महेंद्र अवधेश
इन दिनों देश का एक बड़ा तबका सुरेश प्रभु का कायल है। वजह एक हद तक वाजिब है। एक ट्वीट पर यदि कोई केंद्रीय मंत्री आपकी मदद के लिए अपने नुमाइंदे भेज दे तो आप नि:संदेह उसके मुरीद हो जाएंगे। यह सिर्फ कुछ लोगों को मदद पहुंचने का सवाल नहीं है, बल्कि यह व्यवस्था के प्रति जनसाधारण का भरोसा मजबूत करने का भी संदेश देता है। कभी किसी वृद्ध को ट्रेन से उतारने में मदद करना, कभी बच्चों को भोजन पहुंचाना, कभी किसी बच्ची के इलाज के लिए डॉक्टर उपलब्ध कराना, तो कभी स्टाफ द्वारा अभद्रता किए जाने पर सुरक्षाकर्मियों को भेजना आदि वे कार्य हैं, जो लीक से हटकर हैं। जनता से सीधे जुड़ाव का सुरेश प्रभु का यह कौशल नि:संदेह राहत देने वाला है। हाल में अपने कार्यकाल के दो साल पूरे होने के मौके पर नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा अपनी प्रमुख 15 योजनाओं के बारे में आम जनता से फीडबैक लिया गया। उसमें रेलवे को पहला स्थान मिला। गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले एक साक्षात्कार में सुरेश प्रभु ने बहुत बेबाकी से स्वीकार किया था कि रेलवे जर्नी ऑफ चैलेंज है। बकौल प्रभु विभाग को पारदर्शिता, सुरक्षित सफर और विभिन्न राज्यों के साथ तालमेल जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। आम लोगों को आरक्षित टिकट न मिलने और दलालों के वर्चस्व संबंधी शिकायतों के मद्देनजर कई टिकट एजेंटों-एजेंसियों के लाइसेंस निरस्त कर उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए हैं। सफाई के मामले में भी रेलवे की हालत में खासा सुधार आया है। बॉयो सप्ताह, ऑन बोर्ड क्लीनिंग एवं हमसफर सप्ताह जैसे कदमों ने यात्रियों को खासी राहत प्रदान की है। कहते हैं कि अगर मुखिया ठीक हो, तो पूरी जमात-पंचायत खुद-बखुद रास्ते पर आ जाती है। प्रभु की पहल निश्चित तौर पर ऐसे यात्रियों के लिए रामबाण साबित हो रही है, जो भारी-भरकम किराया अदा करने के बावजूद विपरीत स्थितियों से दो-चार होते हैं। जरा सोचिए उन स्कूली बच्चों ने रेल मंत्रलय और सुरेश प्रभु की छवि अपने मन में कैसी अंकित की होगी, जो नौ घंटे विलंब से चल रही कुंभ एक्सप्रेस में सफर कर रहे थे। बच्चे भूखे थे, उन्होंने रेल मंत्री को ट्वीट किया। नतीजतन वाराणसी कैंट स्टेशन पर उनके लिए पूड़ी-सब्जी, चावल-दाल और कॉफी-पानी का देखते ही देखते इंतजाम हो गया। वाराणसी-जोधपुर मरूधर एक्सप्रेस में यात्र कर रहे ज्ञानेश्वर कुमार के डेढ़ वर्षीय बच्चे को बुखार चढ़ने के बाद उल्टियां होने लगीं। उन्होंने एक सहयात्री के जरिये रेलमंत्री को ट्वीट कराया। उनके ट्वीट को सुरेश प्रभु ने पूरी गंभीरता से लेते हुए ट्रेन में डॉक्टर भेजकर बच्चे का इलाज कराया। एक ट्रेन में सफर करने वाली प्रिया पराशर ने रेल मंत्री को ट्वीट किया कि स्टाफ के एक सदस्य ने रेल नीर न देने पर किए गए सवाल के जवाब में उनके साथ अभद्र तरीके से बातचीत की। सुरेश प्रभु ने उनकी मदद के लिए आरपीएफ की टीम भेज दी। रेलमंत्री द्वारा मामले को संज्ञान में लेना प्रिया के लिए रेल नीर के सवाल पर मिले घटिया जवाब से उपजी पीड़ा पर निश्चित रूप से भारी पड़ा होगा। प्रिया की शिकायत पर रेल मंत्री का एक्शन इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण था, क्योंकि अक्सर ऐसी घटनाएं देखने को मिलती हैं, जिनमें सीधे-सीधे रेलकर्मियों और सुरक्षाबलों का हाथ रहता है। सुधार हो रहा है, नेतृत्व की मंशा भी जनहितकारी है, लेकिन अकर्मण्य, नाकारा और अवैध तरीके से अपनी जेबें भरने में माहिर तत्वों की पहचान करके उन्हें सबक सिखाने की सख्त जरूरत है, इस ओर भी सुरेश प्रभु का ध्यान अवश्य जाना चाहिए।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं, यह दैनिक जागरण राष्ट्रीय संस्करण में 18 जून को प्रकाशित हुआ है )