अमेरिका

भारत के नाम रहा इस वर्ष का जी-20 शिखर सम्मेलन!

जी-20 विश्व का प्रायः सर्वाधिक मजबूत वैश्विक संगठन माना जाता है। वैश्विक मामलों में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इसमें भी पांच छह देश अधिक शक्तिशाली हैं। इसी के अनुरूप सम्मेलनों में इन्हें स्थान मिलता था। भारत विकसित देशों में शामिल नहीं है। फिर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसे सम्मेलनों में भारत की गरिमा को बढ़ाया है। इस बार सम्मेलन में भारत के महत्व को इसी

ये छप्पन इंच की छाती का ही दम है कि अमेरिकी धमकियों के बावजूद रूस से रक्षा सौदा हो सका!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साबित किया कि उनके लिए राष्ट्रीय हित और सुरक्षा सर्वोच्च है। इसके लिए देश के भीतर कांग्रेस और बाहर अमेरिका का विरोध उनके लिए कोई मायने नहीं रखता। उन्होंने रूस के साथ एस-400 मिसाइल डिफेन्स सिस्टम के रक्षा सौदे को अंजाम तक पहुंचाया। अमेरिका ने इस समझौते को रोकने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी। कांग्रेस राफेल की तरह इस

टू प्लस टू वार्ता : भारत-अमेरिका संबंधों में मील का पत्थर साबित होगा कॉमकासा समझौता!

अमेरिका से टू प्लस टू प्लस वार्ता करने वाला भारत तीसरा देश है। इससे पूर्व उसकी इस स्तर की वार्ता केवल आस्ट्रेलिया और जापान से थी। यह प्रयोग सफल रहा। दोनों देशों के बीच कॉमकासा करार हुआ। नाटो देशों के अलावा केवल तीन देशों के साथ अमेरिका का यह समझौता है।  ‘कॉमकासा’ अर्थात कम्युनिकेशंस एंड इन्फॉर्मेशन ऑन सिक्युरिटी मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट

मोदी लम्बे समय से जो कहते रहे हैं, ट्रंप ने अब उसे समझा है !

अमेरिका ने लंबी अवधि के बाद अपनी पाकिस्तान नीति में अपरिहार्य बदलाव किया है। राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने इसका प्रारंभिक सन्देश भी दे दिया है। फिलहाल उसको मिलने वाली एक लाख छह हजार अट्ठाइस करोड़ रुपये की सहायता पर रोक लगा दी गई है। ट्रम्प ने कहा भी है कि आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्यवाई के बाद ही उसे सहायता बहाली संभव होगी। ट्रंप ने यह कार्रवाई अपने ट्वीट के बाद की है, जिसमें

ट्रंप की चेतावनी को गंभीरता से ले पाकिस्तान, वर्ना भुगतना होगा भारी खामियाजा !

जब समूचा विश्व नए साल के जश्न में डूबा हुआ था, उसी वक्त अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को कड़ी फटकार लगाते हुए झूठा और कपटी देश बताया तथा अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को दी जा रही वित्तीय सहायता के उपयोग पर गंभीर प्रश्न खड़े किये। अमेरिका के राष्ट्रपति ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पाकिस्तान को जो मदद आतंक के खात्मे के लिए प्रदान की जा रही थी, उसे पाक आतंकियों की मदद में लगता रहा।

अमेरिका की अफगानिस्तान नीति पर भारत के सधे हुए कदम

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति हमेशा चौंकाने वाली होती है। फिर चाहे वो डोकलाम विवाद के समय चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान अनपेक्षित मुलाकात हो या फिर सारे पूर्वाग्रहों को तोड़ते हुए इजरायल का दौरा करने का निर्णय हो। हाल ही में अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने अमेरिका के शीर्ष थिंक टैंक  सीएसआईएस में अपने संबोधन में कहा था कि  हम उम्मीद करते

अमेरिका की अफगानिस्तान नीति से पाक बाहर, भारत को मिला सर्वाधिक महत्व

भारत के थलसेना प्रमुख जनरल विपिन रावत और अमेरिकी विदेश उपमंत्री के बयान में कोई सीधा संबन्ध नही था। लेकिन, लगभग एक ही समय मे आये इन बयानों की सच्चाई एक जैसी है। जनरल विपिन रावत ने पाकिस्तान और चीन दोनो मोर्चो पर मुस्तैद रहने की बात कही तो दूसरी ओर अमेरिकी विदेश उपमंत्री ने कहा कि भारत दो खतरनाक देशों से घिरा है। इन दोनों बयानों का मतलब भी एक है और इनकी सच्चाई

अमेरिका की नयी अफगानिस्तान नीति से पाकिस्तान बाहर, भारत को होगा लाभ

‘मदरशिप ऑफ़ टेररिज्म’ यानी आतंकवाद पैदा करने वाले देश का दर्जा पिछले ही साल अक्टूबर के ब्रिक्स सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान को दिया था। अब धीरे-धीरे दुनिया के महाशक्ति देश भी भारत की बात के समर्थन में उतरने खड़े होने लगे हैं। बीते 21 अगस्त को अमेरिका के प्रधानमंत्री डोनाल्ड ट्रम्प ने भी अपने भाषण में पाकिस्तान को आतंक फैलाने वाला देश कह दिया। ट्रम्प ने तीन बार अपने भाषण में

मोदी सरकार की बड़ी कूटनीतिक सफलता, अब अमेरिका ने भी माना पाक को आतंकी देश

भारत लंबे समय से पाक परस्त आतंकवाद से पीड़ित रहा है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर वैश्विक मंच से आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को घेरते रहे हैं। भारत संयुक्त राष्ट्र समेत अन्य वैश्विक मंचों के माध्यम से इस बात पर लगातार जोर देता रहा है कि पाक जैसे देश जो विश्व शांति के लिए खतरा बनते जा रहे हैं, उन्हें आतंकी देश की सूची में शामिल किया जाए। भारत की इस मुहीम को बड़ी सफलता हाथ लगी है।

अमेरिका द्वारा सलाहुद्दीन को अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित किए जाने से हलकान हुआ पाक

सलाहुद्दीन कश्मीर में पाक प्रायोजित आतंकवाद का चेहरा है और हिजबुल मुजाहिदीन घाटी में सक्रिय सबसे पुराना आतंकी संगठन है। आतंकी फंडिंग को लेकर पहले ही पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय संगठन फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की जांच का सामना कर रहा है। जाहिर है, ऐसे में अब सलाहुद्दीन के मुद्दे पर पाकिस्तान की असहजता व बेचैनी प्रकट हो रही है। वो सलाहुद्दीन के बचाव में दलीलें दे