मोदी

बनारस में प्रियंका गांधी के पीछे हटने का क्या है मतलब?

प्रियंका अगर बनारस से प्रधानमंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ लेती तो हार भले जातीं, लेकिन इससे कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार जरूर कर सकती थीं, मगर लड़ाई से ठीक पहले उम्मीद जगाकर पीछे चले जाने के फैसले से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में यह गलत सन्देश गया है कि वह खुद फैसला लेने में सक्षम नहीं हैं।

अदालत में माफ़ी और बाहर फिर वही झूठ-प्रपंच, राहुल की ये कुटिल-नीति जनता खूब समझती है!

क्या इस बात से इनकार किया जा सकता है कि कांग्रेस का सबसे बड़ा नेता झूठ का सहारा लेता है, गैर जिम्मेदाराना बयान देता है, सच्चाई को देश के सामने तोड़ मरोड़कर पेश करता है। यह तो अच्छा हुआ कि भाजपा नेता और वकील मिनाक्षी लेखी ने सच को देश के सामने लाने का काम किया और अदालत के माध्यम से सब कुछ देश के सामने आ गया।

‘चौकीदार चोर है’ का नारा उछालने के कारण अब बुरे फँसे राहुल गांधी

कोर्ट ने राहुल गांधी को लताड़ लगाते हुए सफाई मांगी और पूछा कि अदालत ने प्रधानमंत्री के खिलाफ ‘चौकीदार चोर’ जैसे शब्‍दों का प्रयोग कब किया है? इसकी सुनवाई स्‍वयं मुख्‍य न्‍यायाधीश रंजन गोगोई की बेंच ने की और कहा कि कोर्ट ने ऐसी टिप्‍पणी नहीं की है। राहुल ने कोर्ट के वक्‍तव्‍य को तोड़-मरोड़कर पेश किया है। कोर्ट ने राहुल को 22 अप्रैल तक जवाब पेश करने की मोहलत दी है और मीनाक्षी लेखी की याचिका पर 23 अप्रैल को सुनवाई होनी है।

‘खोट ईवीएम में नहीं, विपक्षी दलों की नीयत में है’

लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान हो चुका है, लेकिन देश में ईवीएम को लेकर विपक्षी दलों का विलाप थमने का नाम नहीं ले रहा। बीते रविवार को कांग्रेस, आप, टीडीपी आदि विपक्षी दलों द्वारा प्रेसवार्ता में कहा गया कि वे पचास प्रतिशत वीवीपैट पर्चियों का मिलान ईवीएम वोटों से करवाने की मांग लेकर सर्वोच्च न्यायालय में जाएंगे। गौरतलब है कि इससे पूर्व इक्कीस विपक्षी दलों की एक ऐसी ही याचिका को सर्वोच्च न्यायालय खारिज कर चुका है।

बिजली क्रांति: मोदी राज में हुई लालटेन युग की विदाई

एक बड़ी विडंबना यह है कि पूरा विपक्ष एक होकर जितना जोर नरेंद्र मोदी को हराने में लगा रहा है, उसका दसवां हिस्‍सा भी भाजपा को हराने में नहीं। आखिर मोदी के नाम पर विपक्ष को चिढ़ क्‍यों है इसे पिछले पांच वर्षों में नरेद्र मोदी के प्रयासों से देश में हुई अनेक विकासात्मक क्रांतियों में से एक बिजली क्रांति से समझा जा सकता है।

इजरायल के चुनाव में भी चर्चित और कामयाब रहा ‘चौकीदार’ अभियान

यह संयोग था कि इजरायल के आम चुनाव में भी चौकीदार पर खूब चर्चा हुई। इतना ही नहीं, यह मुद्दा कारगर भी हुआ। इसे उठाने वाले नेतन्याहू की सत्ता में वापसी सुनिश्चित हो गयी है। सत्तारूढ़ लिकुड पार्टी ने प्रधानमंत्री वेन्जामीन नेतन्याहू को ‘मिस्टर सिक्यूरिटी’ यानी चौकीदार के रूप में पेश किया था। देखते ही देखते यह चुनाव का सर्वाधिक चर्चित मुद्दा बन गया।  विपक्षी

‘चौकीदार को चोर बताने का राहुल गांधी का दाँव उल्टा पड़ गया है’

चौकीदार को चोर बताना राहुल गांधी को अब भारी पड़ेगा। नरेन्द्र मोदी ने इसे सुशासन और नेशन फर्स्ट की अवधारणा से जोड़ दिया है। इस आधार पर मोदी ने अपने पांच वर्षों के शासन का हिसाब दिया, साथ ही कांग्रेस के शासन को भी कसौटी पर रखा है, जिस पर आर्थिक गड़बड़ी के बहुत आरोप रहे हैं।

मजबूत सरकार से ही मजबूत बनेगा देश

राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने देश के चहुंमुखी विकास के लिए केंद्र में अगले दस साल के लिए एक स्‍थायी और निर्णायक फैसले लेने वाली सरकार की जरूरत बताई। उन्‍होंने कहा कि देश गठबंधन या अस्‍थिर सरकारों का जोखिम नहीं उठा सकता। सरदार वल्‍लभभाई पटेल स्‍मृति व्‍याख्‍यान के तहत “भारत-2030 : मार्ग के अवरोध” विषय पर बोलते हुए डोभाल ने

मिशन शक्ति: ‘देश अंतरिक्ष की महाशक्ति बन गया और विपक्ष मीनमेख निकालने में लगा है’

भारत ने अंतरिक्ष में मौजूद लो अर्थ सैटेलाइट यानी एलईओ को नष्‍ट कर दिया। ऐसा करने वाले देश अमेरिका, रूस और चीन थे और अब भारत भी इस विशेष समूह में शामिल हो गया है। निश्चित ही सभी देशवासियों के लिए बहुत गर्व का विषय है। इस उपलब्धि के साथ ही देश अमेरिका, रूस और चीन के बाद अंतरिक्ष की चौथी महाशक्ति बन गया है।

लोकसभा चुनाव : जनकल्याण के कार्य बनाम मोदी विरोध की नकारात्मक राजनीति

लोकसभा चुनाव की शुरुआत हो चुकी है, सभी राजनीतिक दल अपने–अपने ढ़ंग से अपनी पार्टी का प्रचार कर जनता का समर्थन पाने की कवायद में जुटे हुए हैं, किन्तु इस महान लोकतांत्रिक देश में मतदाता अब सभी राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों को अपनी अपेक्षाओं की कसौटी पर कसने लगे हैं।