जयंती विशेष : दीनदयाल उपाध्याय के विचारों की प्रासंगिकता
दीनदयाल उपाध्याय राजनेता के साथ-साथ उच्च कोटि के चिंतक, विचारक और लेखक भी थे। इस रूप में उन्होंने श्रेष्ठ, शक्तिशाली और संतुलित रूप में विकसित राष्ट्र की कल्पना की थी। उन्होंने निजी हित व सुख सुविधाओं का त्याग कर अपना जीवन समाज और राष्ट्र को समर्पित कर दिया था। यही बात उन्हें महान बनाती है
भारत की सनातन संस्कृति एवं चिरंतन जीवन-पद्धति की युगीन व्याख्या है एकात्म मानववाद
उन्होंने मनुष्य का समग्र चिंतन करते हुए जिस दर्शन का प्रवर्त्तन किया, उसे पहले ‘समन्वयकारी मानववाद’ और बाद में ‘एकात्म मानववाद’ नाम दिया।
सांस्कृतिक अस्मिता को राजनीति के केंद्र में स्थापित करने वाले जननेता थे कल्याण सिंह
कल्याण सिंह का देहावसान राजनीति के एक युग का अंत व अवसान है। वे भारतीय राजनीति के शिखर-पुरुष के रूप में सदैव याद किए जाएंगे।
मोदी सरकार में संशयमुक्त हो राष्ट्रीय हितों का प्रभावी साधन बनी भारतीय विदेश नीति
भारतीय विदेश नीति में यह पहला ऐसा दौर है जब वैश्विक संगठनों, वैश्विक मंचों और बहुराष्ट्रीय घटनाक्रमों में भारत मूकदर्शक नहीं, इनका सक्रिय भागीदार है।
भाजपा : एक विचार की विजय यात्रा
1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई और इसका प्रथम अधिवेशन मुम्बई में आयोजित किया गया। इस अधिवेशन में पार्टी के अध्यक्ष के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी का भाषण ऐतिहासिक था। इसमें उन्होंने जो भविष्यवाणी की थी, वो आज सत्य सिद्ध हो चुकी है।
राष्ट्रीय नेता बनने का मोह छोड़ बंगाल की कानून व्यवस्था पर ध्यान दें ममता बनर्जी!
बंगाल का शासन ही ममता बनर्जी के राजनीतिक कद के निर्धारण की एकमात्र कसौटी है, जिसपर फिलहाल तो वे बुरी तरह से विफल नजर आ रही हैं।
कश्मीरी पण्डितों की पीड़ा पर अट्टहास केजरीवाल की अमानवीय राजनीति को ही दर्शाता है
जो केजरीवाल जे एन यू में भारत तेरे टुकड़े होंगे जैसे नारे लगाने वालों का समर्थन करते है, उनसे भारत की जनता इससे अलग की अपेक्षा भी क्या कर सकती है!
ममता के जंगलराज में जलता बंगाल
दुखद किन्तु सत्य यही है कि बंगाल में इन दिनों जंगलराज चल रहा है और ममता बनर्जी ने बंगाल को देश का सबसे बुरा राज्य में बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है।
पंजाब में प्रधानमंत्री की सुरक्षा में गड़बड़ी दिखाती है कि मोदी विरोध में कांग्रेस देश विरोध पर उतर आई है
मोदी विरोध करते-करते अब कांग्रेस देश विरोध पर उतर आई है। अभी तक के इतिहास में तो ऐसा नहीं देखा गया कि किसी राज्य में प्रधानमंत्री की सुरक्षा 20 मिनट के लिए संकट में आ जाए।
भगवान राम को काल्पनिक बताने वाले हिंदू-हिंदुत्व की बात किस मुंह से कर रहे हैं ?
राहुल गांधी ने जिस ढंग से हिंदुत्व को हिंदू से अलग करके स्वयं की परिभाषा थोपने की जो कोशिश की है, वह विचित्र और भ्रामक है।