सरकारी बंगलों में रहना और फिर उन्हें अपना बना लेना नेहरू-गांधी परिवार की पुरानी परिपाटी है
भारत सरकार के शहरी विकास मंत्रालय की ओर से पिछले दिनों कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को उनका सरकारी बंगला खाली करने का आदेश जारी किया गया है।
योजनाबद्ध ढंग से आपदा को अवसर बनाने में जुटी योगी सरकार
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आपदा को अवसर में बदलने का मंसूबा बनाया है। कोरोना से मुकाबले की उनकी कार्ययोजना इसका प्रमाण है।
संकट के समय भी चुनावी राजनीति में उलझी है कांग्रेस
आजादी के बाद से ही कांग्रेसी सरकारें गरीबों के कल्याण का नारा लगाकर अपनी और अमीरों की तिजोरी भरती रही हैं। यही कारण है कि बिजली, पानी, अस्पताल, सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं आम आदमी की पहुंच से दूर रहीं।
‘कोरोना से लड़ाई में योगी सरकार की कार्यकुशलता एक आदर्श मॉडल प्रस्तुत कर रही है’
योगी आदित्यनाथ इन श्रमिकों के वर्तमान पर ही ध्यान नहीं दे रहे हैं, बल्कि उनके लिए भविष्य की भी व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है। क्वारंटीन सेन्टर में प्रवासी श्रमिकों की स्किल मैपिंग की जा रही है जिससे होम क्वारंटीन पूरा करने के पश्चात उनके रोजगार की व्यवस्था की जा सके
बस प्रकरण : लोगों की ‘सेवा’ का दावा कर रही कांग्रेस की मंशा पर उठते हैं गहरे सवाल
सबसे महत्वपूर्ण बात एक हज़ार बसों के ऐलान के बाद प्रियंका गांधी की मंशा पर है। जिन बसों की कतारें मीडिया दिखा रही है जो कथित रूप से कांग्रेस पार्टी द्वारा मजदूरों को घर भेजने के लिए खड़ी हैं, उनमें राजस्थान सरकार के परिवहन विभाग की बसें भी शामिल हैं। यदि आपको यह कार्य करना था तो राजस्थान से जो बसें यहाँ कतारबद्ध की गयीं थी, उनमें राजस्थान से श्रमिकों को क्यों लेकर नहीं आया गया?
नेहरू-गांधी परिवार के चंगुल से निकले बिना कांग्रेस का उद्धार नहीं हो सकता
पिछले कुछ समय से कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष कौन है, ये बहुत से लोगों को ठीक से पता भी नहीं होगा। लोकसभा चुनाव के नतीजों ने कांग्रेस पार्टी को इतना हिला दिया कि तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कुछ समय के लिए अज्ञातवास पर ही चले गए, वापस आये तो इस इरादे के साथ कि वह कभी दोबारा कांग्रेस के अध्यक्ष नहीं बनेंगे।
कांग्रेस में बढ़ता ही जा रहा परिवारवादी राजनीति का वर्चस्व
ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस पार्टी छोड़ भाजपा में आने से साबित हो गया कि देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी परिवारवाद से बाहर निकलने को तैयार नहीं है। वैसे तो ज्योतिरादित्य सिंधिया की उपेक्षा के कई कारण हैं लेकिन सबसे अहम कारण है, कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी के लिए रास्ता साफ़ रखना।
भगवा पर प्रियंका गांधी के बेमतलब बोल
नागरिकता कानून की सियासत में भगवा रंग का उल्लेख अनुचित ही नहीं, अटपटा भी है। वैसे भी धर्म-संस्कृति पर सतही तौर पर बोलने से बचना चाहिए। योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री हैं, उनका विरोध सहज है। लेकिन सियासी मंसूबे के लिए भगवा पर बोलना उतना ही अनुचित है। कांग्रेस ने कुछ वर्ष पहले भगवा आतंकवाद शब्द गढ़ा था। ऐसा कहने वाले नेताओं को फजीहत
मोदी के सवालों पर कांग्रेस की खामोशी उसके राजनीतिक पाखण्ड की ही कलई खोलती है
अभी देश में नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर सरगर्मी है। इस क़ानून पर चल रहे हिंसक विरोध प्रदर्शन से इतर कांग्रेस आदि विपक्षी दलों का रवैया भी चिंतित करने वाला है। ऐसे में कल प्रधानमंत्री मोदी ने झारखंड के बरहेट में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस से कई सवाल पूछे
सिमटते दायरे के बावजूद आत्ममंथन से कतराती कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है। 2017 में जब राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बने थे तब देश को उम्मीद थी कि अब कांग्रेस में एक नए युग का सूत्रपात होगा और पार्टी पुरानी सोच से आगे बढ़ेगी। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिली करारी शिकस्त के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया