किसान

खेती-किसानी की बदहाली के लिए जिम्‍मेदार हैं कांग्रेसी सरकारें

किसानों को खुशहाल बनाने के लिए मोदी सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र को अधिक संसाधनों के आवंटन, सिंचित रकबे में बढ़ोत्‍तरी, हर गांव तक बिजली पहुंचाने, मिट्टी का स्‍वास्‍थ्‍य सुधारने, खाद्य प्रसंस्‍कारण को बढ़ावा देने और उर्वरक सब्‍सिडी को तर्कसंगत बनाने जैसे ठोस जमीनी उपायों के बावजूद किसानों की स्‍थिति में अपेक्षित सुधार नहीं हो रहा है तो इसका कारण कांग्रेस द्वारा छोड़ी गई विरासत है। किसानों की बदहाली पर

मध्य प्रदेश: अबतक के कार्यकाल में हर मोर्चे पर नाकाम दिख रही कमलनाथ सरकार

मध्‍यप्रदेश में सत्‍ता परिवर्तन हुए दो माह से अधिक समय बीत चुका है। तीन बार सत्‍ता में रही भाजपा को बेदखल करके जब कांग्रेस सत्‍ता पर काबिज हुई तो इसका अर्थ यह निकाला गया था कि जरूर मतदाताओं ने बहुत उम्‍मीदों के साथ कांग्रेस को चुना है और भाजपा द्वारा बहुत सारे काम किए जाने के बावजूद ऐसे कौन से अधूरे काम रह गए थे जिसके लिए जनता ने कांग्रेस का चयन किया।

किसान सम्मान निधि : किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में एक कारगर कदम

प्रधानमंत्री ने इस योजना की शुरुआत गोरखपुर से की। किसानों के कल्याण की यह अभूतपूर्व योजना है। मोदी ने कहा कि जिन किसानों को आज पहली किश्त नहीं मिली है, उन्हें आने वाले हफ्तों में पहली किश्त की राशि मिल जाएगी।

किसानों की तकदीर बदलने वाला है ये बजट

किसानों की समस्या को दूर करने एवं कृषि से जुड़ी परेशानियों को कम करने के लियेकेंद्रीय बजट 2019-20 में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि बनाने की घोषणा की गई है,जिसके तहत छोटे और सीमांत किसानों को एक सुनिश्चित आय सहायता के रूप में दी जायेगी।

दलहन क्रांति : मोदी सरकार के प्रयासों से दालों के मामले में आत्मनिर्भर बनने की राह पर देश

भारतीय खेती की बदहाली की एक बड़ी वजह एकांगी कृषि विकास नीतियां रही हैं। वोट बैंक की राजनीति के कारण सरकारों ने गेहूं, धान, गन्‍ना, कपास जैसी चुनिंदा फसलों के अलावा दूसरी फसलों पर ध्‍यान ही नहीं दिया। इसका सर्वाधिक दुष्‍प्रभाव दलहनी व तिलहनी फसलों पर पड़ा। घरेलू उत्‍पादन में बढ़ोत्‍तरी न होने का नतीजा यह हुआ कि दालों व खाद्य तेल का आयात तेजी से

कांग्रेस की वोट बैंक की राजनीति को समझने की जरूरत

जब वोट बैंक और मुफ्तखोरी की राजनीति का इतिहास लिखा जाएगा तब उसमे कांग्रेस का नाम स्‍वर्णाक्षरों से अंकित होगा। जाति-धर्म, क्षेत्र-भाषा, अगड़े-पिछड़े, दलित-आदिवासी के नाम पर राज कर चुकी कांग्रेस पार्टी अब नये मोहरों की तलाश में है। मध्‍य प्रदेश, छत्‍तीसगढ़ और राजस्‍थान विधान सभा चुनावों में उसे एक नया मोहरा मिल गया- किसानों की कर्जमाफी।

बहुआयामी नीतियों से किसानों की आय दोगुनी करने की ओर बढ़ रही मोदी सरकार

मोदी सरकार का मकसद किसानों की समस्या का निदान करना है, न कि लोकलुभावन योजनाओं  के माध्यम से उन्हें लुभाना। उदाहरण के तौर वर्ष 2008 में कृषि कर्ज माफी का नारा दिया गया था, लेकिन 5 से 6 लाख करोड़ रुपये के कर्ज में से केवल 72,000 करोड़ रुपये का कर्ज माफ करने की घोषणा की गई और केवल 52,500 करोड़ रुपये माफ किया गया, जिसका

मध्य प्रदेश : किसानों के साथ छलावा साबित हो रही कांग्रेस की कर्जमाफी

मध्‍य प्रदेश में कांग्रेस की नवगठित सरकार अपने गठन के बाद से एक के बाद एक नकारात्मक कारणों से चर्चा में है। अब कर्जमाफी को ही लीजिये। मप्र में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने किसानों को लुभाने के लिए कर्जमाफी का लुभावना वादा किया था। जब कांग्रेस जीतकर सत्‍ता में आ गई तो वादे पूरे करने की सूची में कर्जमाफी सबसे शीर्ष क्रम पर थी।

सत्ता में आते ही उजागर होने लगा कांग्रेस का असली चेहरा

गंगा जल लेकर कर्जमाफी का वादा कर सत्‍ता में आई कांग्रेस पार्टी का असली चाल-चरित्र उजागर होने लगा है। किसानों की कर्जमाफी के लक्षण तो नहीं दिख रहे हैं, उल्‍टे उन्‍हें तीन-तीन दिन से यूरिया के लिए लाइन में खड़ा रहना पड़ रहा है। कांग्रेस के सत्‍ता में आते ही मध्‍य प्रदेश, राजस्‍थान, छत्‍तीसगढ़ में जमाखोर व बिचौलिए सक्रिय हो गए हैं। जो यूरिया भाजपा के शासन काल

स्वामीनाथन के बाद अब नाबार्ड ने भी माना कि मोदी राज में बढ़ी है किसानों की खुशहाली!

भ्रष्‍टाचार, तुष्‍टीकरण, धनबल-बाहुबल और जाति-धर्म की राजनीति कर सत्‍ता हासिल करने वाली सरकारों ने कृषि क्षेत्र के दूरगामी विकास की ओर कभी ध्‍यान ही नहीं दिया। यही कारण है कि खेती-किसानी की बदहाली बढ़ती गई। 1991 में शुरू हुई उदारीकरण की नीतियों में खेती-किसानी की घोर उपेक्षा हुई।