‘अयोध्या हमारी आन, बान और शान का प्रतीक है, इसके साथ कोई अन्याय नहीं कर सकता’
दीपावली त्रेता युग से चली आ रही भारतीय परंपरा है। इस दिन प्रभु राम लंका विजय कर अयोध्या पधारे थे। अयोध्या की उदासी दूर हुई। उत्साह, उमंग का वातावरण बना। इसीकी अभिव्यक्ति दीप जला कर की गई। इसी के साथ एक सन्देश भी निर्मित हो गया। सन्देश असत्य पर सत्य की जीत का था। कार्तिक मास की गहन अंधकार वाली अमावस्या की रात्रि दीयों की रोशनी से नहा
अयोध्या की दीपावली : ‘अवधपुरी सोहई एहि भाँती, प्रभुहि मिलन आई जिमि राती’
त्रेता युग में लौटा तो नहीं जा सकता, लेकिन उसकी कल्पना और प्रतीक से ही मन प्रफुल्लित हो जाता है। अयोध्या में ऐसे ही चित्र सजीव हुए। इस आयोजन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह था कि इसमे आमजन आस्था के भाव से सहभागी बना। यह प्रसंग भी रामचरित मानस के वर्णन जैसा प्रतीत होता है।
अयोध्या में पुनः साकार हुई त्रेता युग की दीपावली !
बुधवार 18 अक्टूबर का दिन अयोध्या नगरी के लिए अभूतपूर्व एवं ऐतिहासिक था। पूरे नगरवासियों ने कुछ ऐसा देखा जिसकी अभी तक कल्पना भी नहीं रही होगी। दीपोत्सव का पर्व यादगार बन गया। मानो साक्षात त्रेता युग इस युग में उतर आया हो। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर अयोध्या में दीपावली पर्व भव्य पैमाने पर मनायी गयी। इस आयोजन की सूत्रधार भले ही सरकार थी, लेकिन यह जन