‘प्रणब मुखर्जी और सर संघचालक मोहन भागवत के विचारों का मूल भाव एक जैसा है’
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नागपुर में उदार व शाश्वत भारतीय चिंतन से प्रेरित विचार व्यक्त किये। इस चिन्तन के अभाव में उन लक्ष्यों को प्राप्त ही नहीं किया जा सकता, जिसका उल्लेख किया गया। उन्होंने पंथनिरपेक्षता, राष्ट्रवाद, बहुलतावादी समाज, सहिष्णुता जैसे शब्दों की चर्चा की। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी ऐसे ही समाज और राष्ट्र की आकांक्षा रखता है। इसी दिशा में उसके
प्रणब मुखर्जी की बातों पर संघ तो खरा उतरता है, मगर कांग्रेस नहीं
कांग्रेसी नेताओं की तमाम आपत्तियों और यहाँ तक कि अपनी बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी की चेतावनी को भी अनदेखा करते हुए देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी संघ के कार्यक्रम में पहुंचे और स्वयंसेवकों को संबोधित किए। जबसे प्रणब दा ने संघ के आमंत्रण को स्वीकृति दी थी, देश के राजनीतिक महकमे में एक उथल-पुथल का वातावरण बन गया था। भाजपा के खेमे प्रसन्नता देखी जा रही