तीन तलाक़ जैसी अमानवीय व्यवस्था के समर्थन में खड़े लोगों की शिनाख्त जरूरी
पिछले लगभग एक सप्ताह से ‘तीन तलाक़’ पर मची रार के बीच जो प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, जिस तरह से तमाम रोना-धोना मचा है, उसमें से छान कर तीन तरह की प्रतिक्रियाएं आप नमूने के तौर पर रख सकते हैं। पहली श्रेणी में वे मुसलमान हैं, जिनके मुताबिक ‘कुरान’ का ही आदेश अंतिम आदेश है, उसमें कोई फेरबदल नहीं किया जा सकता, चाहे कितनी भी विकृत प्रथा हो, उसको सुधारा नहीं जा सकता और