कांग्रेस द्वारा उपेक्षित इतिहास के असल नायकों का सम्मान
गत 21 अक्टूबर की तारीख इतिहास में दर्ज हो चुकी है, जब दिल्ली का लाल किला स्वतंत्रता दिवस से इतर किसी कार्यक्रम में प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रध्वज फहराए जाने की ऐतिहासिक घटना का साक्षी बना। स्वाधीनता संग्राम के सशक्त सेनानी और देश के अमर सपूत नेताजी सुभाष चन्द्र बोस द्वारा 21 अक्टूबर, 1943 को सिंगापुर में स्थापित ‘आजाद हिंद सरकार’ की पचहत्तरवीं
‘एक परिवार को बड़ा बनाने के लिए नेताजी के योगदान को भुलाया गया’
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस द्वारा आज़ाद हिंद सरकार के गठन के पचहत्तरवीं वर्षगाँठ पर दिल्ली के लाल किले पर एक अलग ही दृश्य देखने को मिला। भारत रत्न नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का सपना था कि देश जब आज़ाद होगा उस दिन वह लाल किले से तिरंगा फहराएंगे, उस सपने को नेताजी की आजाद हिन्द सरकार की पचहत्तरवीं वर्षगाँठ पर पूरा कर दिखाया प्रधानमंत्री नरेन्द्र
कांग्रेस द्वारा उपेक्षित आजादी के असल नायकों को सम्मान देने में जुटी मोदी सरकार
अक्टूबर का महीना देश के लिए बहुत अहम साबित होने जा रहा है। इस महीने के समापन तक यह देश ऐसे दो बड़े आयोजनों का साक्षी बनेगा जो अभूतपूर्व हैं। अभूतपूर्व इस अर्थ में कि उनके क्रियान्वयन की बात तो दूर, उनके बारे में पूर्ववर्ती किसी सरकार ने आज तक विचार तक नहीं किया था। ये दोनों आयोजन क्रमश: 21 अक्टूबर, रविवार और 31 अक्टूबर, बुधवार को होंगे। दोनों