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भाजपा की जीत से बौखलाए विपक्षी दलों का ईवीएम राग

‘विनाश काले विपरीत बुद्धि’ एक पुरानी और प्रचलित कहावत है, जो वर्तमान में ईवीएम को लेकर विपक्ष द्वारा मचाए जा रहे फ़िज़ूल के हंगामे पर एकदम सटीक बैठती है। एक तरफ यूपी की पराजय से सपा, बसपा तो दूसरी तरफ पंजाब में हुई हार से आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल

मोदी सरकार के नेतृत्व में परिवर्तन की ओर अग्रसर भारत

उत्तर प्रदेश के नतीजों के तुरंत बाद उमर अब्दुल्लाह ने कहा था कि “विपक्ष को अब 2024 की तैयारी करनी चाहिए; 2019 में उसके लिए खास उम्मीद नहीं है”। उमर अब्दुल्ला ने संभवत: वर्तमान राजनीति की उस हक़ीकत को स्वीकारने का प्रयास किया, जिसे पूरा विपक्ष कहीं न कहीं समझ तो रहा है, मगर स्वीकार नहीं रहा। यद्यपि 2019 अभी दूर है; परंतु जमीनी हकीकत और तमाम समीकरणों को देखते हुए पूरी संभावना

लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ कराने की ज़रूरत

संसद के वर्तमान सत्र में गत दिनों राज्यसभा में भारतीय राजनीति में चुनाव सुधार से जुड़े विविध पहलुओं पर व्यापक रूप से चर्चा हुई। पक्ष-विपक्ष दोनों तरफ से तमाम विचार आए। इसमें कोई दो राय नहीं कि भारतीय लोकतंत्र का विकास परंपरागत तौर पर तमाम सुधारों के माध्यम से हुआ है। अनेक बार अलग-अलग मसलों पर सुधार की आवश्यकता महसूस की गयी है और उन सुधारों को अमल में लाया गया है।

योगी सरकार के आते ही यूपी के शासन-प्रशासन की कार्य-संस्कृति में दिखने लगा बदलाव

उत्तर प्रदेश के 2012 के विधानसभा चुनावों में जब समाजवादी पार्टी को 224 सीटों का बहुमत प्राप्त हुआ था, तो जीत का जश्न इस कदर चला कि अखिलेश सरकार के तमाम मंत्रियों और समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं की जीत की खुमारी हफ़्तों तक नही उतरी थी। सपा कार्यकर्ताओं ने जश्न की खुमारी में काफी उत्पात मचाया था। यहाँ तक कि जश्न के दौरान एक व्यक्ति की मौत भी हो गयी थी; मगर उससे भी जश्न फीका नही पड़ा।

मुसलमानों को योगी का झूठा डर दिखाने वालों से सावधान रहने की ज़रूरत

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद से जिन्हें प्रदेश में मुसलमानों के लिए संकट दिखाई दे रहा है, वे लोग पूर्वाग्रह से ग्रसित तो हैं ही, भारतीय समाज के लिए भी खतरनाक हैं। उनके पूर्वाग्रह से कहीं अधिक उनका बर्ताव और उनकी विचार प्रक्रिया सामाजिक ताने-बाने के लिए ठीक नहीं है। योगी आदित्यनाथ को मुस्लिम समाज के लिए हौव्वा बनाकर यह लोग उत्तरप्रदेश का सामाजिक

हिंदू-मुस्लिम एकता की भव्य इमारत खड़ी करने का अवसर

भारत के स्वाभिमान और हिंदू आस्था से जुड़े राम मंदिर निर्माण का प्रश्न एक बार फिर बहस के लिए प्रस्तुत है। उच्चतम न्यायालय की एक अनुकरणीय टिप्पणी के बाद उम्मीद बंधी है कि हिंदू-मुस्लिम राम मंदिर निर्माण के मसले पर आपसी सहमति से कोई राह निकालने के लिए आगे आएंगे। राम मंदिर निर्माण पर देश में एक सार्थक और सकारात्मक संवाद भी प्रारंभ किया जा सकता है। भारत के मुख्य न्यायाधीश ने

पस्त संगठन और मस्त नेताओं के बीच बदहाल कांग्रेस

2014 के बाद से जब भी कोई चुनाव होता है और उसमें कांग्रेस को हार मिलती है तो राहुल गांधी के नेतृत्व को लेकर सवाल खड़े होने लगते हैं । राजनीतिक विश्लेषकों के अलावा कांग्रेस के नेता भी उनके नेतृत्व को लेकर प्रत्यक्ष तौर पर तो नहीं, लेकिन संगठन की चूलें आदि कसने के नाम पर सवाल उठाने लगते हैं । इसमें कोई दो राय नहीं है कि राहुल गांधी में एक सौ तीस साल पुरानी पार्टी की अगुवाई को लेकर कोई स्पार्क

भाजपा की यूपी विजय के सन्देश

उत्तर प्रदेश में विशाल बहुमत के साथ भाजपा सरकार आकार ले चुकी है। गोरखपुर के केंद्र से पूर्वांचल में अपनी एक अलग राजनीतिक पहचान करने वाले योगी आदित्यनाथ यूपी के मुख्यमंत्री के रूप में अपने 43 मंत्रियों के साथ शपथ ले चुके हैं। इस मजबूत सत्ता पक्ष के समक्ष राज्य में विपक्ष बस कहने भर के लिए रह गया है। सपा-कांग्रेस गठबंधन से लेकर बसपा तक सबको मिलाकर भी महज़ अठहत्तर सीटें ही

यूपी में योगी राज का मतलब

हरेक फैसले का अपना सांकेतिक महत्व होता है। हरेक संकेत के अपने राजनीतिक निहितार्थ। हरेक राजनीतिक निहितार्थ में भविष्य की तैयारी छुपी होती है। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य की कमान योगी आदित्यनाथ के हाथ में देकर भाजपा नेतृत्व और प्रधानमंत्री नरेंद्रभाई दामोदरदास मोदी ने संकेत दे दिए हैं कि भाजपा जड़ों से कभी हटी ही नहीं थी। भाजपा ‘सबका साथ, सबका विकास’ करेगी, लेकिन किसी

स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांतिकारी पहल है राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति

मोदी सरकार की केन्द्रीय कैबिनेट द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति – 2017 को मंज़ूरी दे दी गयी। इसके जरिए देश में सभी को निश्चित स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने का प्रस्ताव है। केंद्र सरकार की इस नीति के तहत अब देश का हर नागरिक स्वास्थ्य लाभ का हकदार होगा। दरअसल इस नीति की भूमिका सन 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आते ही तैयार कर दी गयी थी, जब इसके एक प्रारूप को जनसामान्य की राय के