आंबेडकर जयंती विशेष : ‘मुझे कैबिनेट की किसी कमिटी में नहीं रखा गया, कहीं जगह नहीं दी गयी’
देश में जब भी बड़े चुनाव होने को होते हैं, तो दलित विमर्श का मुद्दा ज़ोरों-शोरों से उठाया जाने लगता है। कुछ राजनीतिक पार्टियों में ये बताने की होड़ मच जाती है कि वही दलितों की सबसे बड़ी हितैषी हैं और फिर चुनाव के बाद दलित भुला दिए जाते हैं। याद रखा जाना चाहिए कि देश एक दिन में नहीं बनता, देश का इतिहास भी एक दिन में सृजित नहीं होता। दलितों की बात राजनीतिक फायदे के लिए करना एक बात है और दलितों
लोकतंत्र के लिए आपातकाल और परिवारवाद जैसे संकटों के प्रति शुरू से आशंकित थे बाबा साहेब !
भारतीय गणतंत्र अपना 74वां उत्सव मना रहा है। यह कई मायनों में भारत की बहुविध संस्कृति और परम्पराओं को साझे तौर पर मनाने का महापर्व है।