योगी सरकार की सख्ती से यूपी में टूट रही अपराधियों की कमर !

2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को उम्मीद से कहीं ज्यादा बहुमत देकर जनता ने विजयी बनाया इस उम्मीद के साथ कि यह सरकार प्रदेश में मौजूद असुरक्षा के वातावरण को समाप्त करेगी। आज उत्तर प्रदेश की जनता को अपने निर्णय पर बेहद ख़ुशी हो रही होगी, क्योंकि भाजपा-शासित उत्तर प्रदेश सरकार के कार्यकाल में 2,747 छोटे-बड़े अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा पुलिस और अपराधियों के बीच हुई 1,142 मुठभेड़ों में 38 से अधिक अपराधी ढेर हुए हैं। इनमें 1,728 से अधिक इनामी अपराधी भी शामिल हैं।

एक समय अपराध और असुरक्षा के लिए कुख्यात उत्तर प्रदेश अब अपराधियों की धरपकड़ के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है। यह तो किसी से छिपा नहीं है कि पिछले लगभग दशक-डेढ़ दशक के दौरान सपा-बसपा सरकारों के शासन में उत्तर प्रदेश अपराध का पर्याय बन गया था। दिनदहाड़े लूट, हत्या, वसूली, छेड़छाड़, बलात्कार, अपहरण जैसे गंभीर अपराधों को बेख़ौफ़ अंजाम दिया जाता था। वहीं पुलिस राजनीतिक दबाव के चलते कार्यवाही के नाम पर केवल इनामी बदमाशों की घोषणा करने का कार्य कर रही थी। इस हकीकत से न केवल उत्तर प्रदेश की जनता बल्कि देश के अन्य राज्य भी रूबरू थे।

इसलिए शायद 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को उम्मीद से कहीं ज्यादा बहुमत देकर जनता ने विजयी बनाया इस उम्मीद के साथ कि यह सरकार प्रदेश में मौजूद असुरक्षा के वातावरण को समाप्त करेगी। आज उत्तर प्रदेश की जनता को अपने निर्णय पर बेहद ख़ुशी हो रही होगी, क्योंकि भाजपा-शासित उत्तर प्रदेश सरकार के कार्यकाल में 2,747 छोटे-बड़े अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा पुलिस और अपराधियों के बीच हुई 1,142 मुठभेड़ों में 38 से अधिक अपराधी ढेर हुए हैं। इनमें 1,728 से अधिक इनामी अपराधी भी शामिल हैं।

2009 में फर्जी मुठभेड़ का आरोप लगने के बाद तत्कालीन राज्य सरकार ने पुलिस मुठभेड़ पर ही रोक लगा दी थी, जिससे पुलिस के हाथ बंध चुके थे। किसी विशेष समुदाय से होने पर अपराधियों को अधिक छूट भी मिल जाती थी। ऐसे में, पुलिस का काम केवल शिकायत दर्ज करने का रह गया था, जिसपर कार्यवाही या तो होती नही थी अथवा इतनी देर से होती थी कि अपराधी फरार हो जाते थे, जिनको खोजने का प्रयास नही किया जाता था। लेकिन, इस स्थिति में योगी सरकार के आते ही बेहद सकारात्मक बदलाव आया है। एक साल से भी कम समय में योगी सरकार द्वारा पुलिस को दी गयी छूट के बाद अब राज्य में असुरक्षा का माहौल धीरे-धीरे ख़त्म हो रहा है। अपराधियों में पुलिस का भय कायम होने लगा है।

पुलिस के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने एक पत्रिका को दिए बयानों में खुद यह स्वीकार किया है कि इस सरकार ने उन्हें जाति, धर्म, वर्ग को परे रखकर केवल कानून का पालन करते हुए अपराधियों पर खुली कार्यवाही करने की स्वतंत्रता दी है, जो सपा-बसपा की पिछली सरकारों ने कभी नहीं दिया था। लेकिन, अब जब पुलिस पर किसी प्रकार का दबाव नहीं, तो वह अपनी सुस्त छवि को सुधारने के साथ ही कानून व्यवस्था को बनाये रखने का अपना असल कार्य कर रही है। पुलिस अब पिछली सरकार के शासनकाल की तरह किसी मंत्री की गुमी हुई भैंस की खोज करने में सक्रिय न होकर अपने असल कार्य को अंजाम दे रही है।

पिछले दिनों जिस तरह की कार्यवाही और धरपकड़ पुलिस ने की है, उससे एक बात साफ़ होती है कि पिछली सपा-बसपा सरकारों में समस्या पुलिस के निट्ठलेपन से अधिक सरकारों में राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव की थी। इसके प्रमाण वर्तमान में हो रही अपराधियों से मुठभेड़ में मिलते हैं। राज्य पुलिस ने करीब 110 अपराधियों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट एवं राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत मुकदमा दर्ज किया है। वहीं 123 घोषित अपराधियों को गिरफ्तार करते हुए उनकी लगभग 123 करोड़ की संपत्ति को जब्त भी किया है।

चूंकि, पूर्वी उत्तरप्रदेश और बुंदेलखंड क्षेत्र काफ़ी पिछड़े और गरीब इलाके हैं, तो यहाँ सामान्य तौर पर ही अपराध अन्य इलाकों की तुलना में काफी कम है, मगर इसी बात का फायदा उठाते हुए अपराधी यहाँ पुलिस के साथ छुपन-छुपाई का खेल खेलते थे, जिसपर अब लगाम लग चुकी है। वहीं पश्चिमी उत्तरप्रदेश में मेरठ, नोएडा, गाज़ियाबाद, बागपत जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इन इलाकों में आए दिन फिरौती, लूट, हत्या व् संपत्ति से जुडी आपराधिक घटनाएं होती रहती थीं। बुंदेलखंड या अन्य क्षेत्र के अपराधी यहाँ आकर इन वारदातों को अंजाम देते थे और प्रशासन सुस्त पड़ा रहता था। आंकड़ों के मुताबिक अकेले पश्चिमी उत्तरप्रदेश में सर्वाधिक मुठभेड़ें हुई हैं, जिसमें 362 से अधिक मुठभेड़ें  केवल मेरठ में हुई हैं, जिनमें 19 बदमाश मारे भी गये। इससे साफ़ है कि पुलिस अपनी कार्यवाही करने में पहले भी सक्षम थी और अब भी सक्षम है। बस पहले राजनीतिक इच्छाशक्ति आज की तरह प्रबल नही थी।

अब अपराधी उत्तर प्रदेश से दूर भाग रहे हैं और दूसरे राज्यों में आत्मसमर्पण कर रहे हैं। पुलिस छोटे अपराधियों पर भी उतनी ही सख्ती से शिकंजा कसने में जुटी है, जितनी गंभीर अपराधियों के मामले में सक्रिय है। प्रदेश के मुख्यमंत्री व् उप-मुख्यमंत्री पहले भी इस बात का जिक्र कई बार कर चुके हैं कि व्यक्ति के लिए सुरक्षा सबसे अधिक आवश्यक है और इसके लिए उनकी सरकार प्रतिबद्ध है। कहने को तो ऐसी बातें पिछली सरकार के भी नेता कहते रहते थे, लेकिन मौजूदा सरकार ने जैसा कहा वैसा कर भी दिखाया है। इससे जनता में पुलिस के प्रति सम्मान और विश्वास में बढ़ोतरी होगी, साथ ही अपराधियों के हौंसले भी पस्त होंगे।

(लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)