भारत की दो तिहाई आबादी गांवों में रहती है जहां अधिकतर लैंड रिकॉर्ड्स नहीं होते हैं जिस कारण प्रॉपर्टी को लेकर विवाद भी आम बात रहती है। ‘स्वामित्व योजना’ की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि, ‘यह देश को ‘आत्मनिर्भर बनाने’ की दिशा में बड़ा कदम है और दुनियाभर के विशेषज्ञों ने भी इस बात पर जोर दिया है कि संपत्ति स्वामित्व अधिकार देश के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं।’
कल देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ग्रामीण विकास की दिशा में महत्वपूर्ण ‘स्वामित्व योजना’ की शुरुआत की। मोदी सरकार की इस योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में जनता को उनकी जमीन के मालिकाना हक के सबूत के रूप में सरकार द्वारा कार्ड वितरित किया जाएगा।
ज्ञातव्य हो कि यह केंद्र सरकार के पंचायती राज मंत्रालय द्वारा क्रियान्वित की जाएगी। इस योजना की घोषणा 24 अप्रैल, 2020 को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा की गई थी। गौरतलब है कि ग्रामीण इलाकों में प्रॉपर्टी के स्वामित्व को लेकर झगड़े होना सामान्य घटना है और यह कई मामलों में वर्षों तक चलते रहते हैं। लेकिन, ऐसे मामलों में बड़ा नुकसान गरीब वर्ग का होता है। ‘स्वामित्व योजना’ के माध्यम से प्रमुख रूप से इस समस्या का निपटारा तो होगा ही, साथ ही यह ग्रामीण लोगों के सशक्तिकरण का माध्यम भी बनेगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा योजना की शुरुआत करने के साथ ही 1.32 लाख लोगों के मोबाइल फोन पर एसएमएस के माध्यम से प्रॉपर्टी कार्ड डाउनलोड करने की लिंक भेजी गयी। बहुत से व्यक्तियों के लिए यह एक सामान्य बात हो सकती है, लेकिन जिस गरीब को उसका मालिकाना हक़ प्रॉपर्टी कार्ड के माध्यम से मिला है, उसके लिए यह पल यादगार और सुकून देने वाला सिद्ध होगा।
इस योजना का क्रियान्वयन 2020 से 2024 तक किया जाएगा और इस दौरान 6.62 लाख गांवों को कवर किया जाएगा। यह केंद्र सरकार की योजना है, इसलिए इसे लागू करने के लिए नोडल एजेंसी पंचायती राज मंत्रालय है। राज्यों में इसे लागू करने के लिए राजस्व विभाग या लैंड रिकॉर्ड्स डिपार्टमेंट को नोडल विभाग बनाया गया है जो राज्य सरकार के पंचायती राज्य विभाग के सहयोग से इस योजना को लागू करेगा।
इस योजना को लागू करने में सर्वे ऑफ इंडिया तकनीकी सहयोगी के रूप में कार्य करेगा। ‘स्वामित्व योजना’ के जरिए लाभार्थी अपनी संपत्ति का वित्तीय रुप में इस्तेमाल कर सकेगा और बैंक से कर्ज या अन्य वित्तीय सुविधाएं भी प्राप्त कर सकेगा। इसके लागू होने के बाद ग्रामीण योजना के लिए जमीन के सटीक आंकड़े मिलेंगे और प्रॉपर्टी टैक्स के आकलन में भी सरकार को सहायता मिलेगी।
ज्ञातव्य हो कि योजना के पहले चरण में इसका लाभ छह राज्यों के 763 गांवों को मिलेगा। इसमें 346 गांव उत्तर प्रदेश, 221 हरियाणा, 100 महाराष्ट्र, 44 मध्य प्रदेश, 50 उत्तराखण्ड और 2 कर्नाटक से हैं। इस योजना के तहत ग्रामीण भारत में आवासीय जमीनों की ड्रोन के जरिए मैपिंग की जाएगी, जिससे गांवों में संपत्ति के स्वामित्व को लेकर स्पष्टता आएगी।
गौरतलब है कि भारत की दो तिहाई आबादी गांवों में रहती है जहां अधिकतर लैंड रिकॉर्ड्स नहीं होते हैं जिस कारण प्रॉपर्टी को लेकर विवाद भी आम बात रहती है। ‘स्वामित्व योजना’ की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि, ‘यह देश को ‘आत्मनिर्भर बनाने’ की दिशा में बड़ा कदम है और दुनियाभर के विशेषज्ञों ने भी इस बात पर जोर दिया है कि संपत्ति स्वामित्व अधिकार देश के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं।’
इस दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो महान विभूतियों लोकनायक जयप्रकाश नारायण और नानाजी देशमुख को उनकी जयंती पर याद किया और ‘स्वामित्व योजना’ की शुरुआत करते हुए ग्रामीण विकास के प्रति इनकी सोच की मिसाल दी।
ग्रामीण विकास और शिक्षा को समर्पित रहे महान समाजसेवी तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक, ‘भारत रत्न’ नानाजी देशमुख को याद करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि, ‘जब डॉक्टर कलाम, चित्रकूट में नानाजी देशमुख से मिले, तो नानाजी ने उन्हें बताया कि हमारे यहां आसपास के दर्जनों गांव, मुकदमों से पूरी तरह मुक्त हैं।
कोई कोर्ट-कचहरी नहीं है, कोई किसी के खिलाफ एफआईआर नहीं है। जब तक गांव के लोग विवादों में घिरे रहेंगे, तब तक वे न तो अपना विकास कर पाएंगे और ना ही समाज के विकास में भूमिका निभा पाएंगे।’
दरअसल ‘स्वामित्व योजना’ भी नरेन्द्र मोदी सरकार के ‘सबका-साथ, सबका-विकास’ के मूलमंत्र के तहत शुरू की जाने वाली महत्वपूर्ण योजना है, जो शोषित, पीड़ित व वंचित वर्ग की भलाई के लिहाज से बड़ा कदम है। भारत की आत्मा गांवों में बसती है।
परन्तु सच्चाई यही रही थी कि दशकों तक गांवों को उनके नसीब पर छोड़ दिया गया था। लेकिन पिछले 6 वर्षों में मोदी सरकार ने अनेक कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से गांवों को उनके हाल पर छोड़ने वाली सोच की बजाय गांवों को विकास से जोड़ने का काम किया है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)