ये भारतीय राजनीति में महिला सशक्तिकरण का स्वर्णिम काल है!
इस बार भारतीय जनता पार्टी का महिला मोर्चा एक ऐसे देशव्यापी अभियान के साथ आगे आया है जो निश्चित तौर पर सभी राजनीतिक दलों में महिलाओं की भूमिका को बदल देने वाला सिद्ध हो सकता है।
हर्षा की हत्या पर व्याप्त ‘सेक्युलर मौन’ से उठते सवाल
हर्षा ने फेसबुक पर अपनी एक पोस्ट के जरिए स्कूल में हिजाब के विरुद्ध स्कूल ड्रेस का समर्थन किया था, जिसके बाद 5 लोगों ने मिलकर उनकी चाकू मारकर हत्या कर दी।
कांग्रेसी विधायक और सपा सांसद के बयानों से फिर उजागर हुई विपक्ष की महिला विरोधी सोच
पहले कर्नाटक के कांग्रेसी विधायक ने दुष्कर्म पर बेहद आपत्तिजनक बयान दिया, इसके बाद सपा सांसद शफीकुर रहमान बर्क ने युवतियों के लिए अनर्गल बात बोली।
महिला सशक्तिकरण को नए आयाम देती मोदी सरकार
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल ने बिना किसी शोर-शराबे के महिलाओं को केंद्र में ला कर खड़ा किया है, जिसकी शुरुआत ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान से हुई थी।
कमलनाथ ने नया कुछ नहीं कहा, महिलाओं के प्रति कांग्रेस की सोच ही यही है
कांग्रेस पार्टी महिलाओं के नाम पर सिर्फ राजनीतिक रोटियां सेंकने का काम करती है। कांग्रेस के तमाम बड़े नेता समय-समय पर महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी करते रहे हैं
नए श्रम कानूनों के लागू होने से देश के आर्थिक विकास को लगेंगे पंख
उक्त श्रम क़ानूनों के लागू होने एवं इसके सही तरीक़े से सफलता पूर्वक क्रियान्वयन के बाद स्वस्थ, सुखी एवं संतुष्ट श्रमिक के सपने को भी साकार किया जा सकेगा
‘सशक्त नारी, समर्थ समाज’ के पथ पर अग्रसर योगी सरकार
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से “हर हाथ को काम हर घर को रोजगार” के तहत स्थानीय स्तर पर रोजगार प्रदान करने के लिए सरकार दृढ़ संकल्पित भी है
वादे निभाने में नाकाम रहने के बाद अब मुफ्तखोरी की राजनीति पर उतरे केजरीवाल
मुफ्तखोरी की राजनीति का आगाज मुफ्त बिजली से हुआ था और इसने राज्य विद्युत बोर्डों को खस्ताहाल कर डाला। गठबंधन राजनीति के दौर में भारतीय रेलवे की भी कमोबेश यही दशा हुई। अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली मेट्रो व बसों में मुफ्त यात्रा का प्रस्ताव देकर वोट बैंक की राजनीति को एक नया आयाम देने में जुट गए हैं।
जो दल ‘बलात्कार’ को ‘गलती’ मानता रहा हो, वो आजम के बयान को गलत मान ही कैसे सकता है!
जो दल ‘बलात्कार’ को ‘गलती’ मानता रहा हो, उसके लिए आजम का बयान आपत्तिजनक कैसे हो सकता है? आजम का बयान हो, चाहें अखिलेश-डिम्पल का उसके बचाव में उतरना हो, ये सब समाजवादी पार्टी के उसी बुनियादी संस्कार से प्रेरित आचरण है, जिसकी झलक सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के ‘लड़कों से गलती हो जाती है’ वाले बयान में दिखाई देती है।
ये देश आपकी शरीअत से नहीं, संविधान से चलता है मौलवी साहब!
हाजी अली दरगाह में महिलाओं के प्रवेश से सम्बंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे उच्च न्यायालय ने महिलाओं के हक़ में फैसला सुनाते हुए उन्हें दरगाह की मुख्य मज़ार तक जाने की अनुमति दे दी। लेकिन, दरगाह के ट्रस्ट ने अदालत के इस फैसले से नाखुशी जाहिर की है और इसके खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में जाने की बात कही है। अपनी इस बात के पक्ष दरगाह के लोगों के पास एक से बढ़कर एक कुतर्क