पूर्वोत्तर को प्रगति की मुख्यधारा से जोड़ने में जुटी मोदी सरकार !
1947 में देश के बंटवारे ने कई ऐसे विभाजन पैदा किए जिन्होंने इस उपमहाद्वीप को पीछे धकेलने का काम किया। यदि पूर्वोत्तर की गरीबी, बेकारी, अलगाववाद, आतंकवाद की जड़ तलाशी जाए तो वह देश विभाजन में मिलेगी। 1947 तक पूर्वोत्तर का समूचा आर्थिक तंत्र चटगांव बंदरगाह से जुड़ा था लेकिन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के निर्माण से इस इलाके का कारोबारी ढांचा तहस-नहस हो गया। पूर्वोत्तर में जल
‘एक के बदले दस सिर’ लाने वाली बात पर मोदी एकदम खरे साबित हुए हैं !
गत वर्ष उड़ी हमले के बाद भारतीय जवानों ने जब सर्जिकल स्ट्राइक करके उसका बदला लिया था, तो देश में एक गजब के उत्साह और ऊर्जा का संचार हो उठा था। इसका कारण यह था कि तबसे पहले इस तरह की सैन्य कार्रवाई देश ने लम्बे समय से नहीं देखी थी। संप्रग सरकार के दस साल के कार्यकाल में देशवासियों ने सिर्फ पाकिस्तान द्वारा संघर्ष विराम के उल्लंघन से लेकर पाक-प्रेरित आतंकियों द्वारा हमलों के पश्चात् सत्तापक्ष
तीन तलाक प्रकरण में दिखी मोदी सरकार की दृढ़ता और संवेदनशीलता !
कुछ वर्ष पहले तक यह कल्पना करना भी मुश्किल था कि मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक पर न्याय मिलेगा। वोट बैंक से प्रेरित कथित सेक्युलर सियासत ऐसा होने नहीं देती। इसके लिए शाहबानों प्रकरण तक पीछे लौटकर देखने की जरूरत भी नहीं है। तीन तलाक के मसले पर कांग्रेस, कम्युनिस्ट, राजद, सपा, तृणमूल, बसपा आदि सभी ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी इसे
तीन तलाक बिल : मोदी सरकार का ऐतिहासिक सामाजिक सुधार
तीन तलाक जैसी कुप्रथा को लेकर आखिर सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठा ही लिया। लोकसभा में तीन तलाक का बिल ध्वनिमत से पारित होते ही सदन ने इतिहास रच दिया। मुस्लिम महिलाएं अपने आत्मसम्मान की यह लड़ाई सु्प्रीम कोर्ट में जीतने के बाद अब लोकसभा से भी जीत हासिल कर चुकी है। बिल के लिए तमाम संशोधन खारिज हुए और यह पारित किया गया। निश्चित ही भारतीय संसद और मुस्लिम कौम के इति
बिजली की बचत से बिजली क्रांति लाने की दिशा में बढ़ रही मोदी सरकार !
आजादी के बाद अन्य क्षेत्रों की भांति बिजली क्षेत्र का विकास भी विसंगतिपूर्ण रहा। गुणवत्तापूर्ण विद्युत् आपूर्ति हो या प्रति व्यक्ति खपत हर मामले में जमकर कागजी खानापूर्ति की गई। सबसे ज्यादा भेदभाव तो गांवों के साथ किया गया। बिजलीघर भले ही गांवों में लगे हों, लेकिन इनकी चारदीवारी के आगे अंधेरा ही छाया रहा। दूसरी ओर यहां से निकलने वाले खंभों व तारों के जाल से शहरों का अंधेरा दूर हुआ। इसी तरह उस गांव
मोदी सरकार के इन क़दमों से बढ़ेगी किसानों की आय !
कृषि क्षेत्र में अपेक्षित वृद्धि हेतु सरकार इस क्षेत्र की मौजूदा कमियों को दूर करना चाहती है। इस कवायद के तहत केंद्र सरकार ने हाल ही में चने और मसूर के आयात शुल्क में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है; वहीं तोरिया, जो मुख्य रूप से राजस्थान में पैदा होने वाली तिलहन फसल है, के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 9.5 प्रतिशत की वृद्धि की है। सरकार जल्द ही गेहूं के आयात शुल्क, जो मौजूदा समय में 20 प्रतिशत है, में भी बढ़ोतरी
उर्वरकों की कमी दूर करने में कामयाब रही मोदी सरकार !
कांग्रेसी सरकारें हर स्तर पर बिचौलियों-मुफ्तखोरों की लंबी-चौड़ी फौज खड़ी करने के मामले में कुख्यात रही हैं। जिन–जिन राज्यों में कांग्रेस की जगह जातिवादी सरकारें आई उन्होंने तो भ्रष्टाचार को राजधर्म बना डाला। यहां उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित राशन घोटाले का उल्लेख प्रासंगिक है, जिसमें सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अनाज से लदी मालगाड़ी गोंडा से सीधे बांग्लादेश पहुंचा दी गई थी। इसी तरह करोड़ों लोग फर्जी पहचान के
सिंचाई तंत्र को सुदृढ़ करने में जुटी मोदी सरकार
इसे पिछले साठ सालों में सरकारों की नाकामी ही माना जाएगा कि अमेरिकी उपग्रहों को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करने वाले देश की खेती-किसानी अभी भी “मानसून का जुआ” बनी हुई है। हर साल देश का कोई न कोई इलाका सूखे की चपेट में रहता है और सिंचाई के लिए पानी की किल्लत तो कमोबेश हर जगह बनी रहती है। इस विडंबना को दूर करने का बीड़ा प्रधानमंत्री मोदी ने उठाया है।
मोदी सरकार के आर्थिक सुधारों को वैश्विक स्वीकार्यता
पिछला सप्ताह केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के लिए काफी बेहतर रहा। एक तरफ़ सरकार और प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता को लेकर आया प्यू का सर्वेक्षण जहाँ मोदी और बीजेपी को आश्वस्त करता है, वहीं नोटबंदी और जीएसटी के बेज़ा विरोध में जुटे विपक्ष को अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने
मूडीज रेटिंग : सरकार के आर्थिक सुधारों से बढ़ी भारत की रेटिंग, भविष्य में और बढ़ने की संभावना !
अमेरिकी एजेंसी मूडीज ने 13 सालों के बाद भारत सरकार के स्थानीय एवं विदेशी मुद्रा जारीकर्ता साख का उन्नयन किया। भारत की साख को अपने वर्गीकरण में ऊँचा करते हुए मूडीज ने बीएए-2 श्रेणी में रखा है। पहले उसने भारत को इससे नीचे बीएए-3 श्रेणी में रखा था। मूडीज ने भारत के परिदृश्य को भी ‘स्थिर’ से ‘सकारात्मक’ कर दिया। स्थानीय मुद्रा के असुरक्षित साख को भी मूडीज ने बीएए-3 से उन्नयन करके बीएए-2 कर