यह ट्रेन अत्याधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण है। इसमें जीपीएस पूरी तरह सक्रिय है। जीपीएस पर आधारित ऑडियो विजुअल पैसेंजर इंफार्मेशन सिस्टम, वाईफाई, हॉटस्पॉट, डुअल मोड लाइटिंग, सीटों में मोबाइल चार्जिंग पाइंट, बॉयोवैक्यूम शौचालय, ऑनबोर्ड इंटरनेट आदि खास सुविधाएं हैं। एक्जीक्यूटिव क्लास की सीटों पर पुशबैक होने और रिवॉल्विंग होने की भी सुविधा है। राजधानी और शताब्दी ट्रेनों की तरह ही इसके कोच में भी खाना गर्म करने के लिए एक पेंट्री की सुविधा है। बाहर के शोरगुल से पूरी तरह मुक्त रहने के लिए यह साउंड प्रूफ है। रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम की बदौलत इसमें बिजली की भी बचत होगी।
शुक्रवार का दिन भारत के इतिहास में दर्ज हो गया। देश को वंदे भारत एक्सप्रेस का उपहार मिला जो कि देश की पहली स्वदेशी, सेमी-हाईस्पीड ट्रेन है। भारतीय रेलवे के लिए भी यह उपलब्धि बहुत खास है क्योंकि इस प्रोजेक्ट पर लंबे समय से काम चल रहा था और इस अत्याधुनिक, सर्वसुविधायुक्त ट्रेन के आने से सार्वजनिक परिवहन को भी गति मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के रेल्वे स्टेशन से हरी झंडी दिखाकर इस ट्रेन को रवाना किया।
मालूम हो कि इस ट्रेन की यह अभी पहली रैक ही है। रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा आश्वस्त करते हैं कि अगले महीने दूसरी रैक भी बनकर तैयार होगी। नियमित रूप से यह ट्रेन दिल्ली से सुबह 6 बजे रवाना होकर दोपहर 2 बजे तक वाराणसी पहुंचाएगी। शुरुआत में इसे ट्रेन-18 के नाम से जाना जाता था लेकिन बाद में इसका नाम पूरी तरह से बदलकर वंदे भारत एक्सप्रेस कर दिया गया है।
यह भी एक विचारणीय बिंदु है कि देश में इतने व्यापक और समृद्ध रेल नेटवर्क में एक भी ऐसी ट्रेन नहीं थी जिसका उच्चारण सीधे राष्ट्र के जयघोष का आभास कराता हो। क्या यह एक सकारात्मक और सधी हुई शुरुआत नहीं है कि जब भी यात्री इस ट्रेन के संबंध में चर्चा करेंगे, यात्रा करेंगे तो वे बार-बार वंदे भारत का उच्चारण करेंगे।
अपने आरंभिक परीक्षण के कई दौर में यह ट्रेन 180 किलोमीटर प्रति घंटे की गति को हासिल करने में सफल रही है। दिल्ली से वाराणसी ट्रैक की स्थिति अपेक्षाकृत रूप से अनुकूल न होने के कारण इसे 160 किमी प्रतिघंटे की गति से चलाया जाएगा। यह देश की पहली सर्वाधिक स्पीड वाली ट्रेन है क्योंकि इससे पहले जिस ट्रेन को यह गौरव प्राप्त था वह ‘गतिमान एक्सप्रेस’ थी जो अधिकतम 150 किमी प्रतिघंटे की गति से चलती है।
राजधानी और शताब्दी ट्रेनों की सर्वाधिक गति 130 किमी प्रतिघंटा होती है। यह देश के लिए प्रसन्नता का विषय है कि वंदे भारत जैसी ट्रेन की परिकल्पना ना केवल साकार हुई बल्कि उसका संचालन भी सफलतापूर्वक शुरू हो चुका है। निश्चित ही यह तेज रफ्तार ट्रेन भारत की विकास यात्रा को भी पंख लगाते हुए हवा से बातें करेगी।
इस ट्रेन में कुल 16 वातानुकूलित कोच हैं। इनमें दो एक्जीक्यूटिव क्लास, जबकि 14 चेयरकार के हैं। प्रत्येक कोच दूसरे से पूरी तरह जुड़ा हुआ है और भीतर से देखने पर एक लंबा दृश्य दिखाई देता है। कोच की लंबाई भी ज्यादा है, जिस कारण यात्री क्षमता भी अधिक है। कुल 1128 यात्री इसमें एक बार में सवार हो सकते हैं।
इस ट्रेन में अधिक सीटों का होना भी एक बड़ी बात है। यह इसलिए संभव हो पाया है क्योंकि इसमें सीटों की व्यवस्था पूरी तरह से इलेक्ट्रिक उपकरणों को कोच के नीचे फिट करने से बनी है। इससे अतिरिक्त जगह मिली। मेट्रो ट्रेन जैसी दिखने वाली इस ट्रेन के दरवाजे पूरी तरह ऑटोमेटिक हैं और पायदान भी उसी प्रकार काम करते हैं।
यह ट्रेन अत्याधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण है। इसमें जीपीएस पूरी तरह सक्रिय है। जीपीएस पर आधारित ऑडियो विजुअल पैसेंजर इंफार्मेशन सिस्टम, वाईफाई, हॉटस्पॉट, डुअल मोड लाइटिंग, सीटों में मोबाइल चार्जिंग पाइंट, बॉयोवैक्यूम शौचालय, ऑनबोर्ड इंटरनेट आदि खास सुविधाएं हैं। एक्जीक्यूटिव क्लास की सीटों पर पुशबैक होने और रिवॉल्विंग होने की भी सुविधा है। राजधानी और शताब्दी ट्रेनों की तरह ही इसके कोच में भी खाना गर्म करने के लिए एक पेंट्री की सुविधा है। बाहर के शोरगुल से पूरी तरह मुक्त रहने के लिए यह साउंड प्रूफ है। रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम की बदौलत इसमें बिजली की भी बचत होगी।
वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का किराया शुरुआत में अधिक बताया गया था जिससे यात्रियों में निराशा थी। लेकिन बाद में सरकार ने यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए इसका किराया घटा दिया। इसमें नई दिल्ली से वाराणसी तक की यात्रा के लिए एसी चेयरकार का टिकट 1760 रुपए होगा, जो पहले 1850 रुपए तय हुआ था।
एक्जिक्यूटिव क्लास का किराया 3310 रुपए होगा जो पहले 3520 रुपए प्रस्तावित था। इसी तरह वापसी में चेयरकार का 1700 रु. और एक्जिक्यूटिव क्लास का 3260 रु. होगा। दोनों किराए में कैटरिंग शुल्क शामिल हैं। स्पष्ट है कि देश में सुपरफास्ट ट्रेनों की दिशा में यह एक बड़ी शुरुआत है। बुलेट ट्रेन की जो बात सरकार की तरफ से की जाती है, इस तरह की शुरुआतों से ही हम उस योजना के लिए भी तैयार होंगे।