बस कहने भर के लिए राष्ट्रीय पार्टी रह गयी है कांग्रेस !
कांग्रेस अब सिर्फ कहने को देश की एक राष्ट्रीय पार्टी रह गई है। वास्तव में तो वह एक ऐसे कालखंड में प्रवेश कर चुकी है, जहाँ वह अब सिर्फ छह राज्यों – कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, मिजोरम, मेघालय में अपने बूते पर और बिहार में जूनियर पार्टनर के तौर पर सत्ता में मौजूद है। वहीं मोदी और अमित शाह की जोड़ी का कमाल ऐसा है कि
इक्कीसवीं सदी के सबसे बड़े नेता के तौर पर प्रतिष्ठित होते नरेंद्र मोदी
महात्मा गांधी जननेता के रूप में एक ऐसा आदर्श रहे हैं, जिसके नज़दीक पहुँचना भी उनके बाद के किसी नेता के लिए सम्भव न हो सका। अब नरेंद्र मोदी ‘गांधी के बाद कौन’ वाले सवाल का जवाब बनने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं। पहले गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर और फिर देश के प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी ने अपना व्यक्तित्व नई ऊंचाई तक पहुंचा दिया है।
मोदी की भाषा पर सवाल उठाने से पहले अपनी गिरेबान में झांके कांग्रेस !
संसद का बज़ट सत्र चल रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस सत्र में दोनों सदनों के समक्ष अपना वक्तव्य रखा। अबसे पूर्व सदन में प्रधानमंत्री के जो भी संबोधन हुए थे, उनमें प्रायः विपक्षी दलों के प्रति उदार दृष्टि और सहयोग का आग्रह ही दिखायी दिया था। किन्तु, उनके विनम्र और उदार संबोधनों का कांग्रेस-नीत विपक्ष पर कोई विशेष प्रभाव पड़ता कभी नहीं दिखा। हर सत्र में विपक्ष का अनावश्यक असहयोग कमोबेश
आतंरिक लोकतंत्र से विहीन कांग्रेस
पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के बीच एक बेहद अहम खबर दब सी गई । चुनाव आयोग ने देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस को अपने आतंरिक चुनाव तीस जून तक करवाने का आदेश दिए हैं । चुनाव आयोग ने साफ तौर पर कहा है कि अब इसको और टालने की अनुमति नहीं दी जा सकती है । दरअसल 2015 के सितंबर से लेकर अब तक कांग्रेस पार्टी अपने आंतरिक चुनावों को टालने का अनुरोध दो
व्यक्तिवाद और परिवारवाद से ग्रस्त हो चुकी है कांग्रेस, पतन तो होना ही है!
वर्तमान केंद्र में भाजपा सत्ता में है जबकि विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा…