कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान में वाक् युद्ध चलता रहा है, लेकिन अब मामला गंभीर हो गया है। भारत सरकार ने भी कश्मीर को साधने की नई नीति अख्तियार की है, जिससे पाक बौखला उठा है। यूँ तो पाकिस्तान अपनी आदतों से बाज़ नहीं आता। जब भी उसे किसी वैश्विक मंच पर कुछ बोलने का अवसर मिलता है तो वह कश्मीर का राग अलापकर मानवाधिकारों की दुहाई देते हुए भारत को कटघरे में खड़ा करने का कुत्सित प्रयास करता है। परंतु, अब स्थितयां बदल रहीं हैं, कश्मीर पर भारत सरकार ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए गुलाम कश्मीर में पाक सेना द्वारा किये जा रहे जुर्म पर कड़ा रुख अख्तियार किया है। साथ ही गुलाम कश्मीर की सच्चाई सबके सामने लाने की बात कही है।
गौरतलब है कि पहले संसद में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कश्मीर पर बात होगी लेकिन गुलाम कश्मीर पर, इसके बाद सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर को लेकर ऐतिहासिक बात कही है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर भी भारत का अभिन्न हिस्सा है। जब हम जम्मू–कश्मीर की बात करते हैं तो राज्य के चारों भागों जम्मू, कश्मीर, लद्दाख और गुलाम कश्मीर की बात करते हैं। प्रधानमंत्री के इस बयान के गहरे निहितार्थ हैं। एक समय तक हम बलूचिस्तान, मुज़फ्फराबाद समेत गुलाम कश्मीर के कई हिस्सों में पाक सेना के द्वारा वहां के स्थानीय नागरिकों के दमन उत्पीडन को मानवाधिकार हनन तक सीमित कर मौन हो जाते थे। जिससे वैश्विक मंच पर संकेत यह जाता था कि स्थिति भारतीय कश्मीर की ही खराब है गुलाम कश्मीर की नहीं, किंतु अब सरकार ने दो टूक कहा है कि गुलाम कश्मीर की सच्चाई समूचे विश्व के सामने लायी जानी चाहिए।
प्रधानमंत्री समेत भारत सरकार के अन्य मंत्रियों ने जबसे गुलाम कश्मीर की बात कही है, भारत में रहनें वाले समुदाय विशेष और तथाकथित सेकुलर लोगों के पेट में दर्द होना शुरू हो गया है। धीरे–धीरे इन लोगों की भावनाएं और खुलकर सामनें आएँगी। इसी कड़ी में कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने गुलाम कश्मीर को लेकर एक बेहद गैरजिम्मेदाराना और पाक परस्त बयान दिया है और कहीं न कहीं उनके इस बयान को कांग्रेस आलाकमान का मौन समर्थन भी प्राप्त होता दिख रहा है। अगर ऐसा न होता तो ऐसे बयान के लिए सलमान खुर्शीद पर कार्रवाई की गई होती। खैर, जिस पार्टी के नेता आतंकवादियों के प्रति ‘जी’ और ‘साहब’ जैसे आदरसूचक शब्द इस्तेमाल करते आएं हों, उस पार्टी के इस रवैये पर कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
कश्मीर को लेकर पाकिस्तान घड़ियाली आंसू बहाता रहा है, लेकिन अब वो पूरी तरह से बेनकाब हो चुका है। आतंकवाद और कश्मीर दोनों पर पाकिस्तान की कथनी और करनी का अंतर हम समझ चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी के बयान के बाद बौखलाए पाकिस्तान ने सीमा पर गोलीबारी की तो इधर पाक उच्चायुक्त के बोल भी बिगड़ गये, लेकिन पाक की इन सब नापाकियों को हर मोर्चे पर माकूल जवाब मिला तो वो ठण्डा हो गया। इन सब के बीच इयू और मानवाधिकार आयोग में बलूचिस्तान के प्रतिनिधि ने इलाके में मानवाधिकार का मसला उठाते हुआ कहा है कि जबसे नवाज शरीफ की सरकार आई है, बलूच के लोगों पर पाक सेना ने लगातार जुल्म किये हैं। दरअसल बलूचिस्तान 1948 से पाक के कब्जे में है और तभी से ही वहां आज़ादी की मांग समय–समय पर उठती रही है, इस विद्रोह को दबाने के लिए पाकिस्तान सैन्य अभियान भी चलाता रहा हैं।
