भारत के रोम रोम में बसते हैं श्रीराम
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 5 अगस्त, 2020 को अयोध्या जाकर भव्य-दिव्य राम मंदिर की आधारशिला रखेंगे और करोड़ों भारतीयों का सपना साकार करेंगे।
रामजन्मभूमि आंदोलन : सेक्युलरिज्म के छद्म आवरण के खिलाफ प्रतिवाद का प्रथम स्वर
सेक्युलरिज्म के ‘छद्म’ आवरण के खिलाफ प्रतिवाद के पहले और मुखर स्वर के रूप में अगर किसी आंदोलन का महत्व दिखता है‚ तो वह राम जन्मभूमि आंदोलन है।
राम मंदिर : भूमि-पूजन पर विपक्ष का बेमतलब बवाल
राजनीति तोड़ती है, जबकि संस्कृति जोड़ती है। इसमें किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि राम मंदिर राजनीतिक नहीं, अपितु एक सांस्कृतिक मुद्दा है।
‘यह युग प्रभु श्रीराम के आदर्शों के अनुरूप नए भारत के निर्माण का है’
5 अगस्त, 2020 को भूमिपूजन/शिलान्यास न केवल मंदिर का है, वरन एक नए युग का भी है। यह नया युग प्रभु श्रीराम के आदर्शों के अनुरूप नए भारत के निर्माण का है।
रामजन्मभूमि से प्राप्त हो रहे ऐतिहासिक अवशेषों पर छद्म-धर्मनिरपेक्षों को सांप सूंघ गया है
बार-बार प्रमाण प्रस्तुत करने के बावजूद ऐसे लोगों ने राम मंदिर के अस्तित्व को अस्वीकार करने में कोई कोर कसर बाक़ी नहीं रखी। जो अयोध्या राममय है, जिसके पग-पग परa श्रीराम के चरणों की मधुर चाप सुनाई पड़ती है, वहाँ वे बाबर की निशानदेही तलाशते रहे।
विश्वस्तरीय तीर्थाटन केंद्र के रूप में विकसित होगी अयोध्या
विश्व के अनेक देशों की अर्थव्यवस्था में पर्यटन व तीर्थाटन का विशेष योगदान रहता है। इसके लिए इन देशों ने योजनबद्ध ढंग से प्रयास किया। अपनी आध्यात्मिक, ऐतिहासिक व प्राकृतिक धरोहरों को सजाया-सँवारा, वहां विश्व स्तरीय सुविधाओं व संसाधनों का विकास किया। इसके कारण अनेक स्थानों को विश्व स्तरीय प्रतिष्ठा मिली।
राम जन्मभूमि फैसला : सामाजिक सद्भाव को बढ़ाने वाला समाधान
9 नवंबर, 2019 की तारीख भारतीय इतिहास में सामाजिक सद्भाव को बढ़ाने वाले एक ऐतिहासिक दिन के रूप में दर्ज हो चुकी है। इस दिन एक तरफ माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने लम्बे समय से चले आ रहे रामजन्मभूमि विवाद पर निर्णय देकर उसका समाधान किया तो वहीं दूसरी तरफ भारत-पाकिस्तान के बीच सिख समुदाय की आस्था से जुड़े करतारपुर कॉरिडोर की शुरुआत हुई।
कई अर्थों में ऐतिहासिक साबित हुई नौ नवम्बर की तारीख
देश के बहुचर्चित रामजन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट का बहुप्रतीक्षित फैसला आ चुका है। यह निर्णय वास्तव में राष्ट्र के हित में आया है, राष्ट्र की एकता व अखंडता, सामाजिक सौहार्द्र के पक्ष में आया है। कानूनी निष्कर्ष की बात करें तो विवादित भूमि रामलला को दिए जाने और मस्जिद के लिए मुस्लिम पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड को पृथक से निर्माण के लिए 5 एकड़ भूमि दिए
‘अदालत के फैसले ने बता दिया कि अब इतिहास से आगे बढ़ भविष्य के निर्माण का समय है’
भगवान श्रीराम देश के अधिसंख्य लोगों के दिलों में वास करते हैं, इसके लिए किसी प्रमाण की ज़रुरत नहीं थी, लेकिन प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या ही है, इस बात को प्रमाणित करने में 70 साल लग गए। इस फैसले की सबसे खूबसूरत बात यह रही कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व में बने बेंच में सभी पांच जजों ने सर्व सम्मति से फैसला लिया। सुप्रीम कोर्ट में लंबी कानूनी
अयोध्या प्रकरण : विवाद के समाधान के साथ सामाजिक सद्भाव का मार्ग प्रशस्त करने वाला निर्णय
अयोध्या में श्रीराम जन्म स्थान के प्रति करोड़ों हिंदुओं की आस्था रही है। इसके अलावा यहां मंदिर होने के पुरातात्विक प्रमाण भी उपलब्ध हैं। यह सराहनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी का संज्ञान लिया। इसके बाद निर्णय दिया कि जन्म भूमि पर मंदिर निर्माण किया जा सकेगा।