‘यूपी से हूँ, हाँ योगी जी वाले यूपी से’
योगी आदित्यनाथ का हर बयान और काम राज्य की राजनीति को पारदर्शी बनाता जा रहा था और समाज के हर वर्ग और भविष्य के हर राजनीतिक फैसलों पर यह गहरा असर कर रहा
अफ्रीकी दिवस पर स्वामी विवेकानंद के विश्व बंधुत्व की अवधारणा को याद करना जरूरी है
स्वामी विवेकानंद की दृष्टि आधुनिक समय में एक प्रकाशस्तंभ के रूप में कार्य करती है। उन्हें अफ्रीकी देशों के लिए सत्य का स्रोत माना जाता है।
महात्मा गांधी ने लिखा है कि स्वामीजी के कार्यों को पढ़कर उनकी देशभक्ति हजार गुणा बढ़ गई!
स्वामी विवेकानंद का प्रभाव अनेक ऐसे नेताओं पर रहा जिनकी स्वाधीनता आंदोलन में सक्रिय सहभागिता रही। भले वह उनके जीवन काल के दौरान हो या बाद में।
‘विवेकानंद का संदेश आधुनिक मानवता का संदेश था’
विश्व धर्म महासभा की सफलता के बाद जब स्वामी जी के चित्र तिलक जी ने समाचार पत्रों में देखे तो उनको याद आया कि यह वही संन्यासी हैं, जिन्होंने उनके घर पर कुछ दिन तक निवास किया था।
जब स्वामी विवेकानंद ने कहा था, “लोगों की मदद के लिए मठ की ज़मीन भी बेच देंगे”
जब स्वामी विवेकानंद के गुरुभाई ने उनसे पैसे के स्रोत के बारे में पूछा तो स्वामी जी ने कहा, “क्यों, यदि आवश्यक हो, तो हम नए खरीदे गए मठ मैदानों को बेच देंगे।”
भारतीय स्वाधीनता संग्राम में स्वामी विवेकानंद की भूमिका
स्वामी विवेकानंद मात्र 39 वर्ष 5 महीने और 24 दिन के जीवन में ही अगर उन्हीं के शब्दों में कहूँ तो 1500 वर्ष का कार्य कर गए।
स्वामी विवेकानंद : भारत का भारत से साक्षात्कार कराने वाले युगद्रष्टा संत
आदि शंकराचार्य ने संपूर्ण भारतवर्ष को सांस्कृतिक एकता के मज़बूत सूत्र में पिरोया, वहीं स्वामी विवेकानंद ने आधुनिक भारत को उसके स्वत्व एवं गौरव का बोध कराया।
स्वामी विवेकानंद के 1893 के शिकागो भाषण की आधुनिक समय में प्रासंगिकता
जिस समय दुनिया धार्मिक, वैचारिक श्रेष्ठता के लिए लड़ रही थी और एक-दूसरे की जमीन हड़पने में व्यस्त थी, स्वामी जी ने “मानव सेवा ही भगवान की सेवा” का संदेश दिया – क्योंकि वे प्रत्येक मानव में ईश्वर को देखते थे।
जयंती विशेष : युवाओं में आत्मविश्वास जगाने वाले स्वामी विवेकानंद
अब समय आगया है कि हर भारतीय स्वामी विवेकानंद के सपनों का आत्मनिर्भर भारत बनाने में अपना योगदान दे। लेकिन यह कार्य इतना आसान नहीं है।
जयंती विशेष : ‘यदि भारत को जानना चाहते हैं, तो स्वामी विवेकानंद को पढ़िए’
स्वामी जी ने अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोपीयन देशों में कई निजी एवं सार्वजनिक व्याख्यानों का आयोजन कर महान हिन्दू संस्कृति के सिद्धांतों का प्रचार प्रसार किया एवं उसे सार्वभौमिक पहचान दिलवाई।