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त्रिपुरा चुनाव : भाजपा के पक्ष में दिख रहे जीत के सभी समीकरण !

तीन तरफ से बांग्लादेश से घिरे त्रिपुरा में 18 फरवरी को राज्य निर्माण के बाद से अब तक का सबसे बड़ा चुनावी घमासान होने जा रहा है। वामपंथियों के इस गढ़ को गिराने के लिए पहली बार भाजपा सीधे मुकाबले में आयी है, इन विधानसभा चुनावो ने पर्वतीय प्रदेश त्रिपुरा की हवा बदल दी है। भाजपा ने अपने मिशन पूर्वोत्तर के अगले पड़ाव के रूप में त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी है और इस कारण करीब

जयराम ठाकुर : चाय की दुकान चलाने से लेकर हिमाचल की सत्ता के शिखर पर पहुँचने तक

हिमाचल में सत्ता का बदलाव हुआ है और इस खूबसूरत बदलाव का स्वागत भी हो रहा है। कांग्रेस हार गई है और भाजपा की भारी जीत हुई है। इस बदलाव के क्रम में जो प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं, उनकी पृष्ठभूमि भी काफी रोचक है। मंडी के सेराज विधान सभा से एक ऐसा नेता उभर कर राष्ट्रीय परिदृश्य पर सामने आया है, जिनको देख कर देश के हर उस बच्चे को समाजसेवा और देशसेवा में आने का दिल करेगा, जो

गुजरात चुनाव में बदल गया भारतीय राजनीति का वैचारिक धरातल

हाल ही में संपन्न हुए गुजरात चुनाव वैसे तो भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में किसी राज्य के सामान्य चुनाव जैसा ही था, परन्तु एक राजनीतिक विश्लेषक की नज़र से देखा जाए तो स्पष्ट होता है कि शायद ये चुनाव सामान्य नहीं था। भारतीय राजनीती के वैचारिक परिद्रश्य से तो कतई ये चुनाव सामान्य नहीं था, कभी जिनके पूर्वजों ने सोमनाथ के जीर्णोद्धार का विरोध किया था, उनके वंशज उसी सोमनाथ बाबा के सामने साष्टांग

गुजरात चुनाव परिणाम : विकास की राजनीति के आगे चारों खाने चित हुई जातिवादी राजनीति !

हिमाचल को बचाने और गुजरात को पाने का कांग्रेसी सपना बिखर गया। उसकी झोली से एक राज्य और कम हो गया। इस बार उसकी उम्मीद बुलन्दी पर थी। जातिवादी आंदोलन के युवा नेताओं को गले लगाया। बड़े जतन से बनाई गई सेकुलर छवि में बदलाव के लिए प्रयास किए। लेकिन कोई भी नुस्खा काम नही आया। नोटबन्दी, जीएसटी, ईवीएम पर आरोप लगाने जैसे सभी अस्त्र-शस्त्र निरर्थक साबित हुए। इसका दूरगामी प्रभाव

गुजरात-हिमाचल चुनाव परिणाम : भाजपा का विकास पागल नहीं हुआ, अव्वल आया है !

गुजरात के नतीजे ऐतिहासिक रहे हैं। भाजपा का विकास पागल नहीं हुआ है, अव्वल आया है। गुजरात की जनता ने एक बार फिर जातिवाद की राजनीति के विष-बेल को उखाड़कर फेंक दिया है।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही देश के सबसे बड़े नेता हैं, यह गुजरात की जनता ने साबित करके दिखाया है। अब 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले यह नतीजे कांग्रेस को नासूर की तरह

यूपी निकाय चुनाव परिणामों से क्या सन्देश निकलता है!

गुजरात विधानसभा चुनाव से पूर्व भारतीय जनता पार्टी यूपी निकाय चुनावों की अग्निपरीक्षा में सफल रही। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव वाली लहर को निकाय चुनाव में भी भाजपा कायम रखने में कामयाब रही। उत्तर प्रदेश निकाय चुनावों के परिणामों ने कांग्रेस की जमीन कुछ हद तक गुजरात के लिए खिसका दी है। इन नतीजों में भविष्य के कई संकेत छिपे हुए हैं।

वामपंथी हिंसा का शिकार हुए संघ कार्यकर्ता आनंद, पी. विजयन के शासन में चौदहवीं हत्या

केरल में राजनैतिक प्रतिद्वंदियों के विरुद्ध पिन्नाराई सरकार की शह पर वामपंथियों के द्वारा लगातार की जा रही घात-प्रतिघात की राजनीति के विरुद्ध भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष के नेतृत्व में चली जनरक्षा यात्रा को अभी 1 महीने भी नहीं पूरे हुए थे कि संघ का एक और स्वयंसेवक फिर से वामपंथियों की रक्तरंजित राजनीति का शिकार हो गया है। त्रिसूर जिले के अंतर्गत नेन्मेनिक्करा निवासी संघ के कार्यकर्ता आनंद (26) की हत्या

हिमाचल चुनाव : वीरभद्र सिंह पर भारी पड़ते नजर आ रहे धूमल !

हिमाचल प्रदेश के मतदाताओं की एक खासियत रही है कि हर पांच साल के बाद वे सरकार बदल देते हैं। 9 नवम्बर को होने वाले चुनाव के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने पूरी ताक़त झोंक दी है। हिमाचल में बीजेपी की कमान प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल के हाथों में है, वहीं कांग्रेस के चुनावी अभियान की अगुवाई 83 वर्षीय वीरभद्र सिंह कर रहे हैं। बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार

गुजरात ने अगर 2014 को दोहरा दिया तो मिशन-150 जरूर प्राप्त करेगी भाजपा !

गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखों के एलान के साथ ही प्रदेश में सियासी पारा उफान पर है। आमतौर पर गुजरात की राजनीति में भाजपा और कांग्रेस दो ही दलों की सीधी लड़ाई रहती है। फिर भी अलग-अलग चुनावों के दौरान कुछ छोटे दलों का उभार देखने को मिलता रहा है। लेकिन अबतक के नतीजों का मजमून यही है कि गुजरात की राजनीति भाजपा बनाम कांग्रेस के इर्द-गिर्द ही रही है और लंबे समय से कांग्रेस का

स्क्रिप्ट राइटर नेता नहीं बनाते, नेता ‘परफॉर्म’ करके बना जाता है राहुल गांधी जी !

इन दिनों खबर मिल रही है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने स्क्रिप्ट राइटर बदल लिए हैं। अब वो लोग उनके लिए लिखने लगे हैं जो फिल्मों के लिए डायलॉग्स लिखते हैं और पहली कतार में बैठे लोगों की तालियाँ बटोरते हैं। राहुल गांधी सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए आजकल सस्ते फ़िल्मी हथकंडे का सहारा ले रहे हैं। चुटकुले, कहानियाँ और पहेलियाँ सुनाना उनका शगल हो गया है, जनता उन्हीं को सुनकर मनोरंजन