बहरहाल इन दिनों पाक अधिकृत कश्मीर से खबरें आ रही है कि वहां के लोग पाकिस्तान सरकार की नीतियों से खुश नहीं हैं। वहां की आम जनता पाकिस्तान सरकार और सेना के विरोध में सड़क पर उतर आई है। दरअसल एक और आबादी पाकिस्तान से मुक्ति चाहती है, जो उसके दमन और उत्पीड़न से तंग आ गई है। यहाँ तक कि लोग न केवल सरकार के विरोध में नारें लगा रहे हैं, बल्कि गुलाम कश्मीर में लोग चीख–चीख कर भारत में शामिल होने की मांग भी कर रहें है। मोदी के बयान के बाद से पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) के लोगों में एक नई आस जगी है। गौरतलब है कि मोदी के बयान के अगले ही दिन गुलाम कश्मीर के लोगों ने पाक सरकार के विरुद्ध पुन: आवाज उठाई और राजनीतिक अधिकारों की मांग करते हुए पाकिस्तान के विरोध में जमकर नारेबाजी की। विरोध कर रहे लोगों ने सेना को गिलगित से बाहर करने की मांग की है। पाकिस्तानी सेना किस प्रकार से जुल्म कर रही है, इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि महज एक विरोध के चलते पांच सौ से अधिक लोगों को पाक सेना ने अपनी गिरफ्त में लिया, ये लोग पाक गुलामी से आज़ादी चाहते हैं। लेकिन वहां की सेना ने उनका जीना मुहाल कर रखा है। गुलाम कश्मीर में हो रहा यह विरोध प्रदर्शन उन गालों पर भी तमाचा है, जो भारत में रहकर पाक का झंडा फहरातें हैं। जम्मू-कश्मीर में तथाकथित मानवाधिकारों की दुकान चलानें वाला गिरोह भी गुलाम कश्मीर में हो रहे अत्याचार पर मौन है। हमें भूलना नहीं चाहिए कि ये वहीँ स्वयंभू समाजिक कार्यकर्ता हैं, जो कश्मीर में सेना की गोली से मारे गये आतंकवादी को हीरो बनानें की दुष्टता करते में कोई कोताही नहीं करते हैं।
प्रधानमंत्री समेत भारत सरकार के अन्य मंत्रियों ने जबसे गुलाम कश्मीर की बात कही है, भारत में रहनें वाले समुदाय विशेष और तथाकथित सेकुलर लोगों के पेट में दर्द होना शुरू हो गया है। धीरे–धीरे इन लोगों की भावनाएं और खुलकर सामनें आएँगी। इसी कड़ी में कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने गुलाम कश्मीर को लेकर एक बेहद गैरजिम्मेदाराना और पाक परस्त बयान दिया है और कहीं न कहीं उनके इस बयान को कांग्रेस आलाकमान का मौन समर्थन भी प्राप्त होता दिख रहा है। अगर ऐसा न होता तो ऐसे बयान के लिए सलमान खुर्शीद पर कार्रवाई की गई होती। खैर, जिस पार्टी के नेता आतंकवादियों के प्रति ‘जी’ और ‘साहब’ जैसे आदरसूचक शब्द इस्तेमाल करते आएं हों, उस पार्टी के इस रवैये में कुछ नया नहीं है। कांग्रेसियों की एक लंबी फेहरिस्त है, जो आतंकवादीयों और पाक के समर्थन में खड़ें रहतें है। बहरहाल, कांग्रेस आलाकमान की चुप्पी से कहीं घातक इन निष्पक्षता के झंडाबरदारों की चुप्पी है, जो बीजेपी के एक छोटे से नेता के भी जरा से भटके बयान पर ऐसा हौवा खड़ा करतें हैं जैसे आसमान गिर रहा हो और कांग्रेस आदि पार्टियों के नेताओं के ऐसे वाहियात वयानों पर निर्लज्ज मौन धारण कर लेते हैं। अगर हम कुछ देर के लिए मान लें कि यह बयान भाजपा के किसी छोटे कार्यकर्ता ने दिया होता तो अबतक ये निष्पक्षता के ठेकेदार इस बयान को लेकर खूब स्यापा मचाएं होते, यही नहीं अभी तक प्रधानमंत्री तक पर आरोप मढ़नें में तनिक भी देर नहीं लगाते। लेकिन, सलामन खुर्शीद के बयान पर इनकी निष्पक्षता को जैसे लकवा मार गया है। बहरहाल, भारत सरकार ने कश्मीर को लेकर जो नीति अब अपनाई है, वो काबिले-तारीफ हैं। पानी सर से ऊपर जा चुका है, सरकार ने इस बात को समझा है। बलूचिस्तान की आवाम भारत के साथ खड़ी है। पाक को करारा झटका लगा है। उसे भी यह अंदाज़ा हो गया होगा कि भारत की जनता ने एक मजबूत सरकार बनाई है, जो ईंट का जवाब पत्थर से देने में गुरेज नहीं करेगी।
लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।