जीएसटी परिषद के ताजा ऐलान दिखाते हैं कि यह आम जनता के हितों के प्रति पूर्णतः सचेत सरकार है!
जीएसटी काउंसिल की 28वीं बैठक वित्त मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में हुई। इस बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले सरकार ने आम जनमानस को ध्यान में रखते हुए लिए। जीएसटी काउंसिल ने मध्यमवर्गीय परिवारों, छोटे एवं मझोले व्यापारियों को राहत देते हुए 88 वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी की दरों में कटौती की है, जिसके बाद टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन, मार्बल और
‘जीएसटी वही सरकार लागू कर सकती थी जो देशहित में यश-अपयश दोनों के लिए तैयार हो’
जीएसटी अब देश की एक सच्चाई है। कांग्रेस पार्टी अब इस पर लकीर पीटने का कार्य कर रही है। उसके द्वारा की जा रही नुक्ताचीनी से इतना तो साफ है कि वह कभी इसे लागू नहीं कर सकती थी। कांग्रेस इसे अपने शासन में इसे लागू नहीं कर सकी। यह शर्मिंदगी भी उसे परेशान कर रही है। इसे ‘गब्बर सिंह टैक्स’ बताना इसी मानसिकता को प्रदर्शित करता है।
जीएसटी का एक वर्ष : करदाताओं की संख्या में हुई अभूतपूर्व वृद्धि, कर चोरी पर लगी लगाम
केंद्र की मोदी सरकार ने पिछले साल देश में एक देश, एक टैक्स यानि गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) को संसद का विशेष सत्र बुलाकर लागू किया था। नए भारत के निर्माण, जो भ्रष्टाचार से मुक्त हो और ईमानदारी से युक्त हो, की दिशा में यह एक क्रांतिकारी पहल थी। अब इस पहल को एक वर्ष पूरे हो चुके हैं।
जीएसटी से बढ़ रहा केंद्र और राज्य सरकारों का राजस्व
पुरजोर विरोध एवं मशक्कत के बाद वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) 1 जुलाई, 2017 से लागू हो गया। शुरू में मुख्य तौर पर दरों और स्लैबों की संख्या को लेकर विपक्षी दलों ने विरोध किया, लेकिन सरकार ने इसे सकारात्मक रूप से स्वीकार करते हुए उनमें आवश्यकतानुसार संशोधन किया। इसके अलावा भी सरकार ने दूसरे जरूरी सुधार किये।
मोदी सरकार के आर्थिक सुधारों से बढ़ा कर संग्रह, विकास दर में हो रहा इजाफा !
निवेश एवं व्यय बढ़ाने की सरकारी कोशिशों की वजह से वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर पिछली सात तिमाहियों के सर्वाधिक स्तर 7.7 प्रतिशत पर पहुँच गई। उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2017-18 में आर्थिक वृद्धि दर मोदी सरकार के कार्यकाल के चार वर्षों में सबसे कम 6.7 प्रतिशत रही। हालाँकि, वित्त वर्ष 2017-18 की अंतिम तिमाही
आर्थिक मजबूती, पारदर्शी शासन और कल्याणकारी नीतियों के चार वर्ष!
विगत चार सालों में मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिये अनेक कदम उठाये हैं। देखा जाये तो मोदी सरकार द्वारा किये गये विकासात्मक कार्यों की एक लंबी फेहरिस्त है। नवंबर, 2016 में विमुद्रीकरण करने का निर्णय लेना मोदी सरकार द्वारा उठाया गया एक साहसिक कदम था। इस निर्णय से नकसलवाद, आतंकवाद, कालेधन एवं कर चोरी पर रोक तो लगी ही,
कर चोरी पर लगाम लगाने में कारगर साबित होगा ई-वे बिल !
इलेक्ट्रॉनिक वे बिल (ई-वे बिल) व्यवस्था फिर से शुरू की गई है। इस बार इस व्यवस्था को पूरी तैयारी के साथ उतारा गया है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की सफलता के लिये इस व्यवस्था का मजबूत होना जरूरी है। इस बार सरकार ने ई-वे बिल के कई नियमों को सरल बनाकर छोटे कारोबारियों को राहत देने की कोशिश की है। ई-वे बिल से छूट के दायरे को 10 किलोमीटर से बढ़ाकर 50 किलोमीटर किया गया है, जिसे छोटे
आर्थिक सर्वेक्षण : अर्थव्यवस्था में राजनीति तलाश रहे विपक्षियों के लिए बुरी खबर
इकॉनोमिक सर्वे एक महत्वपूर्ण आर्थिक दस्तावेज है, जिसके ज़रिये हमें पता चलता है कि देश की अर्थव्यवस्था किस दिशा की तरफ और किस गति के साथ दौड़ रही है। चीफ इकनोमिक एडवाइजर डॉ अरविन्द सुब्रमण्यम ने वर्ष 2017-18 के लिए अपने सर्वे के द्वारा एक ऐसी तस्वीर पेश की है जो सुन्दर, बेहतर और उम्मीदों से लबरेज़ दिख रही है।
राजस्व संग्रह में सुधार होने से मजबूत हो रही अर्थव्यवस्था
भले ही दिसंबर महीने में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह 910 अरब रूपये के लक्ष्य से थोड़ा-सा पीछे रह गया, लेकिन इतना तो साफ है कि जल्द ही इसका संग्रह उम्मीद के मुताबिक होने लगेगा। यह इसलिये भी लग रहा है, क्योंकि जीएसटी संग्रह अक्टूबर और नवंबर में क्रमश: 808.08 एवं 833 अरब रुपये रहा था और दिसंबर महीने में यह आंकड़ा पिछले दोनों महीनों से ज्यादा है। जीएसटी की चोरी रोकने के उपायों से
जीडीपी में वृद्धि से अर्थव्यवस्था पर सवाल उठा रहे विपक्ष के आरोपों की निकली हवा !
देश अर्थव्यवस्था के नए दौर से गुज़र रहा है। ऐसा समझें कि आर्थिक सुधारों के बाद देश में नई अर्थक्रांति का सूत्रपात हुआ है। नोटबंदी और जीएसटी जैसे बड़े आर्थिक सुधारों के बाद पूरे विश्व में भारत की साख भी बढ़ी है, रैंकिंग भी और अब वैश्विक परिदृश्य में भारत को एक मजबूत अर्थव्यवस्था वाले देश के रूप में देखा जा रहा है। पिछले दिनों मूडीज ने भारत की सॉवरेन रेटिंग भी बढ़ाई और ग्लोबल सॉल्युशन कंपनियों ने