन उन्होंने निवेश में रुचि नहीं दिखाई। कुछ तो प्रारंभिक रुकावटों से परेशान होकर प्रदेश को अलविदा कह गए।
शायद यही कारण था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले निवेश के अनुकूल माहौल बनाया, सरकारी मशीनरी को चुस्त-दुरुस्त किया, संबंधित मंत्रियों व अधिकारियों को तैयार किया, इसके बाद इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया। यही कारण था कि 2018 में प्रदेश में अभूतपूर्व इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन हुआ। फिर कुछ महीने बाद शिलान्यास समारोह का भी आयोजन हुआ।
अब इस वर्ष 28 जुलाई को दूसरा शिलान्यास समारोह लखनऊ में आयोजित हुआ है, जिसमें देश के गृहमंत्री अमित शाह मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। अमित शाह और योगी आदित्यनाथ द्वारा करीब पैसठ हजार करोड़ रुपये के ढाई सौ निवेश प्रस्तावों का शिलान्यास किया गया।
इस बीच योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। निवेश प्रस्तावों का शिलान्यास इसमें सहायक होगा। अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी, मेदांता ग्रुप के सीएमडी नरेश त्रेहन, एचसीएल टेक्नोलॉजी के एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेसीडेंट संजय गुप्ता, पेप्सिको इंडिया के चेयरमैन एवं सीईओ अल अहमद शेख और फ्लिपकार्ट के सीईओ कल्याण कृष्णमूर्ति आदि का इसमें योगदान रहेगा। ये सभी उत्तर प्रदेश में निवेश के अनुकूल माहौल बनने से उत्साहित हैं।
राज्य में कारोबार के अनुकूल स्थितियों का निर्माण किया गया है। पिछले ढाई वर्षों में योगी सरकार ने इस दिशा में कारगर कदम उठाए हैं। 2024 तक देश को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था तक पहुंचाने का लक्ष्य के केंद्र सरकार ने निर्धारित किया है। इसी के अनुरूप योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश को सहयोगी बनाने का निर्णय किया है। उनकी सरकार इस दिशा में तेजी से बढ़ भी रही है।
इंफ्रास्ट्रक्चर, ऊर्जा, कृषि, परिवहन के अलावा न्यू जनरेशन के डाटा सेंटर, एयरोस्पेस रक्षा आदि क्षेत्रों में बेहतर कार्य हो रहे हैं। एचसीएल ने लखनऊ में विश्व का सबसे बड़ा कैंपस बनाया है। कृषि आधारित खाद्य व्यवसाय को भी प्रदेश में प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इससे किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी। उत्तर प्रदेश औद्योगिक और नवाचार केंद्र के रूप में अपनी पहचान बनाने की दिशा में बढ़ रहा है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मामले में उत्तर प्रदेश पांचवें स्थान पर आ गया है।
इस दूसरे शिलान्यास समारोह में अनेक सत्र आयोजित किये गए। पर्यटन एवं फिल्म सत्र में सांसद व अभिनेत्री हेमा मालिनी, भोजपुरी फिल्म अभिनेता व सांसद रवि किशन, दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ, फिल्म निर्माता बोनी कपूर, निदेशक सुभाष घई और निशीथ चंद्रा शामिल हुए।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने औद्योगिक समूहों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों से भी संवाद भी किया। इसके पहले समारोह के लिए दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, जयपुर, बंगलूरू, अहमदाबाद समेत पचास एयरपोर्ट पर ब्रांडिंग गई थी। पहली ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी में जिन प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया गया था, इस शिलान्यास समारोह में उनकी प्रगति के वीडियो भी प्रदर्शित किए गए।
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने खाद्य प्रसंस्करण सत्र, उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सत्र, औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने डिफेंस एंड एयरो स्पेस, परिवहन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने पावर एवं रिन्यूएबल एनर्जी के सत्रों की अध्यक्षता की। इस दौरान प्रदेश के औद्योगिक विकास के लिए जो सुझाव व प्रस्ताव मिले उन पर त्वरित गति से काम करने का निर्णय किया गया।
योगी आदित्यनाथ ने केंद्र सरकार की प्रेरणा से विकास के अनेक कीर्तिमान स्थापित किये हैं। स्वच्छता, शौचालय निर्माण, प्रधानमंत्री निर्धन आवास निर्माण आदि के मामले में उत्तर प्रदेश नम्बर वन पर पहुंच गया है। यह उपलब्धि केवल दो वर्षों में ही हासिल हुई है। अब अगले चरण में योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। योगी ने कहा भी है कि देश का प्रत्येक पांचवा व्यक्ति उत्तर प्रदेश का है। ऐसे में उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था तक ले जाना हमारा कर्तव्य है।
यह लक्ष्य उत्तर प्रदेश में मौजूद संसाधनों के माध्यम से ही हासिल किया जा सकता है। इस विशाल प्रदेश में जितनी कृषि भूमि और जल संसाधन हैं, उसके सुनियोजित उपयोग से ही प्रदेश की स्थिति बदल सकती है। उत्तर प्रदेश की जमीन उर्वरा है। मृदा परीक्षण और वैज्ञानिक कृषि के द्वारा यह प्रदेश पूरी दुनिया का पेट भर सकता है। इसी के साथ योगी सरकार प्रदेश के औद्योगिक विकास की दिशा में भी तेजी से कार्य कर रही है। सर्वांगीण विकास के बल पर उत्तर प्रदेश न्यू इंडिया के निर्माण में सबसे बड़ा योगदान करेगा।
ऐसा नहीं कि योगी आदित्यनाथ इसके लिए अभी तैयार हुए हैं। वस्तुतः वह पद ग्रहण करने के तत्काल बाद से उत्तर प्रदेश को विकसित बनाने के काम में लगे हैं। इसके तहत उन्होंने कृषि और निवेश पर विशेष जोर दिया। इसमें उन्हें अभूतपूर्व सफलता भी मिली है। इन्वेस्टर्स समिट और प्रथम शिलान्यास समारोह की भांति यह दूसरा समारोह भी सफल रहा।
(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)