पश्चिम बंगाल : बीरभूम जिले में हुए नरसंहार पर खामोश क्यों हैं बुद्धिजीवी?
प बंगाल के लोग आतंक के साये में सिमटे- सहमे रहने के लिए बाध्य हैं। वहाँ के लोग स्वतंत्र वायु में साँस तभी ले सकते हैं जब वहाँ टीएमसी सरकार का शासन हटाया जाय।
मॉनसून सत्र : व्यर्थ हंगामा करके संसद को बाधित करने की संकीर्ण राजनीति से बाज आए विपक्ष
मॉनसून सत्र को एक सप्ताह से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन इस दौरान शायद ही कोई दिन ऐसा बीता हो जब विपक्षी सांसदों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही स्थगित न करनी पड़ी हो।
कभी गोत्र बताकर तो कभी मंदिर जाकर खिसकती जमीन बचाने की कोशिश में जुटीं ममता
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जो जय श्री राम के उद्घोष से नाराज हो जाती थीं, अब अपना गोत्र बताने लगी हैं।
देश की राजनीति की दिशा तय करेंगे पांच राज्यों के चुनाव
वर्तमान परिस्थितियों में इन राज्यों के चुनाव परिणाम ना सिर्फ इन राजनैतिक दलों का भविष्य तय करेंगे बल्कि काफी हद तक देश की राजनीति का भी भविष्य तय करेंगे।
बंगाल में विचारधारा को तिलांजलि दे तीसरे-चौथे स्थान की लड़ाई लड़ रहे कांग्रेस और वाम दल
केरल में जहां कांग्रेस-वाममोर्चा एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं वहीं बंगाल में दोनों साथ मिलकर चुनाव मैदान में हैं और सरकार बनाने के सपने देख रहे हैं।
मोदी सरकार के विकासवादी एजेंडे को अहमियत देती दिख रही पश्चिम बंगाल की जनता
मोदी सरकार की बढ़ती लोकप्रियता से घबड़ाकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मोदी सरकार की कई जनोपयोगी योजनाओं को राज्य में लागू नहीं कर रही हैं।
बंगाल चुनाव : विक्टिम कार्ड खेलकर मुद्दों से ध्यान भटकाने की नाकाम कोशिश करतीं ममता बनर्जी
बंगाल राज्य इन दिनों अराजकता और रक्तपात का गढ़ बन चुका है। वही बंगाल जिसकी मूल पहचान कला, साहित्य से थी, अब हिंसा, घृणा का पर्याय बन चुका है।
पश्चिम बंगाल : भाजपा की परिवर्तन यात्रा ने बढ़ाई ममता की परेशानी
भाजपा की इस परिवर्तन यात्रा को बंगाल चुनाव की बड़ी तैयारी के रूप में देखा जा रहा है। इस यात्रा के माध्यम से व्यापक जनसंपर्क अभियान को गति प्रदान की जाएगी।
बंगाल में बह रही बड़े राजनीतिक बदलाव की बयार
बंगाल के चुनावों की तैयारी करने से पहले ममता बनर्जी को देश में हुए ताज़ा चुनाव परिणामों पर नज़र डालनी चाहिए ताकि उन्हें वोटर का मनोविज्ञान समझने में आसानी हो।
अमित शाह के बंगाल दौरे के निहितार्थ
पिछले अनेक चुनावों में हमने देखा है कि अमित शाह ने जब भी कोई चुनावी लक्ष्य तय किया है, तो अधिकांश बार वे कामयाब रहे हैं। अबकी बंगाल की बारी है।