मोदी

क्यों कहा जा रहा कि मोदी को हराने के लिए पाकिस्तान से भी गठबंधन कर लेगी कांग्रेस?

भारत में लोक सभा चुनाव से पहले की सियासत पूरी तरह से पक चुकी है। यहाँ हर राजनीतिक दल के लिए मौका है कि वह अपनी नीतियों को लेकर जनता के बीच जाए। लेकिन सत्ता से बाहर हुई कांग्रेस कुछ ज्यादा ही बेचैन दिख रही। येन-केन-प्रकारेण सत्ता हथियाने के लिए वह हरसंभव हथकंडे अपना रही है।

क्या मोदी के विकासवादी एजेण्डे के कारण रची जा रही थी उनकी हत्या की साजिश?

बीते सप्‍ताह प्रधानमंत्री मोदी की हत्‍या की साजिश का मामला चर्चा में रहा। यदि इस मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई होती तो इस मामले को अटकल ही समझा जाता। लेकिन अब चूंकि आरोपी पकड़े जा चुके हैं, साजिश का पत्र सामने आ चुका है, ऐसे में इस पर संदेह करने का अब कोई कारण नहीं बनता है।

99 प्रतिशत नोटों के वापस आ जाने से नोटबंदी विफल कैसे हो गयी?

भारतीय रिजर्व बैंक ने 29 जुलाई को 1 जुलाई, 2017 से 30 जून, 2018 की अवधि की अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट के मुताबिक बड़े मूल्य वर्ग की मुद्रा, जिसमें 500 और 2000 रूपये के नोट शामिल हैं का कुल मुद्रा संरचना में 80.6% हिस्सा है। विमुद्रीकरण के पहले बड़े मूल्य वर्ग की मुद्रा, जिसमें 500 और 1000 रूपये के नोट शामिल थे का कुल मुद्रा संरचना में

स्वामीनाथन के बाद अब नाबार्ड ने भी माना कि मोदी राज में बढ़ी है किसानों की खुशहाली!

भ्रष्‍टाचार, तुष्‍टीकरण, धनबल-बाहुबल और जाति-धर्म की राजनीति कर सत्‍ता हासिल करने वाली सरकारों ने कृषि क्षेत्र के दूरगामी विकास की ओर कभी ध्‍यान ही नहीं दिया। यही कारण है कि खेती-किसानी की बदहाली बढ़ती गई। 1991 में शुरू हुई उदारीकरण की नीतियों में खेती-किसानी की घोर उपेक्षा हुई।

केरल पर कुदरत का कहर, कंधे से कंधा मिलाकर मददगार बनी केंद्र सरकार

केरल में इन दिनों प्राकृतिक आपदा आई हुई है। लगभग आधे से अधिक राज्‍य भीषण बाढ़ के प्रकोप में है। अभी तक यहां 300 से अधिक लोगों की मौत बाढ़ के चलते हुई है। सैकड़ों की संख्‍या में लोग बेघर हो गए हैं। एक अनुमान के मुताबिक जान-माल के नुकसान का आंकड़ा 20 हज़ार करोड़ तक पहुंच चुका है। निश्चित ही केरल की यह आपदा इस सदी की सर्वाधिक भीषण

भारतीय राजनीति के अजातशत्रु का अवसान

आपने पिछले बार दिल्ली की सडकों पर ऐसा विशाल जनसैलाब कब देखा? किसी नेता के लिए ऐसा अपार प्यार, स्नेह और इज्ज़त आपने कब देखा? यह याद रखिए अटल जी ने एक ऐसे समय में सियासत की थी, जब कोई सोशल मीडिया नहीं थी, लेकिन इसके बावजूद लाखों-करोड़ों  लोगों के दिल में उनकी प्रतिमा स्थापित रही। अब पूरे देश के सामने यह उदाहरण है कि

बदलते दौर में मोदी की रवांडा यात्रा का मतलब

रवांडा मध्य और पूर्वी अफ्रीका में सबसे छोटे देशों एक संप्रभु राज्य है। विषुवत रेखा रवांडा युगांडा, तंजानिया, बुरुंडी और कांगो के लोकतांत्रिक गणराज्य से घिरा हुआ है। पूर्व में अपने जातीय समुदायों के हिंसक टकराव के कारण विश्व मीडिया की नजरों में आने वाला रवांडा अब अपने तीव्र विकास के लिए जाना जाता है। रवांडा अफ्रीका के सबसे तेज विकास करने वाले देशों में है।

‘पत्रकारों का एक ऐसा वर्ग है जिसके लिए देश की सब समस्याएँ 2014 के बाद ही पैदा हुई हैं’

किसी भी पत्रकार को अपनी निष्पक्षता या महानता के ढिंढोरा पीटने की आवश्यकता नहीं होती, यह निर्धारण समाज स्वतः ही कर लेता है। इतना तय है कि पूर्वाग्रह से पीड़ित व्यक्ति कभी निष्पक्ष नहीं हो सकता। वह भी एक प्रकार के एजेंडे पर ही चलता है। जिसके प्रति उंसकी कुंठा होती है, उसमें भूल कर भी उसे कोई अच्छाई दिखाई नहीं देती। ऐसे लोग जब किसी न्यूज़ चैनल से

देश के हर कोने को सड़कों से जोड़ने में जुटी है मोदी सरकार

सत्‍ता संभालने के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में सड़क निर्माण को प्राथमिकता दे रहे हैं। उनकी कोशिशों का ही नतीजा है कि शुरूआती चार साल में ही सरकार 28,531 किलोमीटर सड़क (हाईवे, एक्‍सप्रेसवे) बनाने में कामयाब रही है। दूसरी ओर इससे पहले की संप्रग सरकार अपने आखिरी चार साल में केवल 16,505 किलोमीटर सड़कों का ही निर्माण कर पाई थी। यह

कांग्रेस पिछड़े वर्ग की कितनी हितैषी है, ये ओबीसी आयोग पर उसके इतिहास से ही पता चल जाता है!

देश की राजनीति में आज़ादी के बाद से ही निरंतर पिछड़े समाज व वर्ग के उत्थान की बातें तो बहुत की गईं। लेकिन इसको लेकर कभी कोई नीतिगत फैसला पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा नहीं लिया गया। इसके उलट मोदी सरकार ने सत्ता में आने के उपरांत ही गरीब, वंचित, शोषित, पिछड़े वर्ग को सामाजिक न्याय दिलाने की दिशा में अनेक हितकारी निर्णय लिए हैं, जिसमें हाल ही में