84 दंगा : नानावती आयोग से एसआईटी तक भाजपा सरकारों की कोशिशों से सिखों को मिलने लगा न्याय!
गत दिनों दिल्ली उच्च न्यायालय के जस्टिस मुरलीधर राव और जस्टिस विनोद गोयल की बेंच ने कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के खिलाफ सिख विरोधी दंगे में फैसला सुनाते एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात कही। उन्होंने कि 1947 में बंटवारे के वक्त कई लोगों का कत्लेआम किया गया था, 37 साल बाद देश की राजधानी दिल्ली ऐसी ही त्रासदी की गवाह बनी। आरोपी राजनीतिक संरक्षण का
सज्जन कुमार को सज़ा सुनाते हुए अदालत ने जो बात कही है, वो कांग्रेस पर गंभीर सवाल खड़े करती है!
1984 में हुए सिखों के नरसंहार मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सज़ा सुनाई है। 1984 से न्याय की आस लगाए पीड़ित परिवारों के लिए यह संतोषजनक फ़ैसला है। कोर्ट ने 31 दिसंबर तक सज्जन कुमार को आत्मसमपर्ण करने के निर्देश दिए हैं।