कृषि कानून की प्रतियां फाड़कर किसान आंदोलन को भुनाने की व्यर्थ कोशिश करते केजरीवाल
केजरीवाल को यदि वास्तव में अवाम की चिंता होती तो वे सबसे पहले इस कथित आंदोलन को खत्म कराने की पहल करते ना कि यहां अपनी नफरत की राजनीति का अवसर तलाशते।
अविवेकपूर्ण निर्णयों से समस्या पैदा कर अब किस मुंह से केंद्र से मदद मांग रहे केजरीवाल ?
केजरीवाल कब क्या देखकर निर्णय लेते हैं, यह समझ से परे होता है। उनके बयान भी कम चौंकाने वाले नहीं होते। उन्होंने पिछले दिनों बड़ी अटपटी बात कही कि दिल्ली सरकार यहां के अस्पतालों में बाहरी राज्यों के मरीजों का इलाज नहीं करेगी।
लगातार राजनीतिक जमीन खो रही है आम आदमी पार्टी
पंजाब, गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश के बाद अब हरियाणा और महाराष्ट्र में भी आम आदमी पार्टी को करारी शिकस्त मिली है। साल भर पहले पार्टी ने हरियाणा में विधानसभा चुनाव पूरे दमखम से लड़ने का ऐलान किया था और नवीन जयहिंद को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार भी घोषित कर दिया था। इसके बावजूद आम आदमी पार्टी ने विधानसभा की 90 में से
कांग्रेस आलाकमान के लिए शुभ संकेत नहीं हैं हरियाणा-महाराष्ट्र के चुनावी नतीजे
2014 के लोक सभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद से ही कांग्रेस हाईकमान के खिलाफ आवाज उठनी शुरू हो गईं थी लेकिन चाटुकार संस्कृति के हावी होने के कारण विरोध की आवाज दब गई। जिन नेताओं ने बागी तेवर दिखाया उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इसके बाद कई राज्यों में कांग्रेस को करारी हार का सामना पड़ा लेकिन हाईकमान संस्कृति के खिलाफ बोलने का दुस्साहस बहुत कम कांग्रेसियों ने दिखाया।
जिम्मेदार विपक्ष की तरह व्यवहार करना कब सीखेगी कांग्रेस?
नोटबंदी 2016 में हुई थी और जीएसटी 2017 में पारित हुआ। इन दोनों निर्णयों के बाद हुए ज्यादातर राज्यों के चुनावों सहित इस वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस खासकर उसके युवराज राहुल गांधी ने इसे खूब मुद्दा बनाया। राफेल का राग भी गाया गया। लेकिन इन मुद्दों का कोई असर नहीं रहा और अधिकांश चुनावों में भाजपा को विजय प्राप्त हुई। लोकसभा चुनाव में तो पार्टी ने
सिमटते दायरे के बावजूद आत्ममंथन से कतराती कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है। 2017 में जब राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बने थे तब देश को उम्मीद थी कि अब कांग्रेस में एक नए युग का सूत्रपात होगा और पार्टी पुरानी सोच से आगे बढ़ेगी। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिली करारी शिकस्त के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया
ऐसा लगता है कि महाराष्ट्र और हरियाणा में कांग्रेस ने चुनाव से पहले ही हार मान ली है!
देश के दो अहम राज्य महाराष्ट्र और हरियाणा में चुनावी प्रक्रिया अपने मध्यान्ह पर है। यहाँ के लगभग सभी राजनीतिक दलों ने सियासत के समीकरणों को साधने के लिए प्रत्याशियों की घोषणा की प्रक्रिया को भी लगभग पूरा कर लिया है। गौरतलब है कि 21 अक्टूबर को एक ही चरण में दोनों राज्यों में मतदान होगा और 24 अक्टूबर को परिणाम हमारे सामने होंगे। ऐसे में अब चुनाव प्रचार के लिए 15 दिन का समय शेष रह गया है।
जमीन घोटाले पर ढींगरा आयोग की जांच रिपोर्ट के बाद हलकान हुए हुड्डा, बढ़ सकती हैं वाड्रा की भी मुश्किलें!
सीबीआई ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा तथा उनके करीबी अधिकारियों……