स्वामित्व योजना : ग्रामीण आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ी पहल

प्रधानमंत्री स्‍वामित्‍व योजना सिर्फ कानूनी दस्‍तावेज देने की योजना न होकर ग्राम स्‍वराज का अनुपम उदाहरण है। यह देश के लाखों गांवों में विकास और विश्‍वास का नया मंत्र है। इसका लक्ष्‍य देश के गांवों में लोगों को उनकी आवासीय जमीन का मालिकाना हक देना है। 

पिछले दिनों मध्‍य प्रदेश के 19 जिलों के तीन हजार गांवों के ग्रामीणों को स्वामित्व योजना के तहत उनकी प्रॉपर्टी से जुड़े 1.71 लाख डिजिटल अभिलेख–पत्र वितरित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अब वह जमाना पीछे छूट गया है जब गरीबों को अपने छोटे-मोटे सरकारी कामों के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्‍कर लगाना पड़ता था। अब सरकार खुद गरीब के पास चलकर आ रही है और गरीबों को सशक्‍त बना रही है।  

ई ग्राम स्‍वराज पोर्टल की शुरूआत की गई है। इस पोर्टल पर ग्राम समाज से जुड़ी सभी चीजों की जानकारी रहेगा। इस पोर्टल के माध्‍यम से किसान अपनी भूमि की जानकारी ऑनलाइन देख सकेंगे। स्‍वमित्‍व योजना के तहत लोगों की संपत्‍ति का डिजिटल विवरण रखा जाएगा। इसी के साथ विवादित जमीनों के मामले सुलझाने के लिए डिजिटल अरेंजमेंट की शुरूआत की गई है। 

उल्‍लेखनीय है कि प्रधानमंत्री ग्रामीण स्‍वामित्‍व योजना के तहत गांव के लोगों को उनकी आवासीय जमीन का मालिकाना हक दिया जा रहा है। जमीन की पैमाइश के लिए ड्रोन की मदद ली जा रही है। इसके अलावा गूगल मैपिंग जैसी तकनीक की भी मदद ली जा रही है।

जैसे-जैसे मैंपिंग सर्वे का काम पूरा होगा उसके बाद प्राप्‍त आंकड़ों को ई ग्राम स्‍वराज पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। फिर प्रापर्टी कार्ड बनना शुरू हो जाएगा जिसे जिला स्तर पर कैंप लगाकार जमीन के मालिकों को सौंप दिया जाएगा। इससे गांव वाले अपनी संपत्‍ति पर बैंक से लोन प्राप्‍त कर सकेंगे। 

कांग्रेसी सरकारों ने भले ही कहते रही हों कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है लेकिन आजादी के दशकों तक इस दिशा में कोई काम नहीं किया गया। गांवों में आवास के रिकॉर्ड डिजिटल नहीं किया गया। इससे देश भर में अनिश्‍चितता और अविश्‍वास का वातावरण बना रहा। 

मोदी सरकार की योजना है कि मार्च 2024 तक देश के सभी 6.2 लाख गांवों का भूमि उपयोग रिकार्ड डिजिटल बने। इससे न केवल जमीन संबंधी विवाद कम होंगे बल्‍कि वित्‍तीय तरलता को भी बढ़ावा मिलेगा। 

देश की 60 प्रतिशत जनसंख्‍या गांवों में रहती है इसके बावजूद ग्रामीणों के पास अपनी जमीन के स्‍वामित्‍व संबंधी प्रमाणपत्र नहीं है। गांवों की खेतिहर जमीन का तो रिकॉर्ड रखा गया लेकिन घरों पर ध्‍यान नहीं दिया गया।

आगे चलकर ग्रामीण संपत्‍तियों को कर के दायरे में लाया जाएगा। इस आमदनी से पंचायतों को उनके ग्रामीण क्षेत्र में बेहतर और कारगर सुविधाएं दी जाएंगी। 

सामाजिक आर्थिक रूप से सशक्त और आत्‍मनिर्भर ग्रामीण भारत को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री ने 24 अप्रैल 2020 को स्‍वामित्‍व योजना की शुरुआत की थी। इस योजना का धरातल पर तीव्र गति से क्रियान्वयन हो रहा है, जिसका परिणाम भी धीरे-धीरे दिखने लगेगा।

(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)