अयोध्या पहुँचकर राममय हुए राष्ट्रपति
रामचरितमानस की चौपाई ‘सिया राम मय सब जग जानी’ का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि राम संपूर्ण मानवता के हैं। राम सबके हैं और राम सबमें हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हो रहा भारत की सांस्कृतिक पहचान का पुनरुत्थान
2014 में सत्ता में आने के बाद से ही भारत की सांस्कृतिक पहचान के पुनरुत्थान के क्रम में नरेंद्र मोदी सरकार लगातार प्रयासरत है।
दो दशकों से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की अभेद्य लोकप्रियता का रहस्य क्या है ?
मोदी के साहसिक निर्णय आज तो जन-स्वीकार्य हैं ही, आने वाले सैकड़ों वर्षों तक भी उन्हें उनके इन निर्णयों के लिए याद किया जाएगा।
‘आत्मनिर्भर भारत का सपना रामराज्य की स्थापना की दिशा में ही एक कदम है’
रामराज्य में एक ऐसे समाज की परिकल्पना है जहाँ कोई भी अपराध न करे। प्रधानमंत्री ने भूमि-पूजन के पश्चात् अपने वक्तव्य में इसी बात को रेखांकित किया।
सियासी मजबूरी में हिंदुत्व का चोला ओढ़ रही कांग्रेस
जो कांग्रेस अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि स्थल को राम जन्मभूमि परिसर कहने से संकोच करती थी, वही कांग्रेस आज खुलकर राम मंदिर के पक्ष में खड़ी दिख रही है।
राम मंदिर हमें भान कराता रहेगा कि सत्य को कितना भी दबाया जाए, वो असत्य को मिटा ही देता है
राम देश के राष्ट्र पुरुष हैं। जाहिर है उनका मंदिर राष्ट्र मंदिर होगा जो देश में समरसता, आस्था, मर्यादा का भाव जागृत करता रहेगा।
सनातन सांस्कृतिक मूल्यों के पुनर्स्थापन के साथ-साथ विकास की धारा को भी गति देगा मंदिर निर्माण
कहना होगा कि राम मंदिर का निर्माण भारत के सनातन सांस्कृतिक मूल्यों का प्रतिस्थापन तो है ही, इससे विकास की धारा को भी गति मिलेगी।
भारत के रोम रोम में बसते हैं श्रीराम
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 5 अगस्त, 2020 को अयोध्या जाकर भव्य-दिव्य राम मंदिर की आधारशिला रखेंगे और करोड़ों भारतीयों का सपना साकार करेंगे।
रामजन्मभूमि आंदोलन : सेक्युलरिज्म के छद्म आवरण के खिलाफ प्रतिवाद का प्रथम स्वर
सेक्युलरिज्म के ‘छद्म’ आवरण के खिलाफ प्रतिवाद के पहले और मुखर स्वर के रूप में अगर किसी आंदोलन का महत्व दिखता है‚ तो वह राम जन्मभूमि आंदोलन है।
राम मंदिर : भूमि-पूजन पर विपक्ष का बेमतलब बवाल
राजनीति तोड़ती है, जबकि संस्कृति जोड़ती है। इसमें किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि राम मंदिर राजनीतिक नहीं, अपितु एक सांस्कृतिक मुद्दा है।