दुनिया में भले आर्थिक सुस्ती हो, मगर भारत में बरकरार रहेगी विकास की तेज गति
महंगाई और विकास की सुस्त वृद्धि दर से विकसित देशों समेत दुनिया भर के अधिकांश देश मंदी की ओर बढ़ रहे हैं, जबकि भारत मजबूती से विकास की दिशा में अग्रसर है।
भगिनी निवेदिता : मार्गरेट नोबल से निवेदिता तक की यात्रा
स्वामीजी द्वारा बताई गयी सब चुनौतियों को स्वीकार करते हुए मार्गरेट नोबेल 28 जनवरी,1898 को अपना परिवार, देश, नाम, यश छोड़कर भारत आती हैंI
भारत की सनातन संस्कृति एवं चिरंतन जीवन-पद्धति की युगीन व्याख्या है एकात्म मानववाद
उन्होंने मनुष्य का समग्र चिंतन करते हुए जिस दर्शन का प्रवर्त्तन किया, उसे पहले ‘समन्वयकारी मानववाद’ और बाद में ‘एकात्म मानववाद’ नाम दिया।
समरकंद से निकला सार्थक संदेश
भारत की नजर से देखें तो समरकंद में हुए एससीओ सम्मेलन में भारत की भूमिका बेहद प्रभावी रही और प्रधानमंत्री मोदी ने अपने व्यवसायिक हितों को शीर्ष पर रखा।
चौथी औद्योगिक क्रांति का नेतृत्व करता भारत
कुल मिलाकर कहने का आशय है कि भारत अब अपनी पूरी क्षमता के साथ चौथी औद्योगिक क्रांति के कारवां को आगे बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए तैयार है।
इतिहास के आईने में : नेहरू की गलतियों का खामियाजा भुगतता भारत
प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री के रूप में नेहरू ने पड़ोसी देशों के साथ कई ऐसे समझौते किए जो आत्मघाती साबित हुए। एक-दो नहीं अनेक उदाहरण मिल जाएंगे।
मोदी सरकार की योजनाओं का दिख रहा असर, विश्व बैंक के अनुसार देश में कम हुई गरीबी
भारत में गरीबी पिछले एक दशक में 12.3 प्रतिशत कम हुई है। पिछले दो साल से महामारी की चुनौतियों से जूझते रहने के बावजूद गरीबी में कमी का यह आंकड़ा मन को सुकून देने वाला है।
देश की युवा-शक्ति के विषय में गुरूजी गोलवलकर के विचार
गुरूजी युवाओं द्वारा पूछे गए अनेक महत्वपूर्ण और सूक्ष्म प्रश्नों का बहुत ही सरलता से जवाब देते हुए अनेको बार उनका मार्ग प्रशस्त किया करते थे ।
वैश्विक मुश्किलों के बावजूद आर्थिक मोर्चे पर मजबूती से बढ़ रहा भारत
कृषि, औद्योगिक और सेवा क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन की निरंतरता से भी सुधार को बल मिल रहा है और अर्थव्यवस्था में मजबूती बने रहने की संभावना लगातार बरक़रार है।
स्वामी विवेकानंद : भारत का भारत से साक्षात्कार कराने वाले युगद्रष्टा संत
आदि शंकराचार्य ने संपूर्ण भारतवर्ष को सांस्कृतिक एकता के मज़बूत सूत्र में पिरोया, वहीं स्वामी विवेकानंद ने आधुनिक भारत को उसके स्वत्व एवं गौरव का बोध कराया।