सीपीएम के कन्नूर मॉडल का शिकार हुए संघ कार्यकर्ता बीजू
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक और कार्यकर्ता की हत्या केरल के कन्नूर में शुक्रवार दिनांक 13 मई को गला रेत कर, कर दी गयी है। चूराक्कादु बीजू (35) की निर्मम हत्या कन्नूर के पय्यानुर उपनगरीय इलाके में सी.पी.एम. से ताल्लुक रखने वाले राजनैतिक प्रतिरोधियों ने कर दी। यह घटना शुक्रवार शाम 3 बजे के लगभग उस समय घटित हुई जब बीजू अपनी मोटर साइकिल से अकेले कहीं जा रहे थे। पलमकोड पुल के निकट उनकी
केरल की वामपंथी हिंसा का जवाब देने के लिए अब मिशन मोड में भाजपा
ईश्वर की धरती कहलाने वाला केरल दानव की धरती बन चुकी है। संघ और भाजपा के कार्यकर्ता यहाँ लगातार वामपंथी गुंडों का निशाना बन रहे हैं। मगर, इसपर मीडिया से लेकर बुद्धिजीवी वर्ग तक खामोशी पसरी है। क्या केरल में मारे जाने वाले इंसान नहीं हैं? क्यों केरल में हो रही हत्याओं पर कथित प्रगतिशील लेखक बिरादरी अपने पुरस्कार वापस नहीं करती?
केरल में नहीं थम रही संघ और भाजपा कार्यकर्ताओं के प्रति वामपंथी हिंसा, फिर हुई हत्या
केरल में पिनाराई विजयन के नेतृत्व में चल रही वाम गठबंधन की सरकार अपने कार्यकर्ताओं के द्वारा की जा रही हिंसा पर लगाम लगाने में लगातार नाकामयाब हो रही है। अपितु हिंसा और दमन का चक्र अब इस ओर इशारा करने लगा है कि सी.पी.एम. के शीर्ष नेताओं के शह पर ही ये घटनाएं हो रही हैं। दिनांक 13 फ़रवरी को अहले सुबह चार – साढ़े चार बजे के करीब भाजपा युवा मोर्चा के 20 वर्षीय कार्यकर्ता की हत्या
लाल आतंक : केरल में बढ़ती वामपंथी हिंसा, निशाने पर संघ और भाजपा के कार्यकर्ता
‘ईश्वर का अपना घर’ कहा जाने वाला प्राकृतिक संपदा से सम्पन्न प्रदेश केरल लाल आतंक की चपेट में है। प्रदेश में लगातार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है। केरल वामपंथी हिंसा के लिए बदनाम है, लेकिन पिछले कुछ समय में हिंसक घटनाओं में चिंतित करने वाली वृद्धि हुई है। खासकर जब से केरल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की सरकार आई
केरल की वामपंथी हिंसा पर ‘असहिष्णुता गिरोह’ की शर्मनाक ख़ामोशी !
केरल में बढ़ती हिंसा इस बात का सबूत है कि वामपंथ से बढ़कर हिंसक विचार दूसरा कोई और नहीं है। वामपंथी विचार घोर असहिष्णु है। असहिष्णुता इस कदर है कि वामपंथ को दूसरे विचार स्वीकार्य नहीं है, अपितु उसे अन्य विचारों का जीवंत रहना भी बर्दाश्त नहीं है। इस विचारधारा के शीर्ष विचारकों ने अपने जीवनकाल में हजारों-लाखों निर्दोष लोगों का खून बहाकर उदाहरण प्रस्तुत किए हैं। जिस वामपंथी नेता
लाल आतंक : केरल में वामपंथी हिंसा के शिकार बने भाजपा कार्यकर्ता सी. राधाकृष्णन
जी हाँ ! 291, अब तक केरल में सन 1969 से संघ और जनसंघ/भाजपा के कुल 291 कार्यकर्ता मारे गए हैं उनमें से 228 केवल वामपंथी हिंसा के शिकार बन चुके हैं । केरल के कन्जिकोड, पालाघाट के एक सामान्य से भाजपा कार्यकर्ता, चदयनकलायिल राधाकृष्णन का नाम वामपंथियों द्वारा किये जा रहे राजनैतिक हत्याओं की फेहरिश्त में 6 जनवरी 2017 को जुड़ गया । राधाकृष्णन केरल में राजनैतिक शहादत को