केन्द्रीय विद्यालयों में हिंदी-संस्कृत में नहीं तो क्या अंग्रेजी-अरबी में प्रार्थना करवाई जाए !
क्या केंद्रीय विद्यालयों में होने वाली प्रार्थना हिंदुत्व को बढ़ावा देती है? ये प्रार्थना देश और देश से बाहर चल रहे सभी केन्द्रीय विद्यालयों में प्रयोग में है। अब ये पूरी तरह असंवैधानिक बताई जा रही है। अब इस प्रार्थना में हिंदुत्व देखा जा रहा है। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के जीवन काल में केन्द्रीय विद्यालय चालू हो गए थे। तब देश में भाजपा या एनडीए की सरकारें नहीं थीं, जिनके पीछे आज देश के कथित
हरियाणा विधानसभा में जैन मुनि के संबोधन से इतने बौखलाए क्यों हैं कांग्रेसी और वामपंथी!
जैन मुनि तरुण सागर जी द्वारा हरियाणा विधानसभा में संबोधन को लेकर विपक्ष हंगामा…
‘संघ मुक्त भारत’ पर नहीं, अपराध मुक्त बिहार पर सोचिये नीतीश जी!
जब कोई शासक अंधी महत्त्वाकांक्षा और सस्ती लोकप्रियता का शिकार हो जाए तो जनता के हित साधने और विधायी ज़िम्मेदारी निभाने की बजाय ‘जुमले’ गढ़ने लगता है। संघ एक विचार है और विचार कभी मरता नहीं। संघ भी एक विचार है, एक सांस्कृतिक आंदोलन है, समाज के भीतर कोई संगठन नहीं, बल्कि समाज का संगठन है
संघ दर्शन: समाज में व्याप्त जातिवाद के अंत का मार्ग है हिंदुत्व
साधारणतया मैं हिंदू समाज में व्याप्त जातिगत भेद-भाव या छुआ-छूत की भावनाओं पर कोई टिप्पणी नहीं करता।क्योंकि इस प्रकार की चर्चाओं की परिणति प्रायः “तू-तू,मैं मैं” में ही होती है।भारतीय समाज में जातिगत ग्रन्थियाँ इतने गहरे तक पैठी हैं कि इस पर सार्थक और तार्किक विमर्श की संभावना न्यूनतम होती है। इस प्रकार की चर्चाओं में प्रायः पढ़ा-लिखा समाज भी जातीय पूर्वाग्रहों और पारंपरिक धारणाओं से मुक्त नहीं रह पाता।