यह सराहनीय है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने धार्मिक पर्यटन की कमियों की ओर गंभीरता से ध्यान दिया है। वह भावनात्मक रूप में भी इन स्थानों से जुड़े हैं। मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने अपनी भूमिका को विस्तार दिया है। अयोध्या में दीपावली, मथुरा और गोरखपुर में होली के माध्यम से उन्होंने धार्मिक पर्यटन के लिए सन्देश देने का भी काम किया है।
विश्व में ऐसे अनेक देश हैं, जिन्होंने पर्यटन को अपनी राष्ट्रीय आय का बड़ा साधन बना लिया है। इससे परोक्ष और अपरोक्ष रोजगार के जो अवसर मिलते है, वह अलग हैं। लेकिन पूर्व सरकारों द्वारा भारत मे इस क्षेत्र पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पर्यटन बढ़ाने के लिए अभियान शुरू किया है। उत्तर प्रदेश में सत्ता बदलने के बाद इस पर ओर गंभीरता से ध्यान दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस क्षेत्र में औपचारिकता के निर्वाह की नीति में बदलाव किया। वह खुद पर्यटन को बढ़ावा देने के अभियान में सक्रियता से शामिल हुए। पर्यटन के मामले में उत्तर प्रदेश बेजोड़ है। काशी, मथुरा, अयोध्या, सारनाथ, कुशीनगर की महिमा व प्रतिष्ठा पूरी दुनिया में है। स्वतन्त्रता के बाद से ही इन स्थानों को विश्वस्तरीय बनाने की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए था। लेकिन, पिछली सरकारों में इन्हें लेकर एक संकोच था, जिसके चलते इन पर्यटन केंद्रों की उपेक्षा हुई।
पर्यटन का विषय बहुत व्यापक होता है। धार्मिक पर्यटन से तो लोगों की आस्था जुड़ी होती है। सरकार उचित व्यवस्था न करे, तब भी लोग वहां पहुँचते ही हैं। ऐसे अनेक देवी स्थल हैं, जहाँ नवरात्रि जैसे अवसरों पर लोग बस व ट्रेन से पहुंचते हैं। लेकिन व्यवस्था न होने के कारण उन्हें सड़क किनारे किसी बाग आदि में रात्रि विश्राम को विवश होना पड़ता है। ऐसे दृश्य किसी भी तीर्थ में देखे जा सकते हैं। अब जो लोग काशी और क्वेटो को लेकर मोदी सरकार पर कटाक्ष करते हैं, वह अपनी जबाबदेही से बच नहीं सकते। सात दशक पहले आबादी कम थी। उस समय से सुनियोजित और सन्तुलित विकास किया जाता तो आज इतनी समस्या न होती। लेकिन जब प्राथमिकता में ही ये स्थान नहीं थे, तो धार्मिक पर्यटन स्थल का विकास कैसे हो सकता था।
कैसी बिडंबना थी कि सत्ता में बैठे दिग्गज अपने चुनाव क्षेत्र, गांव में तो चौबीस घण्टे बिजली आपूर्ति का फरमान जारी कर देते थे, किन्तु धार्मिक पर्यटन स्थलों के प्रति ऐसी उदारता नहीं दिखाई देती थी। केवल कुछ सड़के बना देते से पर्यटन के प्रति सरकारों की जिम्मेदारी पूरी नही होती। इसके लिए भावना का एक स्तर भी होना चाहिए। पहले इसका अभाव था। ऐसा नहीं कि क्वेटो प्राचीन काल से सुविधा संपन्न था। कुछ दशक पहले ही जापान की सरकार ने इस ओर ध्यान दिया। देखते ही देखते उसका सुनियोजित विकास हुआ। विश्व की सबसे प्राचीन नगरी काशी है। अयोध्या में श्री राम, मथुरा में श्री कृष्ण ने अवतार लिया। सारनाथ और कुशीनगर गौतम बुद्ध से जुड़े तीर्थ हैं। बीस से अधिक देशों की आस्था यहां से जुड़ी है। ये देश यहां के विकास से अपने को जोड़ना चाहते हैं। लेकिन हम इसका भी अपेक्षित लाभ नहीं उठा सके।
यह सराहनीय है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने धार्मिक पर्यटन की कमियों की ओर गंभीरता से ध्यान दिया है। वह भावनात्मक रूप में भी इन स्थानों से जुड़े हैं। मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने अपनी भूमिका को विस्तार दिया है। अयोध्या में दीपावली, मथुरा और गोरखपुर में होली के माध्यम से उन्होंने धार्मिक पर्यटन के लिए सन्देश देने का भी काम किया है।
