मुफ्तखोरी की राजनीति में एकदूसरे को पीछे छोड़ने की होड़ में जुटीं कांग्रेस और आप
जो कांग्रेस पार्टी आज मुफ्त बिजली के चुनावी वायदे कर रही है उसके 70 वर्षों के शासन काल में हजारों गांवों में ऐसा थे जहां बिजली का पोल नहीं था।
भ्रष्टाचार को नया आयाम देते अरविंद केजरीवाल
नई तरह की राजनीति वाले नारे अब केजरीवाल के लिए बेमानी हो गए हैं। भ्रष्ट व्यवस्था में परिवर्तन का नारा लगाने वाले आज उस व्यवस्था के पोषक बन चुके हैं।
केजरीवाल की बौखलाहट बताती है कि जांच एजेंसियों ने सही जगह चोट की है!
सवाल यह उठता है कि जब केजरीवाल खुद को इतना पाक साफ मानते हैं तो वे बार-बार मीडिया को सफाई क्यों दे रहे हैं और बौखला क्यों रहे हैं।
कश्मीरी पण्डितों की पीड़ा पर अट्टहास केजरीवाल की अमानवीय राजनीति को ही दर्शाता है
जो केजरीवाल जे एन यू में भारत तेरे टुकड़े होंगे जैसे नारे लगाने वालों का समर्थन करते है, उनसे भारत की जनता इससे अलग की अपेक्षा भी क्या कर सकती है!
कृषि कानून की प्रतियां फाड़कर किसान आंदोलन को भुनाने की व्यर्थ कोशिश करते केजरीवाल
केजरीवाल को यदि वास्तव में अवाम की चिंता होती तो वे सबसे पहले इस कथित आंदोलन को खत्म कराने की पहल करते ना कि यहां अपनी नफरत की राजनीति का अवसर तलाशते।
‘उपसभापति हरिवंश का आचरण प्रशंसनीय ही नहीं, अनुकरणीय और वरेण्य भी है’
त्वरित प्रतिक्रिया एवं तल्ख़ टीका-टिप्पणियों वाले इस दौर में उपसभापति हरिवंश का यह आचरण न केवल प्रशंसनीय है, अपितु अनुकरणीय एवं वरेण्य भी है।
चीनी एप्प प्रतिबंधित होने पर देश के कुछ नेताओं-बुद्धिजीवियों के पेट में उठे दर्द की वजह क्या है?
चीन के एप्प को बैन किये जाने पर चीन से चिंतित और परेशान होने जैसी प्रतिक्रिया आनी अपेक्षित भी थी लेकिन हैरानी की बात ये है कि चीन से ज्यादा दुखी हमारे ही देश के कुछ नेता और बुद्धिजीवी नज़र आ रहे हैं।
कन्हैया कुमार पर केस चलाने की अनुमति देने के पीछे क्या है ‘आप’ की राजनीति?
आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली में जेएनयू के पूर्व छात्र नेता कन्हैया कुमार के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी देकर नेक काम किया है, लेकिन यह फैसला लेने में हुई देरी पर सवाल भी उठ रहे हैं। कन्हैया कुमार सहित अन्य 10 छात्रों पर आरोप था कि इन लोगों ने संसद पर हमले के दोषी अफज़ल गुरु को सजा दिए जाने के विरोध में भारत विरोधी नारे लगाए थे। यह मामला 2016
क्या दिल्ली चुनाव से पहले ही कांग्रेस अपनी हार स्वीकार कर चुकी है?
दिल्ली के चुनाव आज देश का सबसे चर्चित मुद्दा हैं। इसे भारतीय राजनीति का दुर्भाग्य कहें या लोकतंत्र का, कि चुनाव दर चुनाव राजनैतिक दलों द्वारा वोट हासिल करने के लिए वोटरों को विभिन्न प्रकार के प्रलोभन देना तो जैसे चुनाव प्रचार का एक आवश्यक हिस्सा बन गया है।
शरजील इमाम तो पकड़ा गया, अब क्या कहेंगे मनीष सिसोदिया?
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोधी रैली में भड़काऊ बयान देने के मामले में देशद्रोह के आरोपित शरजील इमाम को आखिरकार मंगलवार को बिहार के जहानाबाद जिले में उसके पैतृक गांव काको से गिरफ्तार कर लिया गया। बिहार पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय ने उसकी गिरफ्तारी की पुष्टि की। हालांकि उसके सरेंडर किए जाने की बातें भी सामने आईं लेकिन