कोरोना महामारी के बीच अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर संपूर्ण विश्व की निगाहें भारत की ओर हैं
योग आपको शारारिक और भौतिक अस्तित्व से ऊपर उठाकर मानव की उच्चतम क्षमता की ओर ले जाता है। और योग द्वारा जो भी कुछ मनुष्य को मिलता है, वो अधिकतर समाज को देने में ही विश्वास करता है।
‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस भारत की महान धरोहर के प्रति विश्व की सहमति है’
योग भारत की अमूल्य धरोहर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास से आज विश्व में इसकी गूंज है। पांच वर्ष पहले उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा में योग दिवस मनाने का प्रस्ताव किया था, इस पर सबसे कम समय में सर्वाधिक देशों के समर्थन का रिकार्ड कायम हो गया। संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने जिस ऐतिहासिक समर्थन से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को स्वीकार किया था, वह रा
21 जून को योग दिवस के लिए चुनने के पीछे कोई इत्तेफाक नहीं, ठोस वैज्ञानिक कारण हैं
योग के विषय में कोई भी बात करने से पहले जान लेना आवश्यक है कि इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि आदि काल में इसकी रचना, और वर्तमान समय में इसका ज्ञान एवं इसका प्रसार स्वहित से अधिक सर्व अर्थात सभी के हित को ध्यान में रखकर किया जाता रहा है। अगर हम योग को स्वयं को फिट रखने के लिए करते हैं, तो यह बहुत अच्छी बात है, लेकिन अगर हम इसे
आज लोगों की जो जीवन-शैली है, उसमें योग का महत्व और बढ़ जाता है !
योग न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में काफ़ी मददगार है, बल्कि मानसिक शांति का भी बहुत शानदार ज़रिया है। आज जबकि अधिकाधिक लोग मानसिक रूप से अशांति के दौर में हैं, ज़िंदगी की आपाधापी में मानसिक शांति खो चुके हैं; ऐसे में योग और प्राणायाम इनसे निजात दिलाने का एक बेहतरीन साधन है। मन की एकाग्रता बहुत ज़रूरी है और योग के माध्यम से हम अपने मन को
योग को वैश्विक पहचान दिलाने वाले प्रधानमंत्री मोदी के जीवन में भी योग का विशेष स्थान है !
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर ही दुनिया के करीब 175 देश योग की राह पर चल पड़े हैं। दरअसल मोदी का विरोध करने वाले लोगों को लगता है कि योग का मतलब है, अलग-अलग तरह के फीजिकल पोश्चर बनाना है और इसी तरह का दुष्प्रचार वह अंतराष्ट्रीय योग दिवस को लेकर कर रह है। किन्तु, असल में योग का मतलब शरीर और मन को एक निश्चित और संतुलित क्रम में प्रस्थापित करना है। शरीर, दिमाग, आत्मा और