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आत्मनिर्भर भारत अभियान : दीनदयाल उपाध्याय के विचारों पर चल रही मोदी सरकार

दीनदयाल उपाध्याय का राजनीतिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक दर्शन भारतीयता के मूल से निकला हुआ दर्शन है, किन्तु वैचारिक मदभेदों के कारण देश में लंबे समय तक सत्ता में रहने वाली कांग्रेसनीत सरकारों ने उन विचारों की उपेक्षा की, जिसका दुष्परिणाम हम बढ़ते पूंजीवाद, व्यवस्थाओं के केन्द्रीकरण, आयात पर निर्भरता, असंतुलित औद्योगीकरण के रूप में देख सकते हैं।

कोरोना संकट से निपटने को देश सेवा में जुटी भाजपा

भारत में कोरोना संक्रमण के खतरे को मोदी सरकार ने बहुत पहले ही अनुभव कर लिया था। विदेश से वायु सेवा  के द्वारा भारत में आने वाले लोगों की विमानपत्तन पर जांच भी प्रारंभ हो गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने संक्रमण की रोकथाम के लिए प्रभावी उपाय किए हैं।

तीन सालों में स्वास्थ्य और क़ानून व्यवस्था दुरुस्त करने में कामयाब रही योगी सरकार

सरकार का गठन होने के तुरंत बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने किसानों के कर्ज को अपने वायदे के अनुसार माफ़ किया। एंटी रोमियो स्क्वायड के जरिये महिलाओं की सुरक्षा की दिशा में कदम बढ़ाया, वहीं अवैध बूचड़खानों को भी बंद कराया। ये सारे काम एक साथ ऐसे त्वरित गति से होने लगे कि लोगों की उम्मीद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बढ़ गई

योगी सरकार के तीन वर्ष: विकास के नए आयामों को छूता उत्तर प्रदेश

डेढ़ दशक की जातिवाद, भ्रष्टाचार और गुंडाराज वाले सपा-बसपा शासन से मुक्ति प्राप्त करने के लिए उत्तर प्रदेश की जनता 11 फरवरी 2017 से लेकर 8 मार्च 2017 तक ईवीएम में भाजपा के चुनाव चिन्ह कमल पर बटन दबा रही थी। परिवारवाद को समाजवाद पर हावी करने वाले अखिलेश यादव की सपा, प्रदेश की राजनीति में अप्रासंगिक चुकी कांग्रेस तथा राजनीतिक

दिल्ली हिंसा को लेकर मोदी सरकार पर उंगली उठाने से पहले अपनी गिरेबान में झांके कांग्रेस!

देश ने पिछले दिनों राजधानी में हिंसा का नंगा नाच देखा और अफसोस है कि ऐसे में भी कुछ विपक्षी दल महज राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए लाशों पर सियासत किए जा रहे हैं। बुधवार, 11 मार्च को संसद का सत्र हंगामाखेज था। इसमें दिल्‍ली के दंगों का मामला उठा लेकिन विपक्षी दल कांग्रेस ने हमेशा की तरह अपनी ओछी मानसिकता का परिचय देते हुए इसे अनावश्‍यक रूप से सांप्रदायिक बनाने की कोशिश की।

बंगाल में दो तिहाई बहुमत का दावा यूँ ही नहीं कर रहे अमित शाह, इसके पीछे ठोस कारण हैं

पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। इसके लिए राजनीतिक दलों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। राज्‍य की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस और केंद्र में सत्‍तारूढ़ भाजपा के बीच यहां मुख्‍य मुकाबला माना जा रहा है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बीते रविवार कोलकाता के शहीद मीनार मैदान से एक सभा को संबोधित करते हुए इस अभियान

पी. परमेश्वरन का जीवन-संदेश हमारी स्मृतियों में सदैव अमर रहेगा

समाज को संगठित, शक्तिशाली, अनुशासित और स्वावलम्बी करने के कार्य में जिन्होंने अपने जीवन का क्षण-क्षण और शरीर का कण-कण समर्पित कर दिया, ऐसे कर्म योगी माननीय परमेश्वरन जी अब हमारे बीच नहीं हैं।  लेकिन कभी आराम ना मांगने वाले, विश्राम ना मांगने वाले, ‘चरैवेति चरैवेति’ ऐतरेय उपनिषद का यह मंत्र अपने जीवन में एकात्म करने वाले परमेश्वरन जी हमारी

क्या दिल्ली चुनाव से पहले ही कांग्रेस अपनी हार स्वीकार कर चुकी है?

दिल्ली के चुनाव आज देश का सबसे चर्चित मुद्दा हैं। इसे भारतीय राजनीति का दुर्भाग्य कहें या लोकतंत्र का, कि चुनाव दर चुनाव राजनैतिक दलों द्वारा वोट हासिल करने के लिए वोटरों को विभिन्न प्रकार के प्रलोभन देना तो जैसे चुनाव प्रचार का एक आवश्यक हिस्सा बन गया है।

शरजील इमाम तो पकड़ा गया, अब क्या कहेंगे मनीष सिसोदिया?

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोधी रैली में भड़काऊ बयान देने के मामले में देशद्रोह के आरोपित शरजील इमाम को आखिरकार मंगलवार को बिहार के जहानाबाद जिले में उसके पैतृक गांव काको से गिरफ्तार कर लिया गया। बिहार पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय ने उसकी गिरफ्तारी की पुष्टि की। हालांकि उसके सरेंडर किए जाने की बातें भी सामने आईं लेकिन

शाहीन बाग : क्या मुस्लिम महिलाएँ और बच्चे अब विपक्ष का नया हथियार हैं?

सीएए को कानून बने एक माह से ऊपर हो चुका है लेकिन विपक्ष द्वारा इसका विरोध अनवरत जारी है। बल्कि गुजरते समय के साथ विपक्ष का यह विरोध “विरोध” की सीमाओं को लांघ कर हताशा और निराशा से होता हुआ अब विद्रोह का रूप अख्तियार कर चुका है। शाहीन बाग का धरना इसी बात का उदाहरण है। अपने राजनैतिक स्वार्थ के लिए ये दल किस हद तक जा सकते हैं