उर्जित पटेल के इस्तीफे पर बेवजह का शोर
सितम्बर, 2016 में जब उर्जित पटेल ने आरबीआई गवर्नर का पदभार संभाला था, तब मोदी विरोधी खेमा उन्हें मोदी का बेहद करीबी आदमी बता रहा था। कहा जा रहा था कि उर्जित को इसलिए लाया गया है ताकि वे सरकार की आर्थिक नाकामियों को ढँक सकें। हालांकि देखा जाए तो उर्जित के आने के समय भारतीय अर्थव्यवस्था किसी बुरी स्थिति में नहीं थी।
मोदी इफ़ेक्ट : ‘2014 तक आयकर भरने वाले 3.79 करोड़ थे, जो अब बढ़कर 6.85 करोड़ हो गए हैं’
सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) के अनुसार 1 करोड़ रूपये से अधिक आय अर्जित करने वाले करदाताओं की संख्या वित्त वर्ष 2017-18 में 68 प्रतिशत बढ़कर 1 लाख 40 हजार हो गई, जो वित्त वर्ष 2013-14 में 89 हजार थी। इस अवधि में एक करोड़ से अधिक आय दिखाने वाले करदाताओं में बड़े कारोबारी, फर्म्स, हिंदू अविभाजित परिवार आदि शामिल हैं। इधर,
राफेल के रूप में राहुल गांधी ने जो आग लगाई है, वो कांग्रेस के ही हाथ जलाएगी!
लोकसभा चुनाव नजदीक आते देख कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी ने आनन-फानन में राफेल के रूप में ऐसी आग सुलगाने का दुष्प्रयास किया है, जिसमें उनके व कांग्रेस के हाथ झुलसने के अलावा कुछ और परिणाम निकलता नहीं दिख रहा है। राफेल को लेकर राहुल के आरोपों में कितनी गंभीरता है, इसको समझने के लिए भारी-भरकम तथ्यों की आवश्यकता नहीं है।
भाजपा सरकारों ने तो पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम कर दीं, अन्य दलों की सरकारें कब करेंगी?
केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से आम आदमी को राहत दी है। केंद्र ने खुद तो उत्पाद शुल्क कम करके पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में ढाई रुपये की कमी की ही है, राज्यों से भी इतनी ही कमी करने की अपील की है। केंद्र सरकार की इस अपील के बाद भाजपा शासित लगभग सभी राज्यों ने पेट्रोल-डीजल का मूल्य ढाई रुपये कम करने का ऐलान कर दिया।
बाजार उधारी कम करने से आएगी राजकोषीय घाटे में कमी
नकदी और बॉन्ड यील्ड पर दबाव कम करने के लिये सरकार वित्त वर्ष 2018-19 में सकल बाजार उधारी में 700 अरब रुपये की कटौती करेगी, जिससे राजकोषीय घाटे में कमी आयेगी। अक्टूबर, 2018 से मार्च, 2019 के दौरान सरकार 2.47 लाख करोड़ रूपये बाजार उधारी को कम करेगी। पहली छमाही यानी अप्रैल, 2018 से सितंबर, 2018 की अवधि में सरकार बाजार उधारी को
विपक्षी क्यों नहीं समझ रहे कि आयुष्मान भारत को ठुकराना मोदी का नहीं, जनहित का विरोध है!
किसी भी देश के विकास की एक प्रमुख कसौटी यह होती है कि वह अपने देशवासियों को उच्च स्तर की स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने में कितना सफल है। इसमें भी जो गरीब तबका है, उस तक इन सुविधाओं की पहुंच आवश्यक है, क्योंकि स्वस्थ नागरिक ही सुदृढ़ और प्रगतिशील राष्ट्र की नींव रखते हैं।
महंगाई काबू करने में कामयाब रही मोदी सरकार
महंगाई पर भारत बंद का आयोजन करने वाले यह नहीं देख रहे हैं सैकड़ों जीवनोपयोगी वस्तुओं-सेवाओं की कीमतों भारी कमी दर्ज की गई है। जो दालें सौ से डेढ़ सौ रूपये किलो बिक रही थीं वे आज साठ से सत्तर रूपये किलो में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। चीनी 45 रूपये किलो से घटकर 30 से 32 रूपये प्रति किलो तक आ गई है। जो एलईडी बल्ब साढ़े तीन सौ रूपये का मिल रहा
ये आंकड़े बताते हैं कि मोदी सरकार की नीतियों से बढ़ रहे रोजगार के अवसर
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के अनुसार वर्ष 2018 में बेरोजगारी की दर भारत में 3.5 प्रतिशत रहेगी, जबकि चीन में यह 4.8 प्रतिशत होगी। आईएलओ की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 1 से 2 दशकों में भारत के सेवा क्षेत्र में बड़ी संख्या में रोजगार सृजित हुए हैं। इसके अनुसार भारत, बांग्लादेश, कंबोडिया और नेपाल में असंगठित क्षेत्र में करीब 90 प्रतिशत कामगार हैं, जिसमें
काले धन पर मोदी सरकार को कोसने वालों की बोलती बंद कर देंगे ये आंकड़े!
पिछले सप्ताह काले धन की बातें फिर से चर्चा में आ गईं। जिस अहम बिंदु का जिक्र छिड़ा वह यह रहा कि वर्ष 2014 के बाद से भारतीयों के विदेशों में जमा कथित कालेधन में कमी आई है। असल में राज्यसभा के सदन में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने यह अहम जानकारी प्रस्तुत की। स्विटजरलैंड की बैंकों में वर्ष 2014 से लेकर पिछले साल यानी 2017 तक तीन वर्ष की अवधि में इस
बैंकों के मर्ज को कम करने के लिये मोदी सरकार की सार्थक पहल
केंद्र सरकार ने पंजाब नेशनल बैंक सहित 5 सरकारी बैंकों में 113 अरब रुपये डालने का फैसला किया है, ताकि उन्हें नियामकीय पूंजी की जरूरतें पूरी करने में मदद मिल सके। केंद्र सरकार ने पिछले साल सरकारी बैंकों के पुनर्पूंजीकरण योजना के तहत 2.11 लाख करोड़ रुपये पूंजी डालने का फैसला किया था। यह निवेश उसी योजना का हिस्सा है। चूँकि, बैंक अपने अतिरिक्त टियर-1