मोदी सरकार के साहसिक क़दमों से बदल रही देश के अर्थतंत्र की तस्वीर
महाभारत के शांतिपर्व में एक श्लोक है- स्वं प्रियं तु परित्यज्य यद् यल्लोकहितं भवेत्, अर्थात राजा को अपने प्रिय लगने वाले कार्य की बजाय वही कार्य करना चाहिए जिसमे सबका हित हो। केंद्र की मोदी सरकार के गत साढ़े चार वर्ष के कार्यों का मूल्यांकन करते समय महाभारत में उद्धृत यह श्लोक और इसका भावार्थ स्वाभाविक रूप से जेहन में आता हैl दरअसल
मोदी सरकार की नीतियों से आर्थिक मजबूती की ओर देश
भारत ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में एक बार फिर छलांग लगाई है। इसका मतलब है कि भारत के आर्थिक सुधार कारगर हो रहे हैं। ऐसे में अर्थव्यवस्था से जुड़ी रिजर्व बैंक सहित अन्य संस्थाओं को सुधार कार्यो में साझा प्रयास करने चाहिए। यह नहीं भूलना चाहिए कि संवैधानिक संस्थाएं लोगों के कल्याण के लिए हैं।
आर्थिक मजबूती, पारदर्शी शासन और कल्याणकारी नीतियों के चार वर्ष!
विगत चार सालों में मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिये अनेक कदम उठाये हैं। देखा जाये तो मोदी सरकार द्वारा किये गये विकासात्मक कार्यों की एक लंबी फेहरिस्त है। नवंबर, 2016 में विमुद्रीकरण करने का निर्णय लेना मोदी सरकार द्वारा उठाया गया एक साहसिक कदम था। इस निर्णय से नकसलवाद, आतंकवाद, कालेधन एवं कर चोरी पर रोक तो लगी ही,
मोदी सरकार के आर्थिक सुधारों का दिखने लगा असर, चीन से आगे बढ़ा भारत!
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुसार भारत द्वारा किये जा रहे आर्थिक सुधारों का सकारात्मक परिणाम दिखने लगा है। आईएमएफ के उप प्रबंध निदेशक (प्रथम) डेविड लिप्टन के अनुसार वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) को अमलीजामा पहनाने से प्रणाली को पारदर्शी और कर चोरी को रोकने में मदद मिलेगी। लिप्टन के मुताबिक, बैंकों की समस्याओं से निपटने के लिये उठाये गये कदम समीचीन एवं महत्वपूर्ण हैं।
विश्व बैंक और फिच के ये आंकड़े भारतीय अर्थव्यवस्था की बेहतरी के प्रति आश्वस्त करते हैं !
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भारत-कोरिया व्यापार सम्मेलन को संबोधित करते हुए हाल ही में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में 7 से 8 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने की क्षमता है। उन्होंने यह भी कहा कि अगले 10 से 20 सालों तक भारत दुनिया की सबसे तेज वृद्धि दर वाली अर्थव्यवस्थाओं में बना रहेगा। वित्त मंत्री के अनुसार बीते महीनों में भारत में कारोबार करना सुगम हुआ है। जीएसटी की प्रक्रिया सरल हुई है और
आर्थिक सर्वेक्षण : अर्थव्यवस्था में राजनीति तलाश रहे विपक्षियों के लिए बुरी खबर
इकॉनोमिक सर्वे एक महत्वपूर्ण आर्थिक दस्तावेज है, जिसके ज़रिये हमें पता चलता है कि देश की अर्थव्यवस्था किस दिशा की तरफ और किस गति के साथ दौड़ रही है। चीफ इकनोमिक एडवाइजर डॉ अरविन्द सुब्रमण्यम ने वर्ष 2017-18 के लिए अपने सर्वे के द्वारा एक ऐसी तस्वीर पेश की है जो सुन्दर, बेहतर और उम्मीदों से लबरेज़ दिख रही है।
राजस्व संग्रह में सुधार होने से मजबूत हो रही अर्थव्यवस्था
भले ही दिसंबर महीने में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह 910 अरब रूपये के लक्ष्य से थोड़ा-सा पीछे रह गया, लेकिन इतना तो साफ है कि जल्द ही इसका संग्रह उम्मीद के मुताबिक होने लगेगा। यह इसलिये भी लग रहा है, क्योंकि जीएसटी संग्रह अक्टूबर और नवंबर में क्रमश: 808.08 एवं 833 अरब रुपये रहा था और दिसंबर महीने में यह आंकड़ा पिछले दोनों महीनों से ज्यादा है। जीएसटी की चोरी रोकने के उपायों से
मोदी सरकार की नीतियों से विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ता भारत !
मॉर्गन स्टेनली की ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था में चक्रीय सुधार का दौर जारी है, जिसके कारण सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर वर्ष 2017 के 6.4 प्रतिशत की तुलना में वित्त वर्ष 2018 में 7.5 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2019 में 7.7 प्रतिशत पर पहुँच सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक मोदी सरकार बैंकों के बैलेंस शीट को साफ-सुथरा करने की कोशिश कर रही है। नोटबंदी और जीएसटी जैसे महत्वपूर्ण फैसलों को
मोदी सरकार की नीतियों से बेहतरी की ओर अर्थव्यवस्था
विनिर्माण क्षेत्र में 7.0%, बिजली, गैस, और अन्य उपयोगी सेवाओं में 7.6%, संचार, व्यापार, होटल, परिवहन आदि क्षेत्रों में 9.9% की दर से विकास के होने के कारण सकल मूल्य संवर्धन (जीवीए) में चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 6.1% दर से वृद्धि हुई, जबकि पहली तिमाही में यह 5.6% थी, जबकि जीडीपी में वित्त वर्ष 2017 की पहली तिमाही के 5.7% के मुक़ाबले वित्त वर्ष 2018 की दूसरी तिमाही में 6.3% की दर से वृद्धि
मूडीज रेटिंग : सरकार के आर्थिक सुधारों से बढ़ी भारत की रेटिंग, भविष्य में और बढ़ने की संभावना !
अमेरिकी एजेंसी मूडीज ने 13 सालों के बाद भारत सरकार के स्थानीय एवं विदेशी मुद्रा जारीकर्ता साख का उन्नयन किया। भारत की साख को अपने वर्गीकरण में ऊँचा करते हुए मूडीज ने बीएए-2 श्रेणी में रखा है। पहले उसने भारत को इससे नीचे बीएए-3 श्रेणी में रखा था। मूडीज ने भारत के परिदृश्य को भी ‘स्थिर’ से ‘सकारात्मक’ कर दिया। स्थानीय मुद्रा के असुरक्षित साख को भी मूडीज ने बीएए-3 से उन्नयन करके बीएए-2 कर