लंका से विजय प्राप्त कर जब श्री राम अयोध्या वापस आये थे, तब दीपावली मनाई गई थी। योगी ने इस अवसर को जीवंत बनाने का प्रयास पिछली दीपावली में किया था। मथुरा में कई दिन पहले होली शुरू हो जाती है। श्री कृष्ण के नाम और बृज की होली के बिना यह त्योहार अधूरा होता है। योगी आदित्यनाथ मथुरा पहुंचे। होली खेली। फिर गोरखपुर आये। यहां भी परंपरा के अनुरूप आम जन के साथ होली मनाई। यहां वह गोरक्षपीठाधीश्वर भी हैं। इस रूप में वह विभिन्न त्योहारों की परंपरा का निर्वाह करते हैं। इस क्रम में गढ़मुक्तेश्वर को बिश्व स्तरीय आध्यत्मिक नगरी बनाने का निर्णय महत्वपूर्ण है। यह योगी आदित्यनाथ के प्रयासों का ही परिणाम है। इसके लिए मलेशिया की कम्पनी ने पांच हजार करोड़ रुपये का एमओयू किया है।
महाभारतकालीन गढ़मुक्तेश्वर पर्यटन का अंतराष्ट्रीय केंद्र बनेगा। इसे पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के आधार पर विकसित किया जाएगा। इसके गंगा किनारे स्थित इलाकों को सँवारा जाएगा। अस्सी सती स्तंभ, मुक्तेश्वर महादेव मंदिर, ब्रजघाट, नहुष कूप, मीराबाई की रेती सहित सभी दर्शनीय स्थानों का जीर्णोद्धार होगा। योगी आदित्यनाथ ने यहां की यात्रा करके शीघ्र कार्य शुरू करने के निर्देश दिए। इस ऐतिहासिक नगरी को आजादी के बाद ही विश्व स्तरीय पर्यटन का केंद्र बनाए जाने की जरूरत थी। राष्ट्रीय राजधानी के समीप ऐसा अकेला क्षेत्र है, जहाँ से गंगा नदी निकलती हैं।
इस प्रकार योगी धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की नीति पर भी अमल कर रहे हैं। अयोध्या की दीपावली और मथुरा की होली दुनिया के लिए आकर्षण का विषय बनेगी। योगी इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं। यह प्रयास यहीं तक सीमित नहीं हैं। बल्कि राम, कृष्ण और बुद्ध सर्किट निर्माण भी इस नीति से जुड़े हैं। यह योजना उत्तर प्रदेश के धर्मिक पर्यटन की तस्वीर बदल देगी। कुछ दिन पहले लखनऊ में हुई इन्वेस्टर्स समिट में भी पर्यटन को बढ़ावा देने वाले प्रस्ताव प्राप्त हुए।
समिट में आये अनेक विदेशी प्रतिनिधि इन स्थानों से जुड़ी अपनी भावनाओं को रोक नहीं सके। मॉरिशस के पूर्व प्रधानमंत्री और वर्तमान रक्षा मंत्री अनिरुद्ध जगन्नाथ लखनऊ में दो दिन रुके। उन्होंने बताया कि मॉरीशस की भावना के तार काशी, मथुरा, अयोध्या से आज भी गहराई तक जुड़े हैं। वहाँ प्रतीकात्मक रूप में ये स्थान बनाये गए हैं। जापान, कम्बोडिया, सिंगापुर आदि देशों के प्रतिनिधि सारनाथ और कुशीनगर के नाम से भावविह्वल थे। वह इन क्षेत्रों के विकास में सहयोग को तैयार हैं। योगी सरकार की नई पर्यटन नीति में भी रामायण सर्किट, कृष्णा, बुद्ध, बुंदेलखंड, महाभारत, शक्ति पीठ, सूफी और कबीर सर्किट, जैन सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट पर सरकार का फोकस होगा।’
इन सर्किटों के बीस किलोमीटर के दायरे में निवेश करने वालों को छूट देगी सरकार। पर्यटन नीति चौबीस विभागों के साथ मिलकर तैयार की गई है। इन्वेस्टर समिट में पर्यटन विभाग का दस हजार करोड़ रुपये का एमओयू हस्तांतरित हो चुका है। इस नीति के तहत वन विभाग से समझौता कर इको टूरिज्म पर काम किया जाएगा। इस नीति के तहत परिवहन विभाग खुद का लैंड बैंक भी तैयार करेगा। टूरिज्म पुलिस की संख्या भी एक सौ पचास से बढ़ाकर छह सौ तक ले जाने की कोशिश की जा रही है।
सरकार का फोकस रामायण सर्किट, कृष्णा, बुद्ध, बुंदेलखंड, महाभारत, शक्ति पीठ, सूफी और कबीर सर्किट, जैन सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट आदि पर होगा। इन सर्किट के बीस किलोमीटर के दायरे में निवेश करने वालों को सरकार छूट देगी। पर्यटन के लिए इस बार बजट में छह सौ सत्तासी करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
पर्यटन की नीतियां तो पहले भी बनती रही हैं। लेकिन, उत्तर प्रदेश के धार्मिक पर्यटन को जो स्थान मिलना चाहिए था, वह अबसे पूर्व नहीं मिल सका था। पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने यूपी की पर्यटन नीति से अपने को भावनात्मक रूप में जोड़ा है। इसका सकारात्मक परिणाम सामने आएगा। आशा है कि उत्तर प्रदेश के धार्मिक पर्यटन को उसकी गरिमा के अनुरूप दुनिया मे स्थान मिलेगा।
(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)