बिहार चुनाव ने सिद्ध किया कि देशहित की राजनीति को ही मिलेगा जनसमर्थन
बिहार चुनाव के परिणामों ने एक बार फिर सिद्ध किया है कि देश की राजनीति राजनेताओं के वोट कबाड़ने वाले हथकंडों से उबरने का प्रयत्न कर रही है।
बिहार चुनाव : पराजितों का ईवीएम राग शुरू
ईवीएम राग के गायन का एक लाभ यह है कि पराजित दल व नेतृत्व आत्मचिंतन से साफ बच निकलता है। पराजय का पूरा ठीकरा ईवीएम पर फोड़ कर वह निश्चिंत हो जाता है।
‘बिहार में का बा’ बनाम ‘बिहार में ई बा’ की पड़ताल
बिहार चुनाव में एक तरफ जहां नीतीश कुमार की विकास पुरुष वाली छवि है, वहीं दूसरी तरफ लालू राज को जनता आज भी भूलने को तैयार नहीं है।
‘बिहार अब लालू के लालटेन युग के अंधेरे से निकलकर एनडीए के विकास की रोशनी में चल रहा है’
बिहार अब लालू प्रसाद यादव एवं जनता दल के लालटेन युग वाले अंधेरे से बाहर निकल चुका है और नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की रोशनी में चल रहा है।
रामनाथ कोविंद : आईएएस की नौकरी छोड़ने से लेकर राष्ट्रपति बनने तक के संघर्षों की कहानी
बिहार के पूर्व राज्यपाल रामनाथ कोविंद आगामी 25 जुलाई को देश के 14 वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे। उन्होंने अपनी प्रतिद्वंद्वी पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार को बड़े अंतर से हराया है। कोविंद की यह जीत अपेक्षित ही थी। भाजपा और एनडीए कार्यकर्ताओं समेत कोविंद के गांव में भी लोगों ने जमकर जश्न मनाया और मिठाई बांटी। जीत की घोषणा के बाद उन्हें बधाइयों का तांता लग गया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
स्वच्छ छवि, सुलझा व्यक्तित्व और समन्वयकारी दृष्टि है रामनाथ कोविंद की सबसे बड़ी पूँजी
आम तौर पर राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच मधुर सम्बन्ध नहीं रहते हैं, लेकिन कोविंद और नीतीश कुमार का रिश्ता मधुर रहा। यह कोविंद के समन्वयकारी और सुलझे हुए व्यक्तित्व को दिखाता है। बिहार के स्थानीय पत्रकार बताते भी हैं कि कोविंद समन्वयकारी नेता हैं और सबके साथ मिलकर काम करने की कला में महारत रखते हैं। ऐसे में इस प्रश्न का कोई तार्किक आधार नहीं रह जाता कि उनका