चुनाव

लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ कराने की ज़रूरत

संसद के वर्तमान सत्र में गत दिनों राज्यसभा में भारतीय राजनीति में चुनाव सुधार से जुड़े विविध पहलुओं पर व्यापक रूप से चर्चा हुई। पक्ष-विपक्ष दोनों तरफ से तमाम विचार आए। इसमें कोई दो राय नहीं कि भारतीय लोकतंत्र का विकास परंपरागत तौर पर तमाम सुधारों के माध्यम से हुआ है। अनेक बार अलग-अलग मसलों पर सुधार की आवश्यकता महसूस की गयी है और उन सुधारों को अमल में लाया गया है।

पंजाब की पराजय से सबक लें केजरीवाल

उत्‍तर प्रदेश विधान सभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की कामयाबी जितना चमत्‍कृत करती है, उतना ही पंजाब में आम आदमी पार्टी की नाकामी। यह नाकामी इसलिए भी महत्‍वपूर्ण बन जाती है क्‍योंकि दिल्‍ली की भांति केजरीवाल ने पंजाब में शपथ ग्रहण समारोह और चुनावी वायदों को पूरा करने का तिथिवार कार्यक्रम घोषित कर रखा था। इतना ही नहीं, पार्टी ने जीत का जश्‍न मनाने के लिए भारी-भरकम बंदोबस्‍त कि

ईवीएम पर सवाल उठाने की बजाय हार के कारणों पर आत्ममंथन करें विपक्षी दल

पांच राज्यों में चुनाव संपन्न हो गये हैं और परिणाम भी सबके सामने आ चुके हैं। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भाजपा प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने की तैयारी में है तो वही मणिपुर और गोवा में भाजपा की सरकारें बन चुकी हैं। यानी पंजाब के अलावा अन्य राज्यों के चुनाव में भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया है। स्पष्ट है कि जनता ने केंद्र की मोदी सरकार के लोक कल्याण से जुड़ी योजनाओं व विकासवादी एजेंडे के

मोदी-शाह के तिलिस्म से अबूझ विपक्ष

पांच राज्यों के चुनाव परिणाम आ गए हैं। हार-जीत के कयास अब नतीजों में तब्दील होकर देश के सामने है। पांच राज्यों में से दो, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड, जहाँ भाजपा के पास सत्ता नहीं थी उनमे भाजपा ने सत्ता में मजबूती से वापसी की है। पूर्वोत्तर भारत का एक राज्य मणिपुर, जहाँ भाजपा न के बराबर थी वहां भाजपा ने सबसे ज्यादा 36.3 फीसद वोट हासिल किया है और 21 सीटें भी हासिल की है। गोवा राज्य में