योगी राज में लोककल्याण और विकास के पथ अग्रसर उत्तर प्रदेश
संसदीय व्यवस्था के अनुसार प्रदेश में निर्वाचित सरकार के संवैधानिक मुखिया राज्यपाल होते हैं। इस संवैधानिक उत्तरदायित्त्व के अनुरूप उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने मंत्रिमंडल के सदस्यों से राजभवन में शिष्टाचार भेंट की। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार पिछले लगभग ढाई वर्षों से बेहतरीन कार्य कर रही है। राज्य प्रगति के पथ पर तेजी से अग्रसर है। इतने
वृक्षारोपण महाकुम्भ : पर्यावरण संरक्षण की दिशा में योगी सरकार का बड़ा कदम
नदियों के तटवर्ती क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण और तालाब खुदवाए जाएंगे। सड़कों के दोनों किनारों पर वृक्षारोपण अभियान की व्यापक कार्य योजना बनाई गई है। इस अभियान में पीपल, नीम, इमली, जामुन, अर्जुन, पाकड़, सागौन, शीशम, बरगद आदि प्रजातियों के वृक्षों को प्रमुखता दी जाएगी। जो पौधे लगाए जाएंगे, उनकी पूरी देखभाल और सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाएगी।
इन्वेस्टर्स समिट : न्यू इंडिया की दिशा में सर्वाधिक योगदान देने की कोशिश में जुटा उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में इन्वेस्टर्स समिट पिछली सरकारों के समय भी बहुत जोर शोर से होती रही है और उनमें देश के शीर्ष उद्योगपति शामिल होते रहे हैं। इसके माध्यम से प्रदेश के औद्योगिक विकास का सपना भी दिखाया जाता रहा है, लेकिन इस समिट से जमीनी स्तर पर कोई विशेष उपलब्धि हासिल नहीं हुई।
आक्रांताओं को रौंदने वाले राजा सुहेलदेव का सम्मान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विकास कार्यो के शिलान्यास व उद्घाटन के लिए अनेक बार पूर्वी उत्तर प्रदेश की यात्रा पर आए हैं। लेकिन इस बार उनकी यात्रा का सामाजिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी बहुत महत्व था। यह सराहनीय है कि भारत सरकार ने विजेता भारतीय राजा सुहेल देव को उचित सम्मान दिया। गाजीपुर में प्रधानमंत्री ने राजा सुहेलदेव पर डाक टिकट जारी किया। इससे
क्या 97 हजार करोड़ की बंदरबांट ही अखिलेश यादव का समाजवाद है?
उत्तर प्रदेश से एक बड़े घोटाले की आहट सुनाई दे रही है। बताया जाता है कि ये घोटाला 97 हजार करोड़ रुपए का है जो कि अपने आप में बहुत बड़ी राशि है। देश की सबसे बड़ी ऑडिट एजेंसी सीएजी (कैग) की रिपोर्ट में यह गड़बड़ी उजागर हुई है। अधिक चौंकाने वाली बात तो यह है कि इस राशि के खर्च का कोई हिसाब अभी तक प्रस्तुत नहीं किया गया है। यानी 97 हजार
मायावती के झटके के बाद क्या होगा महागठबंधन का भविष्य?
मायावती जानती हैं कि गठबन्धन की बात विकल्पहीनता की स्थिति के कारण चल रही है। यदि सपा कमजोर नहीं होती तो आज भी बुआ के संबोधन में तंज ही होता। ऐसे में मायावती गठबन्धन नहीं सौदा करना चाहती हैं। गोरखपुर और फूलपुर में भी उन्होंने समझौता ही किया था। उन्होंने शर्तो के साथ ही समर्थन दिया था। इसमें उच्च सदन के लिए समर्थन की शर्त लगाई गई थी। लेकिन अखिलेश मायावती की शर्त को पूरा नहीं कर पाए थे।
पहले जिस यूपी में आने से कतराते थे निवेशक, अब निवेश के लिए सबसे सुगम प्रदेशों में है शामिल!
गत दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के विकास को गति देते हुए विभिन्न कल्याणकारी परियोजनाओं की आधारशिला रखी। राजधानी लखनऊ में सर्वप्रथम उन्होंने स्मार्ट सिटी, प्रधानमंत्री आवास योजना और अमृत योजना से जुड़ी 3897 करोड़ रूपए की 99 परियोजनाओं का शिलान्यास किया। इसके अगले ही दिन प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तर प्रदेश के औद्योगिक निवेश का
यूपी में निवेश के लिए माहौल बनाने में जुटी योगी सरकार !
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में निवेश के लिए व्यापक अभियान शुरू किया है। राष्ट्रीय स्तर पर इसकी चर्चा है। योगी यह भी जानते है कि मात्र सम्मेलन कर लेने से निवेश आकर्षित नही होता है। इसके लिए पहले से इंतजाम करने होते हैं। इसके पहले ये विषय नौकरशाही की प्राथमिकता में नहीं थे, क्योंकि पिछली सपा सरकार ही निवेश के अनुकूल माहौल बनाने के प्रति गम्भीर नहीं थी।
उम्मीद जगाती है योगी सरकार की औद्योगिक नीति
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने औद्योगिक विकास का कारगर रोडमैप तैयार किया है। इसके प्रति निवेशकों ने उत्साह दिखाया है। इसमें संदेह नहीं कि उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास की दौड़ में बहुत पीछे रह गया। अब ऐसा लग रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस स्थिति में सुधार का बीड़ा उठाया है। उनकी सरकार ने एक साथ कई मोर्चे पर कार्य शुरू किया है। योगी आदित्यनाथ ने इसे अपनी निगरानी में
‘अर्घ्य के दिन किसी छठ घाट पर चले जाइए, आप वो देखेंगे जो आपके मन को प्रफुल्लित कर देगा !’
ये यूं ही नहीं कहा जाता कि भारत पर्वों, व्रतों, परम्पराओं और रीति-रिवाजों का देश है। दरअसल यहां शायद ही ऐसा कोई महीना बीतता हो जिसमें कोई व्रत या पर्व न पड़े। हमारे पर्वों में सबसे अलग बात ये होती है कि इन सब में हमारा उत्साह किसी न किसी आस्था से प्रेरित होता है। कारण ये कि भारत के अधिकाधिक पर्व अपने साथ किसी न किसी व्रत अथवा पूजा का संयोजन किए हुए हैं। ऐसे ही त्योहारों की कड़ी में पूर्वी